25 साल पहले एक दुर्घटना में मारी गईं डायना आज भी दुनियाभर में लोगों के दिलों में जिंदा हैं। ये कहना गलत नहीं होगा कि उन्होंने खुद को नहीं बदलने दिया, लेकिन उनके बाद ब्रिटेन का शाही परिवार हमेशा-हमेशा के लिए बदल गया। शाही परिवार के साथ उनके कुछ सालों ने ही सैकड़ों साल पुरानी परंपरा वाले खानदान को कुछ मायनों में हमेशा-हमेशा के लिए बदल दिया।
एक शर्मीली-सी नर्सरी स्कूल की टीचर से ग्लैमरस सेलेब्रिटी बनने वाली डायना की गवाह पूरी दुनिया थी। केवल 21 की उम्र में ब्रितानी शाही परिवार में प्रिंस चार्ल्स से शादी कर प्रिंसेज डायना बनी इस अनोखी राजकुमारी ने एड्स के मरीजों से कलंक हटाने की कोशिशों से लेकर लैंडमाइन हटाने तक के अभियान चलाए। लेकिन बहुत जल्दी-जल्दी जीवन में आए तमाम नाटकीय उतार-चढ़ावों के बाद 31 अगस्त 1997 को केवल 36 की उम्र में इस दुनिया से चली गईं।
इतिहासकार एड ओवेन्स कहते हैं कि मेरे हिसाब से ये याद रखना होगा कि अंग्रेजी बोलने वाली पूरी दुनिया में वे सबसे मशहूर महिला थीं, जाहिर है महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के बाद। 25 साल पहले उनकी उनकी मौत पर पहले पहले किसी को भी विश्वास नहीं हो रहा था। शाही परिवार के साथ उनके कुछ सालों ने ही सैकड़ों साल पुरानी परंपरा वाले खानदान को कुछ मायनों में हमेशा-हमेशा के लिए बदल दिया। शाही परिवार को आधुनिक और इंटरनेट काल के बहुसांस्कृतिक देश से जोड़ने में उन्होंने एक पुल सा काम किया।
कार दुर्घटना में डायना की मौत पर शोक मनाने जिस तरह से लोगों की भीड़ उनके केनसिंगटन पैलेस वाले आवास पर जुटी, उसने शाही परिवार को दिखा दिया कि उनकी लोगों के दिलों में कितनी जगह थी। हाउस ऑफ विंडसर ने उस घटना से एक सीख ली। तबसे शाही परिवार के सदस्य उनसे प्रभावित दिखे जिनमें सबसे ऊपर नाम लिया जा सकता है उनके बेटों प्रिंस विलियम और हैरी का। इन दोनों राजकुमारों ने जितना हो सके, उतना दोस्ताना रवैया रखने की कोशिश की और शाही परिवार को 21वीं सदी के साथ चलाने में अपने-अपने अंदाज में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
ब्रिटेन के शाही परिवार से रिश्ता जुड़ने से पहले भी डायना एक अमीर एरिस्टोक्रैटिक स्पेंसर परिवार से आती थीं। उनका महारानी के परिवार से पुराना संबंध था और उनका जन्म सेंट्रल इंग्लैंड के सदियों पुराने महल जैसे घर में 1 जुलाई 1961 को हुआ था। 16 की उम्र में स्कूल खत्म करने के बाद वह स्विस आल्प्स में स्थित एक फिनिशिंग स्कूल गईं और फिर एक नैनी और लंदन में प्री-स्कूल की टीचर के तौर पर काम किया।
पहले पहले शर्मीली लेकिन धीरे-धीरे मीडिया के साथ काम करना और उसका इस्तेमाल करना सीखने वाली डायना ने खुद को मिलने वाले तवज्जो को सार्वजनिक फायदे की ओर मोड़ा। वे जहां भी होतीं मीडिया की निगाह में होतीं, ऐसे में उन्होंने अनगिनत मौकों पर इसका फायदा ऐसे उठाया कि एड्स और लैंडमाइन जैसे जरूरी विषयों पर दुनियाभर का ध्यान खींच सकें।
ऐसे में 1987 में ब्रिटेन के पहले स्पेशल एड्स वार्ड को खोलने के समय उनका अंदाज और योगदान खासतौर पर उल्लेखनीय रहा। फीता काटने भर के ऐसे रस्मी समारोह पर उन्होंने बढ़कर एक मरीज से हाथ मिला लिया। इस तरह उन्होंने इतने साफतौर पर संदेश दिया कि वायरस छूने से नहीं फैलता। प्रिंसेज डायना की वह फोटो पूरी दुनिया में एचआईवी-एड्स को लेकर मौजूद दुष्प्रचार और कलंक के खिलाफ एक बेहद ताकतवर तोड़ बनकर उभरी।
अपनी मौत के 7 महीने पहले वह सुरक्षा जैकेट वगैरह पहले अंगोला के लैंडमाइन वाले इलाकों में टहलकर आईं। उन्होंने युद्ध वाले इलाकों से लैंडमाइनों को साफ किए जाने की ओर ध्यान दिलाया। बार-बार उस जमीन पर चलकर सभी फोटोग्राफरों को फोटो दी और बाद में लैंडमाइनों की चपेट में आने वाले पीड़ितों से भी मिलीं।
गोद में उस एक बच्ची को बिठाकर खिंचाई उनकी फोटो इस समस्या का अंतरराष्ट्रीय प्रतीक बन गई जिसका बायां पैर बम के धमाके से उड़ गया था। आज लैंडमाइनों पर प्रतिबंध लगाने वाले समझौते पर 164 देश हस्ताक्षर कर चुके हैं। लेकिन इस लोकप्रियता के साथ ही उनकी समस्याएं भी बढ़ती गईं।
प्रिंस चार्ल्स और लेडी डायना की शादी खतरे में थी। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर जब प्रिंस चार्ल्स के किसी और के साथ रिश्ते में होने की बात की तो जैसे पहाड़ टूट पड़ा। उन्हें खुद भी बुलिमिया की समस्या थी। 1992 में उनकी कहानी डायना 'हर ट्रू स्टोरी' इन हर ऑन वर्ड्स नाम की किताब में लिखा है कि उन्होंने कई बार आत्महत्या करने की कोशिश की थी। सन् 1992 में ही शाही जोड़ा भारत के दौरे पर आया था। लेकिन तब भी प्यार के प्रतीक माने जाने वाले ताजमहल के दौरे पर डायना अकेले ही गईं थीं। प्रिंस चार्ल्स उस समय दिल्ली में ही थे।
आज प्रिंस विलियम और उनकी पत्नी केट मेंटल हेल्थ के मुद्दे को उठाते हैं और अपने अनुभवों के बारे में भी बताते हैं। हैरी और मेगन शाही परिवार को छोड़ अमेरिका जा बसे हैं जिसका कारण महल के साथ मेगन के रवैये को माना गया। खुद डायना को भी महल के जीवन से तारतम्य बिठाने में बहुत परेशानी आई थी।
बीबीसी को दिए एक विवादित इंटरव्यू में डायना ने खुद बताया था कि उनके जाने के बाद लोगों को उन्हें कैसे याद करना चाहिए। डायना ने कहा था कि मैं लोगों के दिलों की रानी बनना चाहती हूं, उनके दिल में रहना चाहती हूं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि मैं कभी इस देश की रानी बनूंगी और फिर ऐसे अपनी बात पूरी की कि मुझे नहीं लगता कि कई लोग मुझे रानी बनाना चाहेंगे।