गुर्दों की सेहत के लिए जरूरी 8 बातें

Webdunia
मंगलवार, 21 फ़रवरी 2017 (11:17 IST)
हमारे शरीर में गुर्दे या किडनी ना केवल खून साफ करने का काम करते हैं बल्कि पानी का सही स्तर बनाए रखने और हार्मोन स्रावित करने में भी अहम भूमिका निभाते हैं। इसे स्वस्थ बनाए रखने के लिए ध्यान रखें इन आठ बातों का।
एक्टिव रहें : जब आप रोजमर्रा के जीवन में सक्रिय रहते हैं तो ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है और आप डायबिटीज जैसी बीमारियों की चपेट में आने से भी बचे रहते हैं। करीब 30 फीसदी मामलों में किडनी के फेल होने का कारण डायबिटीज पाया गया है।
 
ब्लड शुगर का स्तर : खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाने से डायबिटीज जैसी बीमारियों का खतरा तो बढ़ता ही है, इससे किडनी की आंतरिक नलिकाएं भी नष्ट हो सकती हैं। इन नलिकाओं को नुकसान पहुंचने से वह रक्त को ठीक से फिल्टर नहीं कर पातीं।
 
ब्लड प्रेशर ना बढ़ाएं : उच्च रक्तचाप किडनी के फेल होने का दूसरा सबसे आम कारण है। हाई ब्लड प्रेशर से भी रक्त नलिकाओं की दीवार को नुकसान पहुंचता है। स्वस्थ गुर्दों के लिए रक्तचाप भी 140/90 एमएमएचजी से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
 
स्वस्थ आहार : खानपान के महत्व को कैसे नजर अंदाज किया जा सकता है। फल, सब्जियां और फाइबर वाली चीजें खाने से वजन के साथ किडनी की सेहत भी अच्छी रहती है। खाने में नमक की मात्रा को भी कम से कम रखने की कोशिश करनी चाहिए।
 
तरल चीजें बहुत काम की : शरीर से नुकसानदायक चीजें बाहर निकालने के लिए किडनी को तरल माध्यम की जरूरत होती है। दिन में कम से कम डेढ़ से दो लीटर पानी पीना जरूरी है और शारीरिक रूप से ज्यादा सक्रिय रहने वालों को इससे भी ज्यादा पानी पीना चाहिए। वहीं जो लोग डायलिसिस करवाते हों उन्हें कम पानी की जरूरत होती है।
 
सिगरेट से तौबा : रक्त वाहिकाओं को नष्ट करने में धूम्रपान का बड़ा हाथ होता है। इसके कारण खून ठीक से फिल्टर नहीं हो पाता। सिगरेट छोड़ देने से और भी कई तरह के फायदे हैं जिनके बारे में हम अक्सर पढ़ते रहते हैं।
 
पेनकिलर दवाईयों पर लगाम : अगर लंबे समय तक दर्दरोधी दवाईयां ली जाएं तो इससे भी किडनी पर बुरा असर पड़ता है। अगर किसी के गुर्दे पहले से ही थोड़े कमजोर हों, तो उन्हें पेनकिलर दवाओं से काफी खतरा हो सकता है। इन दवाओं को डॉक्टर से सलाह के बाद ही लंबे समय तक खाएं।
 
गुर्दों की सालाना जांच : हर साल कम से कम एक बार अपनी किडनी की सेहत पर ध्यान दें। खास तौर पर 60 साल से बड़ी उम्र के लोगों में या मोटापे, डायबिटीज, उच्च रक्तचाप और परिवार में किडनी फेल होने की वंशानुगत बीमारी होने पर नियमित जांच जरूरी है। किडनी फेल के आरंभिक लक्षणों को साधारण से ब्लड टेस्ट या यूरीन टेस्ट में पकड़ा जा सकता है और सफल इलाज हो सकता है।
 
रिपोर्ट: अरूण चौधरी/आरआर
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