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ज्योतिष सीखें : जानिए किन ग्रहों से होता है हृदयरोग
Webdunia
हृदयरोगकारक ग्रहयोग
1. चन्द्रमा यदि शत्रुग्रही हो तो हृदयरोग उत्पन्न होता है।
(सारावली, 44।19)
2. सूर्य यदि कुम्भ राशिगत हो तो धमनी में अवरोध उत्पन्न करता है।
(सारावली, 22।11)
3. शुक्र यदि मकर राशिगत हो तो जातक हृदयरोगी होता है।
(सारावली)
4. षष्ठेश सूर्य यदि चतुर्थ भावगत हो तो जातक हृदयरोगी होता है।
(जातकालंकार 2।16)
5. लग्नेश निर्बल राहु यदि चतुर्थगत हो तो हृदय रोग होता है।
(जा. पारि. 6।19)
6. सूर्य यदि चतुर्थ भावगत हो तो हृदयरोग उत्पन्न करता है।
(जा. पारि. 8।68)
7. चन्द्रमा शत्रुक्षेत्री होने पर हृदयरोग उत्पन्न करता है।
(जा. पारि. 8।112)
8. तृतीयेश यदि केतु से युक्त हो तो जातक हृदयरोगी होता है।
(जा. पारि. 12।36)
9. चतुर्थ भाव में पापग्रह हो और चतुर्थेश पापयुक्त हो तो हृदयरोग उत्पन्न करता है।
(सर्वार्थचिंतामणि)
10. मकर राशिगत सूर्य सामान्य हृदयरोग उत्पन्न करता है। (
जा. सारदीप)
11. सूर्य वृष राशिगत हो तो जातक हृदयरोग से ग्रस्त होता है।
(हो.प्र. 10।44)
12. वृश्चिक राशिगत सूर्य हृदयरोग उत्पन्न करता है।
(शम्भु हो., 10।46)
13. चतुर्थ भावगत षष्ठेश की युति सूर्य-शनि के साथ होने पर हृदयरोग होता है।
(जा.भू. 6।11)
14. चतुर्थगत यदि शनि, भौम, गुरु हो तो हृदयरोग होता है। (
होरारत्न)
15. तृतीयेश राहु-केतु से युक्त हो तो हृदयाघात होता है।
(ज्यो. र.)
16. यदि शनि निर्बल शयनावस्था में हो तो भी हृदयशूल रोग होता है।
(ज्यो.र.)
17. सूर्य यदि सिंह राशिगत हो तो जातक हृदयरोग से ग्रस्त होता है।
(वी.वी. रमन)
18. शनि यदि अष्टम भावगत हो तो हृच्छूल रोग उत्पन्न करता है। (गर्ग वचन)
19. मकर राशिगत सूर्य हृदयरोग प्रदान करता है।
(मू.सू. 3।2।5)
20. राहु यदि द्वादशस्थ हो तो हृच्छूल रोग देता है।
(भाव. प्र.)
21. चतुर्थेश चतुर्थ भावगत पापयुक्त हो तो हृदयरोग देता है।
(गदावली 2।33)
22. सिंह राशि के द्वितीय द्रेष्काण में यदि जन्म हो तो
हृदयशूल
रोग होता है।
(गदावली 2।24)
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