व्यंग्य रचना : पुलिस का हृदय परिवर्तन

देवेन्द्रसिंह सिसोदिया

Webdunia
आपने पुलिस के एक अधिकारी को मुख्य आरोपी के माथे को चूमने पर निलम्बित होने की खबर पढ़ी होगी। किसी पुलिस वाले ने सम्भवतः पहली मर्तबा मित्र बनने की कोशिश की होगी। हो सकता है उन्होंने रात को अपनी ड्यूटी के दौरान महात्मा गांधी का ये कथन कि 'अपराध से नफरत करो अपराधी से नहीं', पढ़ डाला होगा और बस लग गए उसे आजमाने में। महाशय कोस रहे होंगे अपने आप को पुलिस वाले से एक मित्र बनने की नाकामयाब कोशिश पर।

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आज तक पूरी दुनिया ने पुलिसिया क्रुर चेहरा देखा है अचानक उनका हृदय परिवर्तन होकर इंसान के रुप में अवतरित होना अचम्भे को तो जन्म देगा ही। पता नहीं कौन सी मजबूरी रही होगी जनाब की जो ऐसा कृत्य कर बैठे। भाई साहब को यदि कोई अच्छा काम करने की सूझी ही थी तो इसी अपराधी को क्यों चुना? या तो इस 'किस' के पीछे राजनैतिक पहलू होगा या भावनात्मक। हो सकता है अपराधी के करीबी जो अपनी भावना को उस तक पहुंचा नहीं पा रहे होंगे उन्होंने इन महाशय को माध्यम बनाया हो। ये भी हो सकता है कि इस काम के लिए उन्हें किसी तरह प्रलोभित किया हो। या एक अच्छा इंसान बनने की अंतरात्मा उन पर हावी हो गई और वो यह कर बैठे।

क्या पुलिस वाले भाई साहब ने सच में कोई बहुत बड़ा अपराध कर दिया जिसकी सजा उन्हें निलम्बित होकर भोगना पड़ा ? क्या वो केवल डंडे की भाषा का ही उपयोग कर सकता है? क्या उसके अन्दर एक इंसान नहीं हो सकता? उसके मुंह से 'किस' नही 'गाली' ही निकलना चाहिए? अब कोई पुलिस वाला ऐसी हिम्मत कर पाएगा? कैसे हम उम्मीद रखें कि भविष्य में कोई पुलिस वाला मित्र के रुप नजर आएगा? क्या उन्हें प्रशिक्षण के दौरान ये नहीं सिखाया गया कि एक अच्छा इंसान बनने की नुमाईश कैमरे के समक्ष आने पर ही नहीं करे ? ऐसे अनेक प्रश्न इस घटना ने समाज और सरकार के समक्ष खड़े कर दिए हैं।

मुझे भरोसा है दूसरे पुलिस वाले, इस कदम को एक अच्छा इंसान बनने की ओर अंतिम कदम न समझेंगे। वो इस दिशा में कोशिशें जारी रखेंगे। केवल 'किस' को ही इसका साधन न बनाऐंगे। कसम खाएंगे कि किसी भी अपराध होने से पहले ही वे एक्टिव हो जाएंगे, जब कोई थाने में एफआईआर लिखवाने आए तो उसे दरिदंगी से देखने की बजाय उसको भाई या बहन के रुप में सुनेगें। उसे टरकाने की बजाए तुरंत मामला दर्ज कर आगामी कार्यवाही पर जूट जाएंगे। किसी भी घटना की सूचना मिलने पर मीडिया के पहले स्थल पर पहुंच जाएंगे । यह कर के देखिए आप जरुर एक अच्छे इंसान बन जाएंगे। लोग आपका क्रुर रुप भूल कर एक मित्र की तरह व्यवहार करेंगे । फिर आप को किसी 'किस' विवाद में न पड़ना पड़ेगा बल्कि लोग आपको 'किस' देंगे !

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