जब मर्दों के साथ बलात्कार हो

Webdunia
शुक्रवार, 23 जनवरी 2015 (12:16 IST)
'मैं अपनी पत्नी को कैसे बताऊं कि मेरे साथ बलात्कार हुआ। वह मुझे एक पुरुष के तौर पर कभी देख ही नहीं पाएगी, दूसरी औरत की तरह देखने लगेगी।'... यूगांडा में अब बलात्कार पीड़ित मर्दों की मदद के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।

जैसा की भारत में भी कुछ साल तक था, अफ्रीकी देशों में बलात्कार के विषय पर मुंह खोलना वर्जना है। और मामला जब पुरुषों का हो तो वह अक्सर इस विषय पर आवाज नहीं उठाते या अपने बुरे अनुभव किसी के साथ नहीं बांटते। लेकिन यूगांडा में अब इसके लिए पहल की जा रही है। कानून में बदलाव की मांग हो रही है साथ ही लोगों को भी अपने अनुभव बताने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। सहायता संगठन सेल्फ हेल्प ग्रुप बना रहे हैं। अब पीड़ित अपना मुंह बंद नहीं रखना चाहते।

पुरुषों के बलात्कार के खिलाफ काम कर रहे संगठन कोशिश कर रहे हैं कि इस अपराध की स्पष्ट परिभाषा बनाई जाए। यूगांडा का गुलु जिला राजधानी कंपाला से 340 किलोमीटर उत्तर में बसा है। 1962 में आजादी के समय से ही स्थानीय लोग आसान शिकार बनते रहे।

20 साल तक देश के उत्तरी इलाके में लगातार अलग अलग विद्रोही गुट हमला करते रहे और सरकारी सेना के खिलाफ लड़ते रहे। इस समय में नागरिकों का अपहरण कर लिया जाता, बलात्कार होता, उन्हें जबरदस्ती विद्रोही गुटों में भर्ती कर लिया जाता। कई सौ परिवारों को इस अस्थिरता के कारण अपना घर बार छोड़ना पड़ा और शरणार्थी शिविरों की शरण लेनी पड़ी।

अपनी पत्नी को कैसे बताऊं : जुमा (असली नाम नहीं) अपनी सुरक्षा नहीं कर सके। 1987 में 52 साल की उम्र में जब वह गुलु के दूरदराज इलाके से घर आ रहे थे तो उनका अपहरण कर लिया गया। उन्होंने बताया, 'जहां मैं सो रहा था वहां से मुझे बाहर ले जाया गया, जहां सरकारी सैनिक सो रहे थे। उन्होंने मुझे बाहर धक्का दिया और मेरी पत्नी को अंदर। इन लोगों ने मुझे सताना शुरू किया और फिर मेरा बलात्कार भी किया।'

 
अब जुमा 78 साल के हैं और वह अकेले नहीं हैं जो यूगांडा सेना की बर्बरता का शिकार हुए हैं। वह पिछले साल से पहले कभी इस घटना के बारे में नहीं बोल पाए थे। उनमें यह बदलाव तब आया जब वह अपने जैसे बुरे अनुभव वाले अलग अलग इलाके के लोगों से मिले।

अलेक्स (नकली नाम), कांगो के हैं। फिलहाल वह यूगांडा में शरणार्थी के तौर पर रह रहे हैं। उन्हें बहुत मुश्किल लगता है कि वह अपनी पत्नी से यह बुरा अनुभव साझा करें।

ताकतवर पुरुष : युद्ध में हथियार की तरह इस्तेमाल किए जाने वाले इस अपराध के बारे में अफ्रीका में सार्वजनिक तौर पर बातचीत नहीं की जाती। भारत की ही तरह अफ्रीका के मर्दों को बचपन से सिखाया जाता है कि वो मजबूत, ताकतवर बनें, ऐसे मर्द जो अपने परिवार को सुरक्षा दे सकें।

माना जाता है कि एक आदमी के साथ जब बलात्कार होता है तो उसके अस्तित्व का सबसे गहरा कोना, शारीरिक और मानसिक ताकत मसल दी जाती है। पूर्वी कांगो में बलात्कार के एक अन्य शिकार ने तय किया कि वह अपनी पत्नी को बता देगा कि कांगों में उसके साथ यह जघन्य अपराध हुआ। आज तक वह अपने इस फैसले पर पछता रहा है कि उसने पत्नी को सच बता दिया। 'मैंने अपनी पत्नी को बताया कि मेरे साथ क्या हुआ था। नतीजा यह हुआ कि एक पुरुष के तौर पर मेरी ताकत चली गई और मैं पहले की तरह अपना सामान्य दांपत्य कर्तव्य नहीं निभा सका।'

बलात्कार के शिकार पुरुष न तो ठीक से बैठ सकते हैं और न ही देर तक खड़े हो सकते हैं। शारीरिक यातनाओं के अलावा मानसिक दबाव के कारण वह अक्सर सिरदर्द से भी जूझते हैं।

कोई आंकड़ा नहीं : अफ्रीका के संकटग्रस्त इलाकों में यौन अपराध कितना फैला है इस बारे में कोई आंकड़े नहीं हैं। एक गैर सरकारी संगठन शरण लेने का आवेदन करने वालों या यूगांडा में आए शरणार्थियों को मदद दे रहा है। ये संगठन ऐसे प्रोजेक्ट चला रहा है ताकि बलात्कार के शिकार पुरुषों तक पहुंच सके।

रेफ्यूजी लॉ प्रोजेक्ट के निदेशक क्रिस डोलैन ने बताया कि बलात्कार के शिकार पुरुषों की संख्या अंदाज से कहीं ज्यादा है। 'हमने एक शिविर में जीवित बचे कुछ पुरुषों से बात की। उन्होंने आपस में मिलना शुरू किया अब वह कुल 60 लोग हैं। ये सब तीन महीने के अंदर में हुआ। ऐसे ही कंपाला में भी हमारा एक संगठन है। हमने यह संगठन छह पुरुषों के साथ शुरु किया था अब इसके 70 सदस्य हैं। ये सिर्फ वो लोग हैं जो सच में संस्था में आना चाहते थे।'

यूगांडा के कानून में पुरुषों पर बलात्कार का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए सहायता संगठन कानूनी प्रावधान के लिए भी कोशिश कर रहे हैं। इतना ही नहीं वहां के नेता समलैंगिक पुरुष और महिलाओं के लिए मौत की सजा की मांग कर रहे हैं।

रिपोर्टः नदीन लैला/आभा मोंढे
संपादनः ईशा भाटिया

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