बलम तरसे.. रंग बरसे

गिरीश उपाध्‍याय
FILE
यह होली का बहुत लोकप्रिय गीत है और इसे अमिताभ बच्‍चन ने अपनी फिल्‍म सिलसिला में बहुत खूबसूरती से गाया है। इसकी एक लाइन है- सोने की थारी में ज्‍योना परोसा, खाए गोरी का यार... बलम तरसे, रंग बरसे। इस बार चुनाव में कुछ कुछ होली के इस गीत जैसा ही सीन नजर आ रहा है।

बरसों मेहनत कर जिन लोगों ने लोहे की थाली को सोने की थाली में तब्‍दील किया और जिनकी मेहनत से पका खाना उस थाली में सज भी गया, अब वही थाली किसी और को परोसी जा रही है। घर के लोगों की भूख प्‍यास की फिक्र छोड़ पड़ोसियों को बुलाकर छप्‍पन भोग खिलाए जा रहे हैं। अपने घर में किसका दम घुट रहा है इसकी चिंता नहीं है, लेकिन दरवाजे के बाहर खड़े आदमी को यह कहते हुए बहुत आदर के साथ कमरे में बिठाया जा रहा है कि वहां उसका दम घुट रहा था।

कहीं घुटे घुटाए लोग अवसर देखकर रंग बदल रहे हैं वहीं अवसर की आस में बरसों से इंतजार में बैठे अपने ही लोग खून का घूंट पीकर घुट घुटकर जीने को मजबूर हैं। माना कि यह पतझड़ का मौसम है। लेकिन इसमें न तो पुराने पत्‍ते अपने आप झड़ रहे हैं न ही नए पत्‍ते स्‍वाभाविक रूप से पनप रहे हैं। पुराने पत्‍तों को डालियां झकझोर कर झड़ाया जा रहा है और उनकी जगह उम्‍मीद के फेवीकोल से नए पत्‍ते चिपकाए जा रहे हैं।

समझ में नहीं आ रहा कि इस सिलसिले को परंपरागत रूप से आयाराम-गयाराम कहें या आयारावण-गयारावण..। चाहे कोई भी दल हो... जीत के दावों की खुमारी में सारे सिद्धांत, सारे अनुशासन, सारी परंपराएं, सारी मर्यादाएं छिन्‍न भिन्‍न हो गई हैं। सबकुछ गड्डमड्ड है। कोई ओखली में से सिर निकालकर गड्ढे में सिर डाल रहा है तो कोई गड्ढे में से निकलकर सीधा पहाड़ चढ़ रहा है।

भारतीय राजनीति में यह समय केवल नई लोकसभा चुनने का या नई सरकार बनाने का ही नहीं है। यह चुनाव देश की राजनीति की भावी दिशा भी तय करेगा। 16 वीं लोकसभा खत्‍म होने तक तो एक पूरी की पूरी पीढ़ी राजनीति से ओझल हो चुकी होगी और उसकी जगह नई पीढ़ी के हाथों में बागडोर होगी। जिस पीढ़ी को ओझल हो जाना है या ओझल कर दिया जाना है उसके लिए यह जीवन मरण का प्रश्‍न है। वो अपने अस्तित्‍व की आखिरी लड़ाई लड़ रही है। विरोधी दलों से ज्‍यादा अपने ही दल में खंदक की लड़ाई चल रही है। गुरिल्‍ला वार हो रहा है।

ओलिंपिक के काफी सारे खेलों के नमूने यहां देखने को मिल रहे हैं कुश्‍ती, पॉवर लिफ्टिंग, वेट लिफ्टिंग, मुक्‍केबाजी, तीरंदाजी, तलवारबाजी, गोला फेंक, भाला फेंक, बाधा दौड़, पोल वॉल्‍ट, लांग जंप, हाई जंप, जिमनास्टिक... आप तो नाम याद करते जाइए और दिमाग में चुनाव से जोड़कर तस्‍वीर बनाते जाइए आपको हर खेल यहां नजर आ जाएगा। और ओलिंपिक ही क्‍यों यहां तो कबड्डी और खो-खो जैसे हमारे देशी खेल भी देखने को मिल जाएंगे।

लोकप्रिय खेल क्रिकेट की तर्ज पर बात करें तो इस चुनाव में कुछ पार्टियां वन डे मैच की तरह खेल रही हैं तो कुछ 20-20 की तरह। कुछ टेस्‍ट मैच की तरह खेल रही हैं तो कुछ प्रैक्टिस मैच की तरह। कोई अपने बल्‍लेबाजों पर भरोसा कर रहा है तो कोई गेंदबाजों पर.. और किसी को डकवर्थ लुइस पर भरोसा है। कहीं गंजों को कंघे बेचे जा रहे हैं तो कहीं पोपलों को मंजन, कहीं डायबिटिक को लड्डू बेचे जा रहे हैं तो कहीं अल्‍सर के पेशेंट को मिर्ची बड़े...

और इसमें भी सबसे बड़ी बात वही है जो हमने शुरू में कही... ये सारा सरंजाम भी गोरी के यारो के लिए है... बलम की किस्‍मत में तो लगता है अब तरसना ही लिखा है... और जब गानों की बात चली है तो इस चुनाव के संदर्भ में एक और गाना याद आ रहा है। 1968 में आई ‘आंखें’ फिल्‍म के लिए मशहूर शायर साहिर लुधियानवी ने क्‍या खूब लिखा है- गैरों पे करम, अपनों पे सितम.. ऐ जाने वफा ये जुल्‍म न कर... ये जुल्‍म न कर... सौ तीर चला सीने पे मगर, बेगानों से मिलकर वार न कर... आप पूरा गाना सुनिए लगता है जैसे साहिर ने इसे आज के राजनीतिक हालात और कई नेताओं के दर्द पर ही लिखा है। क्‍या आपको नहीं लगता कि चुनाव के ऊल जलूल बयानों के बीच बेहतर है कुछ ऐसे ही गानों को पार्टियों के दफ्तर के बाहर बजाया जाए...!

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज क्या है? कब शुरू हुआ और किसे मिलता है? जानिए कौन रहे अब तक के प्रमुख विजेता

स्किन से लेकर डाइबिटीज और बॉडी डिटॉक्स तक, एक कटोरी लीची में छुपे ये 10 न्यूट्रिएंट्स हैं फायदेमंद

ये हैं 'त' अक्षर से आपके बेटे के लिए आकर्षक नाम, अर्थ भी हैं खास

अष्टांग योग: आंतरिक शांति और समग्र स्वास्थ्य की कुंजी, जानिए महत्व

पर्यावरणीय नैतिकता और आपदा पर आधारित लघु कथा : अंतिम बीज

सभी देखें

नवीनतम

अल्जाइमर समेत इन 6 बीमारियों के लिए सबसे असरदार है मेडिटेशन

बच्चों के नाम रखते समय भूल कर भी न करें ये गलतियां, जानिए नामकरण में किन बातों का रखना चाहिए ध्यान

कांस में ऐश्वर्या ने मांग में सजाया सिन्दूर, दुनिया को दिया देश की संस्कृति और ताकत का संदेश

शक्कर छोड़ने के पहले जान लें वो 8 जरूरी बातें जो आपको पहले से पता होनी चाहिए

Operation Sindoor पर भाषण: सिन्दूर का बदला खून, अदम्य साहस और अटूट संकल्प की महागाथा