एसआईआर को लेकर यूपी में छोटे कर्मचारियों पर बड़ी कार्रवाई
देश के 12 राज्यों में जारी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण पर विवाद बढ़ता जा रहा है। जहां चुनाव में लगे कर्मचारी दबाव की बात कह रहे हैं वहीं यूपी में कई कर्मचारियों के खिलाफ लापरवाही के आरोप में बड़ी कार्रवाई की गई।
समीरात्मज मिश्र
बिहार में एसआईआर का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में ही लंबित है लेकिन इस बीच चुनाव आयोग ने 12 अन्य राज्यों में भी एसआईआर कराने की घोषणा कर दी। चार नवंबर से शुरू हुए एसआईआर के इस दूसरे चरण के तहत इस काम को एक महीने के भीतर यानी चार दिसंबर तक पूरा करना है। एसआईआर मतदाता सूचियों को अपडेट करने की एक विशेष प्रक्रिया है जिसके तहत बीएलओ यानी बूथ लेवल ऑफिसर्स को घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी सत्यापित करनी पड़ती है।
चुनाव आयोग का दावा है कि एसआईआर से मतदाता सूचियां और ज्यादा सटीक होंगी और फर्जी वोटिंग रोकी जा सकेगी। वहीं, विपक्षी दल इसे चुनाव आयोग की ओर से जल्दबाजी में थोपी गई प्रक्रिया बता रहे हैं जो न सिर्फ नागरिकों को बल्कि इस काम में लगे कर्मचारियों यानी बीएलओ, दोनों को परेशान कर रही है।
एसआईआर को इतने कम समय में पूरा करने के लिए सबसे ज्यादा दबाव उन कर्मचारियों यानी बीएलओ पर आ रहा है जो घर-घर जाकर गणना प्रपत्र लोगों को दे रहे हैं और उनसे यह फॉर्म भरा रहे हैं। इस दौरान अत्यधिक दबाव और कई घंटे काम करने के कारण कई बीएलओ में स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं। खबरों के मुताबिक अत्यधिक दबाव में किए जा रहे काम के चलते तनाव, हृदयाघात और यहां तक कि आत्महत्या जैसी घटनाएं भी सामने आ रही हैं। वहीं दूसरी ओर, कई कर्मचारियों के खिलाफ अधिकारी निलंबन और एफआईआर की कार्रवाई भी कर रहे हैं।
अत्यधिक दबाव की वजह से परेशानी
पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, राजस्थान जैसे कई राज्यों से दबाव के चलते कई कर्मचारियों की कथित तौर पर आत्म हत्या की घटनाएं सामने आई हैं। पश्चिम बंगाल में तो राज्य भर के बीएलओ ने आज राजधानी कोलकता में विरोध प्रदर्शन भी किया। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि एसआईआर के नाम पर पूरे देश में अफरा-तफरी मची हुई है जिसके चलते पिछले तीन हफ्तों में कम से कम 16 बीएलओ की मौत हो चुकी है।
राहुल गांधी ने यह बयान एक मीडिया में छपी खबरों का हवाला देते हुए दिया है जिनमें कहा गया है कि एसआईआर के दौरान अब तक छह राज्यों में 16 बीएलओ की मौत हो गई है। कुछ कर्मचारियों ने इसके लिए चुनाव आयोग और एसआईआर की वजह से आ रहे दबाव को कारण बताते हुए आत्महत्या की है।
लेकिन चुनाव आयोग ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि एसआईआर एक जरूरी प्रक्रिया है जो मतदाता सूचियों की शुद्धता सुनिश्चित करती है। चुनाव आयोग ने मौतों को व्यक्तिगत कारण बताते हुए इनका राजनीतिकरण न करने को कहा है।
यूपी में कर्मचारियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई
वहीं यूपी के नोएडा में एसआईआर की प्रक्रिया को सही ढंग से न कर पाने और लापरवाही बरतने के आरोप में 60 बीएलओ और सात सुपरवाइजर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। जबकि बहराइच में लापरवाही के आरोप में दो बीएलओ को निलंबित किया गया है और एक अन्य पर केस दर्ज किया गया है।
नोएडा में डीएम और जिला निर्वाचन अधिकारी मेधा रूपम के आदेश पर नोएडा के तीन विधानसभा क्षेत्रों के एसडीएम ने उन बीएलओ के नाम एफआईआर दर्ज कराई हैं जिन्होंने कथित तौर पर नियमों का पालन नहीं किया है।
नोएडा प्रशासन के मुताबिक, बार-बार निर्देश, चेतावनी और नोटिस के बावजूद कई बीएलओ अपने इलाके में ड्यूटी में लापरवाही करते पाए गए वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश मानने में विफल रहे, जिनके चलते ये कार्रवाई की गई है।
ग्रेटर नोएडा के इकोटेक फेज-एक पुलिस स्टेशन में 32 बीएलओ और एक सुपरवाइज़र के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है जबकि जेवर पुलिस स्टेशन में 17 बीएलओ के खिलाफ और दादरी थाने में 11 बीएलओ और छह सुपरवाइजार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई हैं। हर एफआईआर इलाके के एसडीएम ने दर्ज कराई हैं जो इस एसआईआर की प्रक्रिया में स्थानीय इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर यानी ईआरओ हैं।
दादरी विधानसभा क्षेत्र के ईआरओ आशुतोष गुप्ता ने डीडब्ल्यू को बताया, "डीएम की ओर से जारी किए गए आदेश के बाद जनप्रतिनिधत्व कानून की धारा 32 के तहत एसआईआर कार्यक्रम के दौरान लापरवाही, उदासीनता और वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों की अवहलेना के कारण ये एफआईआर दर्ज की गई हैं।”
इस्तीफा दे रहे बीएलओ
वहीं एसआईआर में लगे बीएलओ का कहना है कि उन पर अपने मूल दफ्तर में काम का बोझ तो है ही, एसआईआर का अतिरिक्त बोझ भी डाल दिया गया है और समय से पहले पूरा करने का दबाव है। एसआईआर के काम में ज्यादातर प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों की ड्यूटी लगी है। रविवार को नोएडा में ही एक महिला शिक्षिका पिंकी सिंह ने बीएलओ के पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने पहले भी इस काम में अपनी ड्यूटी न लगाने की अपील की थी, लेकिन इसके बावजूद उन्हें बीएलओ के तौर पर तैनाती दे दी गई। पिंकी सिंह नोएडा सेक्टर-34 के गेझा उच्च प्राथमिक स्कूल में सहायक अध्यापिका हैं।
पिंकी सिंह ने अपना इस्तीफा बीएलओ के वॉट्सऐप ग्रुप पर भेज दिया। नोएडा के डीएम को संबोधित पत्र में उन्होंने लिखा है, "भाग में 1179 मतदाता हैं। ऑफलाइन मैंने 215 फीड कर दिए हैं। मैं अब अपने जॉब से रिजाइन दे रही हूं, क्योंकि अब मेरे से यह काम नहीं होगा। न तो शिक्षण कार्य हो पाएगा और न ही बीएलओ का काम।”
बीएलओ की समस्याएं
वहीं बहराइच, गोंडा और रामपुर में भी कई बीएलओ के खिलाफ कार्रवाई की खबरें हैं। गाजियाबाद में ही बीएलओ के काम में लगे एक प्राइमरी स्कूल के शिक्षक ने नाम ना छापने की शर्त पर डीडब्ल्यू को बताया कि उन लोगों के ऊपर एक तो अधिकारियों का दबाव है वहीं दूसरी ओर मतदाताओं के घरों पर जाने पर कई बार लोग मिलते नहीं हैं।
उनका कहना था, "सोसायटियों का हाल ये है कि जब बीएलओ फ्लैट पर पहुंचते हैं तो पता चलता है कि मकान मालिक यहां नहीं रहते हैं। उनके घरों पर ताले पड़े हुए हैं या फिर वहां किरायेदार रह रहे हैं। दिन में कई लोग अपने काम पर गए रहते हैं। दिन भर भाग-दौड़ करनी पड़ रही है। बहुत परेशानी हो रही है। अफसरों का दबाव अलग कि समय से पहले काम करना है। कई बीएलओ इसी चक्कर में बीमार पड़ गए हैं लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है।”
वहीं, एसआईआर को लेकर चुनाव आयोग की हड़बड़ी और बीएलओ पर आ रहे दबाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी भी बढ़ रही है। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव आरोप लगाया है कि एसआईआर के नाम पर बड़ी साजिश चल रही है।
मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, "बीजेपी और चुनाव आयोग मिलकर एसआईआर का दुरुपयोग कर रहे हैं और हर विधानसभा क्षेत्र से 50 हजार से ज्यादा वोट काटने की साजिश रच रहे हैं। खास तौर पर उन विधानसभा क्षेत्रों को निशाना बनाया जा रहा है जहा साल 2024 के लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन ने जीत हासिल की थी।”
अखिलेश यादव ने एसआईआर की टाइमिंग पर भी सवाल उठाए हैं और कहा है कि ये शादियों का मौसम है लेकिन बीएलओ पर जबरन एसआईआर पूरा करने का दबाव डाला जा रहा है।