चेहरे थे तो दाढ़ियाँ थीं

विजयशंकर चतुर्वेदी

Webdunia
WDWD
चेहरे थे तो दाढ़ियाँ थीं

बूढ़े मुस्कुराते थे मूछों में

हर युग की तरह

इनमें से कुछ जाना चाहते थे बैकुंठ

कुछ बहुओं से तंग़ थे चिड़चिड़े

कुछ बेटों से खिन्न

पर बच्चे खेलते थे इनकी दाढ़ी से

और डरते नहीं थे

दाढ़ी खुजलाते थे जुम्मन मियाँ

तो भाँपता था मोहल्ला

नहीं है सब खैरियत

पिचके चेहरों पर भी थीं दाढ़ियाँ

छिपातीं एमए पास जीवन का दुःख

दाढ़ीवाले छिपा लेते थे भूख और रुदन

कुछ ऐसे भी थे कि उठा देते थे सीट से

और फेरते थे दाढ़ी पर हाथ

बहुत थे ऐसे

जो दिखना चाहते थे बेहद खूँखार

और रखते थे दाढ़ी।

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

सर्दियों में पानी में उबालकर पिएं ये एक चीज, सेहत के लिए है वरदान

सर्दियों में बहुत गुणकारी है इन हरे पत्तों की चटनी, सेहत को मिलेंगे बेजोड़ फायदे

DIY फुट स्क्रब : चावल के पाउडर में ये मीठी चीज मिलाकर फटी एड़ियों पर लगाएं, तुरंत दिखेगा असर

फ्रीजर में जमा बर्फ चुटकियों में पिघलाएगा एक चुटकी नमक, बिजली का बिल भी आएगा कम

सर्दियों में साग को लम्बे समय तक हरा रखने के लिए अपनाएं ये तरीके, कई दिनों तक नहीं पड़ेगा पीला

सभी देखें

नवीनतम

सांता, स्नोफ्लेक और ग्लिटर : जानिए कौन से क्रिसमस नेल आर्ट आइडियाज हैं इस साल ट्रेंड में

भारतीय ज्ञान परंपरा की संवाहक हैं शिक्षा बोर्ड की पाठ्यपुस्तकें : प्रो. रामदरश मिश्र

हड्डियों की मजबूती से लेकर शुगर कंट्रोल तक, जानिए सर्दियों की इस सब्जी के हेल्थ बेनिफिट्स

किस बीमारी से हुआ तबला उस्‍ताद जाकिर हुसैन का निधन, क्‍या होता है IPF और कैसे इससे बचें?

सीरिया में बशर सत्ता के पतन के बाद आतंकवाद बढ़ने का खतरा