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डब्ल्यूएचओ बना ताकत का नया अखाड़ा

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, बुधवार, 20 मई 2020 (12:46 IST)
कोरोना महामारी पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ताकत का अखाड़ा बन रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डब्ल्यूएचओ की फंडिंग पूरी तरह बंद करने की धमकी दे रहे हैं, तो चीन कहता है कि ट्रंप अपनी नाकामी का ठीकरा दूसरों के सिर फोड़ रहे हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार चीन को निशाना बना रहे हैं। उनका कहना है कि अगर चीन ने शुरू में ही प्रभावी कदम उठाए होते तो आज यह महामारी इस कदर दुनियाभर में कोहराम नहीं मचा रही होती। ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को चीन की कठपुतली बताते हुए उसकी भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए हैं और इस विश्व संस्था को अमेरिका से मिलने वाली फंडिंग की बड़ी रकम को हमेशा के लिए बंद करने की धमकी दी है।
 
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि वह कोरोना महामारी से निटपने के अपने तौर-तरीकों की स्वतंत्र रूप से समीक्षा करेगा। राष्ट्रपति ट्रंप का कहना है कि अगर डब्ल्यूएचओ ने 30 दिन के भीतर सुधार नहीं किया तो अमेरिका अपने आपको इससे अलग कर लेगा। उनका कहना है कि यह संस्था खुद को चीन से स्वतंत्र दिखाने में नाकाम साबित हुई है।
कोरोना वायरस से दुनियाभर में 48 लाख लोग संक्रमित हुए जिनमें 3.17 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के अनुसार 15 लाख से ज्यादा मामलों और 90 हजार से ज्यादा मौतों के साथ अमेरिका कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित देश है। ट्रंप के आलोचक इस स्थिति के लिए शुरू में उनके ढीले रवैये को जिम्मेदार बताते हैं, वहीं ट्रंप इस पूरे संकट के लिए चीन और डब्ल्यूएचओ पर उंगली उठाते हैं।
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चीन ने पूरी तरह डब्ल्यूएचओ का समर्थन करते हुए कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति अपनी नाकामी का ठीकरा दूसरों के सिर फोड़ना चाह रहे हैं। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता चाओ चिचियान ने कहा कि अमेरिका बेवजह चीन की छवि को खराब करने की कोशिश कर रहा है और अपनी नाकामी को छिपाने के लिए चीन का सहारा ले रहा है।
 
इस विवाद में यूरोपीय संघ ने भी डब्ल्यूएचओ का समर्थन किया है। विदेश मामलों पर यूरोपीय संघ की प्रवक्ता वर्जीने बाटु हेरनिक्सन कहती हैं कि यह समय एकजुटता का है। यह समय एक-दूसरे पर उंगली उठाने और बहुपक्षीय सहयोग को कमजोर करने का नहीं है।
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गलतियों की समीक्षा
 
सोमवार को शुरू हुई डब्ल्यूएचओ की पहली वर्चुअल असेंबली से पहले दुनिया का राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है। यूरोपीय संघ की तरफ रखे गए प्रस्ताव में इस महामारी पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया के निष्पक्ष, स्वतंत्र और व्यापक मूल्यांकन पर जोर दिया गया है।
 
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. तेद्रोस अधनोम गेब्रयेसुस ने माना कि कुछ गलतियां हुई हैं। उन्होंने वर्चुअल असेंबली को बताया कि वे समीक्षा का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि मैं मुनासिब समय पर जल्द से जल्द एक स्वतंत्र मूल्यांकन शुरू करूंगा कि हमने इसने दौरान क्या अनुभव हासिल किए और क्या सबक सीखे? इससे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महामारी से निपटने के तरीकों को बेहतर बनाने के लिए सिफारिशें तैयार की जाएंगी। उन्होंने कहा कि लेकिन एक बात स्पष्ट है कि दुनिया पहले जैसी नहीं रहेगी। ऐसे हालात दोबारा पैदा न हो और इसे रोकने के लिए हरसंभव कदम उठाएं, यह समझने के लिए हमें समीक्षा की जरूरत नहीं है।
 
बहुत से देशों के नेताओं ने डब्ल्यूएचओ के प्रयासों की सराहना की है लेकिन अमेरिकी स्वास्थ्य मंत्री एलेक्स एजर ने कहा कि डब्ल्यूएचओ अहम जानकारी को जुटाने और इसे दूसरों को मुहैया कराने में नाकाम रहा है जिससे इतने सारे लोगों की जान गई। अजर ने डब्ल्यूएचओ की असेंबली में वीडियो संबोधन के दौरान कहा कि इस फैलाव के नियंत्रण से बाहर हो जाने के एक बुनियादी कारण पर हमें खुलकर बात करनी होगी। यह संगठन उस अहम जानकारी को जुटाने में नाकाम रहा जिसकी दुनिया को जरूरत थी और इसी वजह से इतने लोगों की जानें गईं।
एकजुटता पर जोर
 
अमेरिका ने डब्ल्यूएचओ की अपनी फंडिंग निलंबित कर रखी है। उसका आरोप है कि यह विश्व संस्था चीन के बहुत करीब है और इसलिए कोरोना वायरस से निपटने में उसकी नाकामियों पर पर्दा डाला गया। चीन से फैले इस वायरस ने अब तक सबसे ज्यादा लोगों की जान अमेरिका में ही ली है।
 
डब्ल्यूएचओ को लिखे अपने खत में राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि अकेला रास्ता यही है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन साबित करे कि वह चीन से स्वतंत्र है। ट्रंप का आरोप है कि डब्ल्यूएचओ पूरी तरह चीन के इशारे पर काम करता है। लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह वही ट्रंप हैं, जो पहले चीन की तारीफ कर रहे थे और अब वे अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने के लिए चीन को निशाना बना रहे हैं।
 
इस बीच संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने डब्ल्यूएचओ की एसेंबली के दौरान कहा कि कोविड-19 दुनिया के लिए खतरे की घंटी है और घातक वैश्विक चुनौतियों के लिए एक नई एकता और एकजुटता की जरूरत है। इसके साथ ही उन्होंने विकासशील देशों को इस महामारी से बचाने पर खासतौर से जोर देते कहा कि कोविड-19 से मिले सबक भविष्य में संकट से निपटने में मददगार साबित होंगे। उनके मुताबिक यह सब तभी होगा, जब सब एकजुट होकर काम करें।
 
एके/एमजे (रॉयटर्स, एएफपी)

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