मरा डॉक्टर, अधमरा मरीज

व्यंग्य

Webdunia
के.पी. सक्सेना
ND
दक्षिण अफ्रीकी टेस्ट खिलाड़ी हाशिम आमला जैसी घनी-घनघोर दाढ़ी और सपाट च ँदिया वाले मेरे दोस्त मिर्जा विवादास्पद बीटी बैंगन की तरह लुढ़कते चले आ रहे थे। रिटायर्ड थे पर तोंद यों फूली थी जैसे पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा द्वारा समेटा गया काफी माल अंदर पैक हो। आत्मा तक गहरी एक ठंडी साँस खींची और बोले -'क्या करूँ, कहाँ जाऊँ?' मैंने धीरे से चुटकी ली -'तुम्हारे जाने के लिए अब एक ही जगह बची है! तुम तैयारी करो, दो गज जमीन का इतंजाम मैं कराए देता हूँ!'

मिर्जा ने गुस्से में तोंद को कई बाउंस दिए और बोले -'सीरियस बातों में छुछलइयाँ मत खेला करो ! मैं बीमार हूँ! पिछले दो महीने से यों लगता है जैसे मेरे कान में कोई हारमोनियम बजा रहा हो।' मैंने दिलासा देते हुए कहा -'मेरे साथ चलो। ईएनटी डॉक्टर को दिखाते हैं। खुदा ने चाहा तो हारमोनियम बजना बंद हो जाएगा...या फिर साथ में तबला भी बजने लगेगा। मिर्जा ने कान में उँगली घुमाई और बोले -'मियाँ, दाल उबलेगी तो अपने ही चूल्हे में गिरेगी...। मेरा डॉक्टरों पर यकीन वैसे ही उठ गया है जैसे अमर सिंह का मुलायम सिंह पर से। खुदा न करे वह कहीं मुर्दा डॉक्टर न हो!'

मैं चौंका! मुर्दा डॉक्टर? शायद मिर्जा के दिमाग की बालकमानी पलट गई है ! पागलखाने फोन करना होगा ! मिर्जा मेरी खामोशी भाँप गया ! बोला -'लाला भाई, तुम मुझे पागल समझ रहे हो? अखबार में धोनी और सलोनी के क्रिकेट स्कोर के अलावा कभी न्यूजें भी पढ़ लिया करो! बेगम मेरे कान का हारमोनियम बंद कराने डॉक्टर के वहाँ ले जा रही थीं। मगर न्यूज पढ़ते ही मैंने इरादा मुलतवी किया ।

न्यूज में साफ छपा है कि इंडिया में 7.63 लाख डॉक्टर हैं (झोला छाप डॉक्टरों को छोड़कर)..यानी पाँच हजार लोगों पर एक डॉक्टर। इस गिनती में वे डॉक्टर भी शामिल हैं जो या तो मर चुके हैं या विदेश चले गए या उम्र के कारण डॉक्टरी करने लायक नहीं रहे। अब मान लो कि खुदानखास्ता मेरे हिस्से में वह डॉक्टर आ गया जो मर चुका है !

ND
मेरे कानों में हारमोनियम की जगह कब्र की सायं-सायं बजने लगेगी। बाज आए ऐसी मोहब्बत से, हटाओ पानदान अपना ! नमाज बख्शवाने जाऊँ और रोजा गले पड़ जाएँ! तुम खामख्वाह पानी पर कील ठोंकने की कोशिश न करो !

मैं यों ही ठीक हूँ ! बजने दो कान में हारमोनियम या तानपूरा। मुझे डॉक्टर को दिखाना ही है तो पहले खुद जाकर ठोंक-बजाकर यकीन कर लो कि वह जिंदा डॉक्टर है या मरे हुए डॉक्टरों में से एक है। फिलहाल मैं कान में सुदर्शन की पत्ती का अर्क गर्म करके टपकाता हूँ शायद हारमोनियम का बजना बंद हो जाए।

तुम्हें भी बुढ़ापे में खाँसी-खुर्रा लगा रहता है। डॉक्टर के वहाँ जाओ तो पूछताछ कर कन्फर्म कर लेना कि कहीं वह स्वर्गीय डॉक्टरों में से एक तो नहीं है। चलता हूँ। हारमोनियम अब भी बज रहा हैं। आवाज बाहर आती होती तो तुम्हें भी सुनवाता।

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