AI को लेकर सख्त कानूनों की तलाश में दुनिया

DW
रविवार, 4 जून 2023 (09:50 IST)
ऑस्ट्रेलिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को लेकर सख्त और कड़े कानून बनाये जाने की तैयारी चल रही है। इन कानूनों के तहत डीप फेक और दिखने में असली लेकिन फर्जी सामग्री बनाने वाली तकनीकों पर प्रतिबंध लगाना भी संभव है।
 
जब दुनियाभर में एआई को लेकर चिंताएं जताई जा रही हैं और तकनीक की दुनिया के सबसे शक्तिशाली लोग, मसलन ट्विटर के मालिक इलॉन मस्क और गूगल के सीईओ तक एआई को लेकर चेतावनी दे रहे हैं, ऐसे में सरकारें इस बात पर विचार कर रही हैं कि कैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दुष्प्रभावों से लोगों को बचाया जाए जबकि इसके तकनीकी विकास का लाभ भी मिलता रहे।
 
ऑस्ट्रेलिया के उद्योग और विज्ञान मंत्री एड ह्यूसिक ने एबीसी टीवी को बताया, "बेशक यह समाज में एक चिंता की बात है कि तकनीक कहीं इंसान से आगे तो नहीं निकल रही है।”
 
खतरे समझने और हदबंदी करने की जरूरत
गुरुवार को ऑस्ट्रेलिया की राष्ट्रीय साइंस और तकनीक परिषद ने एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें कहा गया कि एआई से तैयार सामग्री कई तरह से नुकसानदायक हो सकती है।
 
एक उदाहरण देते हुए परिषद ने कहा कि जब संसदीय समितियां किसी विषय पर जनता से राय मांगती हैं तो तो एआई के जरिये जनता की फर्जी राय दर्ज की जा सकती है, जिससे यह भाव मिले कि जनता की राय एक खास पक्ष में है।
 
ह्यूसिक ने कहा, "इस खतरे को पहचानने और सीमाएं तय करने में सरकारों की एक स्पष्ट भूमिका है।” ऑस्ट्रेलिया दुनिया के उन शुरुआती देशों में से था जिन्होंने 2018 में एक स्वैच्छिक व्यवहार निर्देशिका अपनाई थी और एआई को नियमित किया था।
 
ह्यूसिक ने माना कि कॉपीराइट, प्राइवेसी और उपभोक्ता सुरक्षा जैसे मुद्दों पर बनाये गये कानून एआई से जुड़े मुद्दों के लिए नाकाफी हैं और सरकार ऐसा कानूनी ढांचा बनाना चाहती है तो जो तमाम मुद्दों के लिए समुचित हो।
 
ह्यूसिक ने कहा कि अगर जनता की तरफ से मांग आई तो ऑस्ट्रेलिया एआई के ऐसे तत्वों पर प्रतिबंध लगाने पर भी विचार करेगा जो अत्यधिक खतरनाक माने जाएंगे।
 
यूरोपीय संघ और अमेरिका में भी विचार
ऑस्ट्रेलिया में जब यह चर्चा चल रही है, तब यूरोपीय संघ और अमेरिका एक स्वैच्छिक एआई व्यवहार निर्देशिका तैयार कर चुके हैं और इसे उद्योगों द्वारा अपनाये जाने की उम्मीद में जारी किया गया है। साथ ही यूरोपीय सांसद एक विस्तृत कानून का मसौदा भी तैयार कर रहे हैं, जो एआई से जुड़ी तमाम कानूनी चुनौतियों को समेट सके।
 
बुधवार को ही यूरोपीय संघ और अमेरिका के अधिकारियों ने कहा कि वे जल्दी ही एक कोड ऑफ कंडक्ट जारी करेंगे। स्वीडन में ईयू नेताओं के साथ बातचीत के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने कहा कि पश्चिमी देश इस संबंध में कदम उठाने की आपातकालीन जरूरत को समझ रहे हैं और एक जैसी सोच वाले देश मिलकर काम करना चाहते हैं।
 
ब्लिंकेन ने कहा, "जब भी नई तकनीक आती है तो सरकारों और संस्थानों को यह समझने में वक्त तो लगता है कि उसे कैसे नियमित किया जाए।”
 
मौकों का फायदा उठाने के लिए
यूरोपीय आयोग की उपाध्यक्ष मार्गरेटे वेस्टाजेर ने कहा कि कुछ ही हफ्तों में कोड ऑफ कंडक्ट का मसौदा पेश हो जाएगा। उन्होंने कहा, "हम मानते हैं कि यह बहुत जरूरी है कि लोग देखें कि लोकतांत्रिक सरकारें कदम उठा रही हैं।”
 
यूरोपीय संघ और अमेरिका के बीच हुई बातचीत में चैटजीपीटी नामक एआई टूल बनाने वाली कंपनी ओपनएआई के सैम आल्टमन ने भी हिस्सा लिया।
 
बैठक के बाद जारी एक साझा बयान में कहा गया कि एआई एक क्रांतिकारी तकनीक है जिसमें हमारे लोगों की उन्नति और बराबरी बढ़ान के लिए बेहतरीन मौके उपलब्ध कराने की क्षमता है लेकिन "इन मौकों का लाभ उठाने के लिए हमें खतरे भी कम करने होंगे।”
 
अन्य देश भी एआई संबंधी कानून बनाने पर विचार-विमर्श कर रहे हैं। इनमें चीन भी शामिल है, जहां एआई तकनीक के विकास को लेकर अत्याधुनिक शोध जारी है।
वीके/सीके (रॉयटर्स, एपी, एएफपी)

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