यदि कुंडली के प्रथम भाव में 4 अंक लिखा हो तो व्यक्ति कर्क लग्न का होता है। चंद्रमा का स्वामित्व होने से यह लग्न भावुकता प्रधान होता है। परिश्रमी होते हैं मगर फल कई बार देर से मिलता है। सामाजिक व कला के क्षेत्र में सक्रिय होते हैं।
शुभ ग्रह : लग्नेश चंद्रमा, पंचमेश मंगल और भाग्येश बृहस्पति अति शुभ है। इनकी दशा-महादशाएँ अति लाभकारी होती है। यदि ये गुरु ग्रह कुंडली में अशुभ स्थानों में हो तो उपाय अवश्य करें। मंगल प्रबल कारक ग्रह है।
ND
अशुभ ग्रह : बुध, शुक्र व शनि अशुभता लिए होते हैं। शनि सप्तमेश होकर मारकेश हो जाता है। अत: इसकी दशा-महादशा, साढ़ेसाती बेहद अशुभ हो सकती है। अत: योग्य उपाय करें, धर्म व न्याय के रास्ते पर चलें। व्यसनों से बचे।
तटस्थ : सूर्य इस लग्न के लिए तटस्थ रहता है।
कर्क लग्न वालों को पुखराज, मूँगा पहनना लाभ दे सकता है। सोमवार, मंगलवार व गुरुवार लाभदायक है। सफेद, पीला व लाल रंग शुभ है।
इस लग्न के व्यक्तियों को शनि व गुरु के स्वामित्व वाले लग्नों से (मकर, कुंभ, धनु, मीन) या राशि वाले व्यक्तियों से विवाह संबंध करने से बचना चाहिए।