मेरी आँखें हैं माँ जैसी हाथ पिता जैसे चेहरा-मोहरा मिलता होगा जरूर कुटुंब के किसी आदमी से
हो सकता है मिलता हो दुनिया के पहले आदमी से मेरे उठने बैठने का ढंग बोलने-बतियाने में हो उन्हीं में से किसी एक का रंग बहुत संभव है मैं होऊँ उनका अंश जिन्होंने देखे हों दुनिया को सुंदर बनाने के सपने क्या पता गुफाओं से पहले पहल निकलने वाले रहे हों मेरे अपने या फिर पुरखे रहे हों जगद्गुरु शिल्पी गढ़ गए हों दुनिया भर के मंदिरों में मूर्तियाँ उकेर गए हों भित्तिचित्र कौन जाने कोई पुरखा मुझ तक पहुँचा रहा हो ऋचायें और धुन रहा हो सिर
निश्चित ही मैं सुरक्षित बीज हूँ सदियों से दबा धरती में सुनता आया हूँ सिर पर गड़गड़ाते हल और लड़ाकू विमानों का गर्जन
यह समय है मेरे उगने का मैं उगूँगा और दुनिया को धरती के किस्सों से भर दूँगा मैं उनका वंशज हूँ जिन्होंने चराईं भेड़ें और लहलहा दिए मैदान
संभव है कि हमलावर मेरे कोई लगते हों कोई धागा जुड़ता दिख सकता है आक्रांताओं से पर मैं हाथ तक नहीं लगाऊँगा चीजों को नष्ट करने के लिए भस्म करने की निगाह से नहीं देखूँगा कुछ भी मेरी आँखें माँ जैसी हैं हाथ पिता जैसे।