इसराइल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू मिस्र के बॉर्डर से सटे राफा शहर पर सैन्य कार्रवाई करना चाहते हैं। नेतन्याहू के रुख से अब मित्र देश भी नाराज हो रहे हैं।
अल-शिफा गाजा का सबसे बड़ा अस्पताल है। इसराइली सेना ने सोमवार को एक बयान में कहा कि सैनिक शिफा अस्पताल के इलाके में बहुत ही सटीक ऑपरेशन कर रहे हैं। हमास के सीनियर आतंकवादी अस्पताल का इस्तेमाल कर रहे हैं, ऐसा इशारा करने वाली खुफिया जानकारी के आधार पर ही यह ऑपरेशन किया जा रहा है।
चश्मदीदों के मुताबिक इसराइली टैंकों ने अस्पताल की घेराबंदी की है। एक प्रत्यक्षदर्शी के मुताबिक इसराइली सेना ने अस्पताल के आस पास रॉकेट हमले किए हैं। गाजा में काम करने वाले हमास के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, अस्पताल परिसर में हजारों की संख्या में विस्थापित लोगों ने शरण ली है।
इसराइली सेना का कहना है कि अरबी बोलने वाले अनुवादकों की मदद से अस्पताल में भर्ती मरीजों और मेडिकल स्टाफ से बातचीत की जा रही है। सेना के मुताबिक, मरीजों और स्वास्थ्य कर्मियों के सामने जगह खाली करने की बाध्यता नहीं है।
30 हजार से ज्यादा लोगों की मौत
इसराइली सेना ने नवंबर 2023 में भी अल-शिफा अस्पताल पर सैन्य कार्रवाई की थी। अंतरराष्ट्रीय मंच पर इसकी काफी आलोचना हुई। समाचार एजेंसियों से मिली जानकारी के मुताबिक सात अक्टूबर को इसराइल पर हमास के हमले के बाद से ही इसराइली सेना गाजा में स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े प्रतिष्ठानों पर हमले करती आ रही है। न्यूज एजेंसी एएफपी ने बताया कि हमास के हमले में इसराइल में करीब 1,160 लोगों मौत हुई और इनमें ज्यादातर आम नागरिक थे।
हमले के दौरान फलीस्तीनी उग्रवादियों ने करीब 250 इसराइलियों और विदेशियों को बंधक भी बनाया। नवंबर में एक हफ्ते की शांति के दौरान इनमें से दर्जनों बंधकों को रिहा किया गया। लेकिन इसराइल का आरोप है कि 130 बंधक अब भी गाजा में कैद हैं। इनमें से 25 आम नागरिकों और आठ सैनिकों की मौत का अंदेशा है।
हमास के आतंकी हमले के बाद से ही इसराइल, फलीस्तीन में बड़े स्तर पर सैन्य कार्रवाई कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक युद्ध शुरू होने के बाद से अब तक गाजा में 155 हेल्थ फैसिलिटीज को नुकसान पहुंचा है। फलस्तीनी क्षेत्र के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक इसराइली कार्रवाई में अब तक कम से कम 31,645 लोग मारे जा चुके हैं। मृतकों में महिलाओं और बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा है।
अमेरिकी चेतावनी के बाद जर्मनी की नसीहत
इसराइल की सैन्य कार्रवाई, तेल अवीव के कई भरोसेमंद दोस्तों को भी परेशान कर रही है। अमेरिका समेत इसराइल के अन्य पश्चिमी साझेदार भी इसराइली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू को चेतावनी दे रहे हैं कि वह मिस्र की सीमा से सटे फिलिस्तीनी इलाके, राफा में पूरी ताकत से सैन्य ऑपरेशन ना करें। राफा गाजा का अकेला ऐसा शहर है, जहां अभी तक इसराइली थल सेना नहीं पहुंची है।
जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने इसराइल से गाजा तक बड़े पैमाने पर मानवीय मदद करने की फिर से अपील की है। शनिवार को शॉल्त्सदो दिवसीय दौरे पर पहले जॉर्डन पहुंचे। जॉर्डन के राजा किंग अब्दुल्लाह से मुलाकात के बाद जर्मन चांसलर इसराइल रवाना हुए।
इसराइल में प्रधानमंत्री नेतन्याहू के साथ एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान चांसलर शॉल्त्स ने भी राफा का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इस तरह के अभियान में बड़ी संख्या में लोग हताहत होंगे और इससे इलाके में शांति स्थापित करने की कोई भी कोशिश बहुत ही मुश्किल हो जाएगी।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में शॉत्ल्स और उनके बगल में खड़े नेतन्याहू के बीच तल्खी भी साफ दिखी। नेतन्याहू ने कहा, राफा से आतंकवादियों की बटालियनों को खत्म करने के साथ ही हमारा मकसद आम नागरिकों को राफा छोड़ने का मौका देना भी है।
इसराइली पीएम के मुताबिक, हम आबादी को एक जगह पर कैद करके ऐसा नहीं करने जा रहे हैं। इस दावे के बाद जर्मन चांसलर ने पत्रकारों के सामने ही नेतन्याहू से पूछा कि, वे कहां जाएंगे?
वॉशिंगटन भी चेतावनी देते हुए कह चुका है कि राफा में कार्रवाई करने से पहले इसराइल को साफ और लागू करने लायक योजना पेश करनी होगी, ताकि आम नागरिकों को किसी तरह का नुकसान ना पहुंचे।