अमेरिकी सेना के शीर्ष अधिकारी के आरोपों को पाकिस्तानी सेना ने स्वीकार किया है। सेना ने माना है कि देश की खुफिया एजेंसी आईएसआई के आतंकी गुटों से संबंध हैं।
पाकिस्तान की सेना ने इस बात को स्वीकार किया है कि उनकी खुफिया एजेंसी आईएसआई के संबंध आतंकी समूहों से हैं। लेकिन सेना ने साथ यह भी कहा है कि इसका अर्थ यह नहीं है कि यह आतंकी समूहों का साथ देती है। इसके साथ उसने इस बात पर जोर देते हुये कहा कि विवादित मिल्ली मुस्लिम लीग चुनाव लड़ने के लिए आजाद है। हाफिज सईद ने अपने संगठन जमात-उद-दवा की ओर से पाकिस्तान के चुनाव आयोग को 'मिल्ली मुस्लिम लीग' के नाम की राजनीति पार्टी को मान्यता देने की अर्जी दी थी। आवेदन के बाद सईद ने पार्टी गठन की घोषणा की है।
आईएसआई के आतंकी समूहों से संबंध के अमेरिकी दावे पर जवाब देते हुए पाकिस्तान के मेजर जनरल आसिफ गफूर ने कहा, "संबंध होने और साथ देने में अंतर है। किसी भी ऐसी एजेंसी का नाम बताइए जिसके संबंध ना हों। ये संबंध सकारात्मक भी हो सकते हैं और अमेरिकी रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस ने यह नहीं कहा है कि हम साथ दे रहे हैं।"
अमेरिका के रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने सीनेट की प्रभावशाली सशस्त्र सेवा समिति के सदस्यों से कहा था कि आईएसआई के संबंध आतंकी संगठनों से हैं और उनकी अपनी विदेश नीति भी है। जब उनसे पूछा गया कि अगर पाकिस्तान आतंक को खत्म करने के लिए तत्काल प्रभाव से कोई कदम नहीं उठाता तो क्या गैर नाटो सहयोगी देश के तौर पर उससे रिश्ता खत्म किये जाने का विकल्प है? इस पर जिम मैटिस ने जबाव दिया, "हां, यह विकल्प होगा"
पाकिस्तान ने आतंकवाद को समर्थन देने के आरोप से इनकार किया है। लेकिन इस बारे में अमेरिकी जनरल जोसेफ डनफोर्ड ने पहले भी कहा था कि स्वाभाविक है कि पाकिस्तान इन आरोपों पर हमेशा से इनकार करता रहा है लेकिन अमेरिका इन झूठी बातों को अब नहीं सुनेगा।