पाकिस्तान में छात्राओं को मिलेंगी 4 मुर्गियां और एक मुर्गा

Webdunia
शुक्रवार, 26 अगस्त 2016 (13:10 IST)
पाकिस्तान में पंजाब की सरकार ने स्कूली बच्चियों के लिए मुर्गी पालने की योजना शुरू की है। इस योजना का मकसद है लड़कियों की चूल्हे-चौके में दिलचस्पी जगाना।
 
पाकिस्तान में पंजाब प्रांत की सरकार स्कूली लड़कियों को मुर्गियां देगी। लड़कियों को इन मुर्गियों का ख्याल रखना होगा। इस सारी कवायद का मकसद यह है कि लड़कियों की खाना बनाने में, चूल्हे-चौके में दिलचस्पी पैदा की जा सके। सरकारी अधिकारियों ने फिलहाल एक हजार लड़कियों पर यह योजना शुरू करने का ऐलान किया है। इसके तहत हर लड़की को चार मुर्गियां, एक मुर्गा और एक पिंजरा दिया जाएगा। इस एलान से महिला अधिकारियों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं की भौंहें चढ़ी हुई हैं।
पाकिस्तान के सबसे अमीर प्रांत पंजाब के पशुपालन विभाग के अधिकारी नसीम सादिक ने बताया कि इस योजना का मकसद मुर्गीपालन को बढ़ावा देना है और साथ ही लड़कियों को पोषण के बारे में सिखाना भी है। सादिक ने वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि पाकिस्तान उन देशों की फेहरिस्त में सबसे ऊपर है जहां प्रोटीन की कमी है। साथ ही सादिक ने कहा कि इस योजना से बच्चियों को चूल्हे-चौके का भी पता चलेगा। उन्होंने कहा, "यह योजना बच्चियों को रसोई के कचरे बारे में भी सिखाएगी क्योंकि वे अपने जानवरों को बचा हुआ खाना खिलाएंगी।"
 
सादिक ने कहा कि इस योजना के लिए लड़कों की जगह लड़कियों को खासतौर पर चुना गया है। उन्होंने कहा कि हमने इस योजना के लिए लड़कों की जगह लड़कियों के स्कूल को चुना क्योंकि रसोईघर का ज्यादातर काम लड़कियों को ही करना होता है और वे लड़कों से ज्यादा जिम्मेदार और देखभाल करने वाली भी होती हैं।
 
पाकिस्तान में समाज को आमतौर पर पुरुषवादी माना जाता है और वहां महिला अधिकारों की स्थिति कोई बहुत अच्छी नहीं है। दशकों से कार्यकर्ता महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। लेकिन हालत यह है कि आज भी इज्जत के नाम पर बेटियों के कत्ल होते हैं। महिलाओं के खिलाफ हिंसा आम है और समाज में उन्हें कोई बहुत ऊंचा दर्जा हासिल नहीं है। ऐसे में लड़कियों को चूल्हे-चौके पर केंद्रित करने की यह योजना सामाजिक कार्यकर्ताओं को भा नहीं रही है।
 
महिला अधिकार कार्यकर्ता फरजाना बारी ने इस योजना की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि इसी तरह से समाज रूढ़िवादी होता है क्योंकि पूर्वाग्रहों को बल दिया जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार लड़कियों को यह सिखा रही है कि उनकी दुनिया बस रसोई तक ही सीमित है। बारी ने कहा, "बेहतर होगा कि सरकार लड़कों के स्कूलों पर अपना ध्यान लगाए और उनके अंदर जिम्मेदारी और बराबरी की भावना पैदा करे। सरकार को तो महिलाओं में नया आत्मविश्वास पैदा करना चाहिए ना कि उनके दिमाग में वही बात भरनी चाहिए कि एक सामान्य औरत तो वही होती है जो चूल्हा-चौका संभालती है।"
 
बारी ने कहा कि इस तरह की परियोजनाएं लड़कों के स्कूलों में चलाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा, "ऐसे प्रोजेक्ट अगर लड़कों के स्कूलों में शुरू किए जाते हैं तो वे लोग सीख पाएंगे कि रसोईघर में क्या, कैसे करते हैं। वे महिलाओं का हाथ बंटाना भी सीखेंगे।" परियोजना सितंबर महीने से शुरू होनी है।
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