Hanuman Chalisa

पाँच गेंदों वाला है यह जीवन

जीवन के रंगमंच से

जनकसिंह झाला
ND
एक बार दोस्तों के साथ जादू का खेल देखने गया। वहाँ पर कई सारे करतब देखे जिसमें से एक करतब अभी तक दिलोदिमाग में ताजा है। एक आदमी अपने हाथ में रखी पाँच गेंदों को एक के बाद एक हवा में उछालकर वापस पकड़ लेता था और लोग उस करतब को देखकर जोर-शोर से तालियाँ बजा रहे थे। खैर, उस समय तो यह करतब महज एक मनोरंजन का माध्यम लगा, लेकिन अब जाकर अहसास हुआ है कि कहीं न कहीं पाँच गे ंदो ं और हमारी जिंदगी में काफी समानता है।

हमारा जीवन भी थोड़ा बहुत उन पाँच गेंदों की भाँति है। फर्क सिर्फ इतना है कि हमने उ न गेंदों को लाल, हरा, पीला, नीला या सफेद नाम देने के बजाय उसे परिवार, स्वास्थ्य, दोस्त, काम और आत्मा जैसे नाम देकर रखे हैं। उस करतब क ी तरह हमारी जिंदगी भी इन गेंदों को बार-बार हवा में उछालती है और बाद में वापस उसी स्थान पर रख देती है जहाँ पर वह पहले थी। यही गे ंदे ं हमारे जीवन में संतुलन बनाए हुए है।

कभी-कभी इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम कई सारी गलतियाँ कर लेते हैं। हम जीवन की इन गेंदों पर ध्यान देना भूल जाते है ं। फलस्वरूप कोई ए क गेंद जमीन पर आकर गिर पड़ती है और देखते ही देखते ऐस ी घटनाएँ घटित होने लगती हैं जिसकी कभी हमने कभी कल्पना भी नहीं की!

ND
इन गेंदों में एक गेंद है काम यानी कार्य (कर्तव्यनिष्ठा) की गेंद। यह गेंद बिलकुल रबर के जैसी है। आप जितनी उसे हवा में उछ ालेंगे, वह उतनी ही तेज गति से आपकी और वापस आएगी। शायद इसलिए तो कहा गया है कि जो आदमी जितना ऊपर जाता है वह उतनी ही तेज गति से नीचे भी आता है।

अन्य गेंदे परिवार, स्वास्थ्य, दोस्त, और आत्मा की गेंद है जिसे उछालने में सावधानी बरतनी जरूरी है। इन गेंदों को काँच की गेंद मान सकते हैं । जब भी यह गेंद हाथ से छूटती है तब वह टूटकर बिखर जाती ह ै । एक बात मान लीजि ए अगर यह गेंद जमीन पर गिर गई तो फिर कभी भी वास्तविक रूप नहीं ले प ाती है ।

परिवार टूटकर बिखर ज ाए ँ, दोस्त बिछड़ जाएँ, स्वास्थ्य हाथ से छूट ज ाए ँ तो फिर समझ लेना अब इस जीवन से हमारे निवृत्त होने का वक्त आ गया है। हमने अपनी अंतिम गेंद आत्मा को भी नीचे गिरा दिया है। जब इंसान की आत्मा ही लोभ, मोह, माया, क्रोध, अहंकार के प्रदूषणों से प्रभावित होकर हीन हो जाएगी तब यह जीवन जीते हुए भी मृत्यु समान है।

तो फिर क्या करें....?

अगर आप भी 'गेम ऑफ दि लाइफ' सीखना चाहते हैं तो हमेशा कुछ बातों का ध्यान रखें।

* सबसे पहले जीवन से जुड़ी हुई इन पाँच गेंदो को कभी भी जमीन पर न गिरने दें। कुछ दूसरे भी कर्तव्य हैं जिसे करने से आप इस गेम में मास्टर्स बन सकते हैं। ज ैसे, हमेशा मुसीबतों से डटकर सामना करना सीखें। पुलिस जिस तरह भगोड़े गुनहगारों का एनकाउन्टर कर समाज के हित का कार्य करती है वैसे आप भी ह र मुसीबतों का एनकाउन्टर करने से बिलकुल न डरे। यह ी व ह समय है जो आप को बहादूर बनने का मौका देता है।

* अपने जीवन के दरवाजे पर दस्तक दे रहे प्यार को बा ह र
ND
से ही यह कर अलविदा न कहें कि आपके पास समय नहीं है बल्कि उसका खुले मन से स्वागत करें। क्योंकि प्यार बनकर आया हुआ अतिथि एक बार चला गया तो फिर कभी वापस नहीं आ सकता।

* जब तक आपके पास कुछ है तब तक सामने वाले को कभी भी खाली हाथ वापस मत भेजें। अगर सामने वाला सचमुच महान शख्स है तो उसकी महत्ता का खुले मन से स्वागत करें।

* कोई भी नया ज्ञान और चीजों को जानने से कभी भी पीछे न हटें। क्योंकि ज्ञान का पिटारा भारविहीन है आप उसे आसानी से उठा सकते हैं।

और अंत में जीवन के पीछे इतना भी न भागें कि आप खुद भूल जाए ँ- आप कहाँ थे और अब कहाँ पहुँच गए हैं। मुंबई से कोलकाता जाने वाली ट्रेन में बैठने के लिए सबसे पहले मुंबई स्टेशन पर खड़े रहना जरूरी है। मुंबई स्टेशन की जानकारी होना जरूरी ह ै । जहाँ से आप यात्रा की शुरुआत कर रहे है ं, उसे समझना जरूरी ह ै। कोलकाता तो बाद में आएगा। इसलिए, थोड़ा सब्र कीजिए और अपने जीवन की पाँचों गेंदों में संतुलन बनाइए।

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

Remedies for good sleep: क्या आप भी रातों को बदलते रहते हैं करवटें, जानिए अच्छी और गहरी नींद के उपाय

Vastu tips: घर की इस दिशा में ये 4 चीजें रखने से कुछ ही दिनों में चमकेगी किस्मत

किचन में भूलकर भी ना रखें ये 5 चीजें, बढ़ सकती है नेगेटिविटी

Chest lungs infection: फेफड़ों के संक्रमण से बचने के घरेलू उपाय

Fat loss: शरीर से एक्स्ट्रा फैट बर्न करने के लिए अपनाएं ये देसी ड्रिंक्स, कुछ ही दिनों में दिखने लगेगा असर

सभी देखें

नवीनतम

ठंड में रोज यदि 10 बादाम खाएं तो क्या होता है?

Essay on Nanak Dev: सिख धमे के संस्थापक गुरु नानक देव पर रोचक निबंध हिन्दी में

एक दिन में कितने बादाम खाना चाहिए?

मध्यप्रदेश में निवेश, नवाचार और रोज़गार के संकल्प का अभ्युदय

Dev Uthani Ekadashi Bhog: देव उठनी एकादशी और तुलसी विवाह पर चढ़ाएं ये खास भोग, मिलेगा भगवान शालीग्राम का आशीर्वाद