जब हो अस्पष्ट बुध रेखा...

व्यापार में सफलता की उम्मीद बहुत कम

पं. अशोक पँवार 'मयंक'
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हाथ की रेखाएँ सदैव एक समान नहीं रहतीं। यह रेखाएँ बनती-बिगड़ती रहती हैं, अतः भविष्य कथन में परिवर्तन आता रहता है। स्वच्छ सीधी रेखाएँ जहाँ उत्तम स्वास्थ्य को दर्शाती हैं, वहीं प्रगति में भी सहायक मानी जाती हैं। अस्त-व्यस्त, कटी-टूटी हो तो वह अस्वस्थ व प्रगति में बाधक रहती है।

बुध रेखा हथेली में किसी भी स्थान से निकल सकती है। इसकी सबसे अच्छी स्थिति यह मानी जाती है कि बुध रेखा की अवस्थिति भाग्य रेखा और जीवन रेखा से जितनी अधिक दूर हो उतनी ही शुभ फलदायक होती है। बुध रेखा कहीं से भी जाए इसका अंत कनिष्ठिका उँगली पर ही होता है।

यदि किसी भी हथेली में यह रेखा है, परन्तु जीवन रेखा से पर्याप्त दूर है, साथ ही मणिबंध विघ्नरहित है, तो वह व्यक्ति निश्चित रूप से दीर्घ आयु होगा। अशुभ चिह्नों से मुक्त निर्दोष बुध रेखा वाला व्यक्ति पाचन शक्ति का धनी और स्वस्थ, सबल गुर्दों का स्वामी होता है।

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निर्दोष बुध रेखा के साथ-साथ यदि हथेली में हृदय, मस्तिष्क और भाग्य रेखाएँ निर्दोष रूप में विद्यमान हो, तो ऐसी हथेली वाला बुध रेखा वाले व्यक्ति की शारीरिक क्षमता, आरोग्य और जीवन शक्ति की वृद्धि करती है। यदि बुध रेखा टूटी, छिन्न-भिन्न, टेढ़ी-मेढ़ी और मार्ग से हटी हुई हो तो समझना चाहिए कि ऐसा व्यक्ति उदर विकारों से ग्रस्त होगा।

पाचन शक्ति की कमी, स्नायु तंत्र में अतिक्रम, जोड़ों का दर्द, अन्य प्रकार के वात विकार, मानसिक व्याधियों की आशंका और दुर्बलता, क्षीणता जैसे रोग होते हैं। बुध रेखा अशुभ मानी जाती है, जन्म लग्र में भी बुध नीच का या शत्रु क्षेत्री होगा।

बुध रेखा का लहरदार होना यह संकेत देता है कि जातक को लीवर संबंधित रोग होगा। लहरदार या जंजीरदार रेखा टूटी, अस्त-व्यस्त हो तो वह मंदबुद्धि, आलसी, निकम्मा, दुविधाग्रस्त तथा कार्य क्षेत्र में पिछड़े हुए होते हैं।

अपने दैनिक जीवन के कार्यकलाप, व्यवसाय, आगामी योजना और अन्य व्यावहारिक क्षेत्रों में भी ऐसे लोग प्रायः अस्थिर मन, अनिश्चित और आत्मविश्वास से रहित होते हैं। ये कोई भी कार्य करें सफलता की उम्मीद बहुत कम कर पाते हैं। ऐसे जातक आशंका में रहते हैं।

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