हाथों की चंद लकीरों का...

पं. अशोक पँवार 'मयंक'
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दारिद्र्य योग हाथ में होने से ऐसा जातक धन की कमी से जूझता रहता है। लाख प्रयत्न करने के बाद भी वह अपना और अपने परिवार का सुचारु पालन नहीं कर पाता। जिसके पास धन न हो, वही इस श्रेणी में आता है, लेकिन ऐसे जातक परिश्रमी अधिक होते हैं। कई मनुष्य ऐसे हैं जिनके हाथ की रेखाएँ उत्तम हैं, लेकिन वे भीख माँगते ही नजर आएँगे।

कई बार ऐसा सुनने में आया कि एक भिखारी के मरने के बाद उसके पास लाखों का धन मिला। वह इसका उपयोग ही नहीं कर पाया। यह सब भाग्य का ही करिश्मा है या यूँ कहें कि हाथों की चंद लकीरों का खेल है। आइए जानें किस कारण मनुष्य धनाभाव में रहता है ।

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* जब हाथ में भाग्य रेखा (शनि रेखा) लहरदार हो, टूटी, कटी हो या क्रॉस के निशान अधिक हों या भाग्य रेखा पर काला तिल हो तो ऐसा जातक भाग्य का सहयोग न मिलने के कारण धन नहीं जुटा पाता व जिंदगी अभाव में रहती है। जब भाग्य रेखा गहरी काली व चौड़ी हो तब भी उपरोक्त फल मिलते हैं ।

* जब सूर्य रेखा टूटी-कटी हो, उस पर द्वीप या जाला या कोई धब्बा हो तब उस जातक को मान-सम्मान में कमी रहती है। भाग्य रेखा भी सूर्य रेखा के समान हो तो उस जातक को धनाभाव देखना पड़ता है।

* जब धन का दाता शुक्र पर्वत पर जाला, धब्बा या दबा हुआ हो तो ऐसा जातक धनविहीन होता है। इस पर्वत पर कई रेखा हों तो व आपस में कटती हो तब भी उपरोक्त फल मिलते हैं ।

* हथेली में भाग्य रेखा पर मणिबंध की ओर यानी उल्टी रेखाएँ हों तो ऐसा जातक भाग्यविहीन होता है। जब भाग्य साथ न दे तो ऐसा जातक लाख प्रयत्न करने पर भी सफल नहीं होता ।

* किसी व्यक्ति की हथेली की उँगलियों को आपस में मिलाकर देखें। यदि उँगलियों के मध्य खाली जगह हो तो ऐसा जातक निर्धन होता है। या यूँ कहें कि उसके पास धन नहीं जुट पाता ।

* जिनकी हथेली मोटी, भारीपन लिए हो व खुरदरी हो तो यह भी निर्धनता की निशानी है ।

* भाग्य रेखा का न होना या मस्तिष्क रेखा से नीचे होना भी भाग्यवृद्धि में अवरोध का सूचक होता है। ऐसे जातक भी निर्धन की श्रेणी में ही कहे जा सकते हैं ।

ध्यान रहे सूर्य रेखा व बुध रेखा यदि सबल हो, साफ-सुथरी हो तो उपरोक्त नियम लागू नहीं होगा। यदि सूर्य-बुध रेखाएँ न हों या क्रॉस, जाला आदि चिह्न हों तो ऐसा जातक निर्धन ही होगा। रोज कमाएँ, रोज खाएँ वाली स्थिति होगी।
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