भारतीय अरबपति गौतम अडानी के उस मेगा पोर्ट का मछुआरा समुदाय लंबे समय से विरोध कर रहा है, जिसके निर्माण की योजना केरल के विझिंजम में है।
केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में गौतम अडाणी के निर्माणाधीन विझिंजम मेगा पोर्ट की मुख्य सड़कों पर मछुआरे लंबे समय से डटे हुए हैं। यहां ईसाई मछुआरा समुदाय द्वारा बनाए गए शेल्टर की वजह से मुख्य प्रवेश द्वार ब्लॉक हो गया है। इस वजह से पोर्ट का निर्माण कार्य रुका हुआ है। अगस्त महीने से यहां मछुआरे विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। यह शेल्टर लोहे की छत से बना है और करीब 1,200 वर्ग फीट में फैला हुआ है। देश के पहले कंटेनर ट्रांसशिपमेंट बंदरगाह के निर्माण कार्य के बीच अगस्त के बाद से यह बाधा बनकर खड़ी है।
प्रदर्शनकारियों ने यहां बैनर लगाए हैं और विरोध प्रदर्शन में शामिल होने वाले लोगों के बैठने के लिए 100 के करीब कुर्सियां रखी गई हैं। यहां बैनर भी लगाए हैं जिन पर लिखा है, 'अनिश्चित दिन और रात का विरोध'। हालांकि किसी एक दिन धरना में भाग लेने वाले प्रदर्शनकारियों की संख्या आमतौर पर बहुत कम ही होती है।
डीडब्ल्यू की टीम ने इस इलाके का दौरा किया था और वहां प्रदर्शन कर रहे मछुआरों से बात की। 49 साल के जैक्सन थुम्बक्करन हर रोज अपने परिवार के साथ प्रदर्शन में शामिल होते हैं।
जैक्सन ने डीडब्ल्यू से कहा कि मेरा घर समुद्र के किनारे पर स्थित है और पिछले साल हमने बोरी में रेत भरकर किसी तरह से अपना घर बचाया था। अब, अगर इस बंदरगाह के कारण पानी बढ़ता है तो मैं अपना घर और परिवार खो दूंगा। इसलिए हम यहां विरोध कर रहे हैं।
सड़क की दूसरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सत्ताधारी पार्टी के सदस्यों और दक्षिणपंथी समूहों सहित बंदरगाह के समर्थकों ने अपने खुद के टेंट लगाए हुए हैं। बीजेपी शुरू से ही अडाणी ग्रुप की इस परियोजना के समर्थन में है।
जब यहां प्रदर्शनकारियों की संख्या कम होती है, तब भी स्थिति की सावधानीपूर्वक निगरानी के लिए 300 पुलिसकर्मी हर वक्त मौजूद रहते हैं। केरल हाईकोर्ट द्वारा बार-बार आदेश देने के बावजूद कि निर्माण बिना रुके आगे बढ़ना चाहिए, पुलिस प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने से बच रही है, इस डर से कि ऐसा करने से बंदरगाह पर सामाजिक और धार्मिक तनाव की आग भड़क जाएगी।
दुनिया के तीसरे सबसे अमीर शख्स अडानी के लिए 7,500 करोड़ रुपए की लागत वाली यह परियोजना इस विरोध प्रदर्शन के चलते लंबे समय से विवादों में है, जिसका कोई साफ और आसान समाधान नहीं मिल पाया है।
क्या कहते हैं सभी पक्ष : समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने बंदरगाह के विरोधियों और उसके समर्थकों के इंटरव्यू लिए हैं। अडानी समूह की इस परियोजना का विरोध का नेतृत्व कैथोलिक पादरी और स्थानीय लोग कर रहे हैं। विरोध करने वाले लोगों का आरोप है कि दिसंबर 2015 से बंदरगाह के निर्माण के परिणामस्वरूप तट का महत्वपूर्ण क्षरण हुआ है और आगे का निर्माण मछली पकड़ने वाले समुदाय की आजीविका पर असर डाल सकता है। मछुआरे समुदाय का कहना है कि यहां उनकी संख्या करीब 56,000 है। वे चाहते हैं कि सरकार समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर बंदरगाह के निर्माण से होने वाले प्रभाव के अध्ययन का आदेश दे।
अडानी समूह ने एक बयान में कहा कि यह परियोजना सभी कानूनों का पालन करती है और हाल के वर्षों में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान और अन्य संस्थानों द्वारा किए गए कई अध्ययनों ने तटरेखा क्षरण के लिए परियोजना की जिम्मेदारी से संबंधित आरोपों को खारिज कर दिया है।
विझिंजम पोर्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजेश झा ने डीडब्ल्यू से कहा कि यह बंदरगाह राज्य और देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है। झा के मुताबिक, 'अब यहां सभी रोजगार, स्थानीय रोजगार का एक बड़ा हिस्सा मछुआरा समुदाय के पास जाएगा, इसलिए वे रोजगार के मामले में और आर्थिक लाभ के मामले में अहम लाभार्थी होंगे।'
केरल सरकार जो प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत कर रही है उसका तर्क है कि चक्रवात और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण क्षरण हुआ है।
रिपोर्ट : आमिर अंसारी, आदिल बट (रॉयटर्स से जानकारी के साथ)