जर्मनी में बढ़ रहा है इस्लाम का डर

Webdunia
जर्मनी में इस्लाम को अस्वीकार करने वाले लोगों की तादाद लगातार बढ़ रही है। यह कहना है कि बैर्टेल्समन फाउंडेशन के नए सर्वे का। जर्मनों का इस्लाम से डर बढ़ रहा है। इसकी ओर बैर्टेल्समन फाउंडेशन ने अपने धर्म मोनीटर के एक सर्वे में ध्यान दिलाया है। पिछले दिनों जर्मनी में पश्चिम को इस्लामीकरण से बचाने के आंदोलन में तेजी आई है।

बैर्टेल्समन के सर्वे के अनुसार जर्मनी के 57 फीसदी गैर जर्मन इस्लाम को खतरे के रूप में देखते हैं। 2012 में उनकी तादाद सिर्फ 53 फीसदी थी। इसके अलावा 61 फीसदी जर्मनों की राय है कि इस्लाम का 'पश्चिमी देशों के साथ मेल नहीं बैठता।' 2012 में यह बात 52 फीसदी लोगों ने कही थी। सर्वे में भाग लेने वाले 40 प्रतिशत लोग मुसलमानों की वजह से अपने ही देश में पराया महसूस करते हैं। हर चौथा जर्मनी में मुसलमानों के आप्रवासन को रोकना चाहता है।

बैर्टेल्समन फाउंडेशन अपने धर्म मोनीटर के लिए सालों से कई देशों में सामाजिक सहजीवन में धर्म के महत्व पर रिसर्च कर रहा है। पांच रिसर्चरों ने हाल में यह सर्वे किया है कि मुसलमान जर्मनी में किस तरह रहते हैं और इस्लाम को बहुमत आबादी किस तरह लेती है। रिसर्चरों ने 2013 के मोनीटर के आंकड़ों को नवंबर 2014 में एमनिड द्वारा किए गए सर्वे के आंकड़ों से मिलाया है।

रिपोर्ट में गैर मुस्लिम आबादी द्वारा महसूस किए जाने वाले खतरे का ही अध्ययन नहीं किया गया है, वह राज्य और समाज के साथ मुसलमानों का गहरा जुड़ाव भी साबित करता है। 90 फीसदी धर्मपरायण मुसलमान लोकतंत्र को सरकार चलाने का अच्छा तरीका मानते हैं। दस में 9 लोगों का छुट्टी के समय में गैर मुसलमानों के साथ संपर्क होता है। करीब आधे के संबंध गैर मुस्लिमों से उतने ही हैं जितने मुसलमानों से। जर्मनी के बहुमत मुसलमान धार्मिक और उदारवादी दोनों ही हैं।

बहुत से मुसलमानों के लिए जर्मनी इस बीच मातृभूमि जैसा है। इस्लामिक विशेषज्ञ यासमीन अन मनुआर का कहना है, 'वे अपने को नकारात्मक छवि के सामने पाते हैं जो संभवतः उग्रपंथी मुसलमानों द्वारा बनाया गया है।'

पहली प्रतिक्रिया में जर्मनी में मुसलमानों की परिषद के प्रमुख आयमान माजिएक ने रिपोर्ट पर भयावह बताया है। लेकिन साथ ही कहा, 'लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए मुसलमानों के विचार सिर्फ बोलने की बात नहीं हैं, बल्कि समाज में सक्रिय जीवन का सबूत हैं।'

उन्होंने कहा कि जर्मनी में इस्लाम पर बहस में गलती की गई है और अपराध और आप्रवासी को गलत तरीके से इस्लाम के साथ जोड़ दिया गया है।

रिपोर्ट श्टेफान डेगे/एमजे
Show comments

अभिजीत गंगोपाध्याय के राजनीति में उतरने पर क्यों छिड़ी बहस

दुनिया में हर आठवां इंसान मोटापे की चपेट में

कुशल कामगारों के लिए जर्मनी आना हुआ और आसान

पुतिन ने पश्चिमी देशों को दी परमाणु युद्ध की चेतावनी

जब सर्वशक्तिमान स्टालिन तिल-तिल कर मरा

कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों को साइड इफेक्ट का कितना डर, डॉ. रमन गंगाखेडकर से जानें आपके हर सवाल का जवाब?

Covishield Vaccine से Blood clotting और Heart attack पर क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर्स, जानिए कितना है रिस्‍क?

इस्लामाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला, नहीं मिला इमरान के पास गोपनीय दस्तावेज होने का कोई सबूत