कैसे मनाते हैं खुशियां और मिठास का पर्व लोहड़ी, पढ़ें धार्मिक महत्व

Webdunia
Lohri 2023 
 
धार्मिक पर्व : लोहड़ी एवं मकर संक्रांति एक-दूसरे से जुड़े रहने के कारण सांस्कृतिक उत्सव और धार्मिकता का एक अद्भुत त्योहार है। लोहड़ी के दिन जहां शाम के वक्त लकड़ियों की ढेरी पर विशेष पूजा के साथ लोहड़ी जलाई जाएगी, वहीं अगले दिन प्रात: मकर संक्रांति का स्नान करने के बाद उस आग से हाथ सेंकते हुए लोग अपने घरों को आएंगे। इस प्रकार लोहड़ी पर जलाई जाने वाली आग सूर्य के उत्तरायन होने के दिन का पहला विराट एवं सार्वजनिक यज्ञ कहलाता है।

लोहड़ी क्या है- 'लोहड़ी' (Lohri) पंजाब प्रांत का पर्व है, जो कि मकर संक्रांति से पहले वाली रात को सूर्यास्त के बाद मनाया जाता है। लोहड़ी का अर्थ है- ल (लकड़ी)+ ओह (गोहा यानी सूखे उपले)+ ड़ी (रेवड़ी)। इस पर्व की शुरुआत 20-25 दिन पूर्व से ही हो जाती है, जब बच्चे 'लोहड़ी' के लोकगीत गा-गाकर लकड़ी और उपले इकट्ठे करते हैं। फिर इकट्‍ठी की गई सामग्री को चौराहे/मुहल्ले के किसी खुले स्थान पर आग जलाते हैं। 
 
इस उत्सव को पंजाबी समाज बहुत ही उत्साहपूर्वक मनाता है। गोबर के उपलों की माला बनाकर मन्नत पूरी होने की खुशी में लोहड़ी के समय जलती हुई अग्नि में उन्हें भेंट किया जाता है। इसे 'चर्खा चढ़ाना' कहते हैं। इस उत्सव का एक अनोखा ही नजारा होता है। 
 
बदलते समयानुसार लोगों ने अब समितियां बनाकर भी लोहड़ी मनाने का नया तरीका निकाल लिया है। ढोल-नगाड़ों वालों की पहले ही बुकिंग कर ली जाती है। अनेक प्रकार के वाद्य यंत्रों के साथ जब लोहड़ी के गीत शुरू होते हैं तो स्त्री-पुरुष, बूढ़े-बच्चे सभी स्वर में स्वर, ताल में ताल मिलाकर नाचने लगते हैं।
 
गाने की धूम : इस अवसर पर 'ओए, होए, होए, बारह वर्षी खडन गया सी, खडके लेआंदा रेवड़ी...', इस प्रकार के पंजाबी गाने लोहड़ी की खुशी में खूब गाए जाएंगे। लोहड़ी पर शाम को परिवार के लोगों के साथ अन्य रिश्तेदार भी इस उत्सव में शामिल होते हैं।
 
मिठास का पर्व : यद्यपि बधाई के साथ अब तिल के लड्डू, मिठाई, ड्रायफूट्‍स आदि देने का रिवाज भी चल पड़ा है फिर भी रेवड़ी और मूंगफली का विशेष महत्व बना हुआ है। इसीलिए रेवड़ी और मूंगफली पहले से ही खरीदकर रख ली जाती है। बड़े-बुजुर्गों के चरण छूकर सभी लोग बधाई के गीत गाते हुए खुशी के इस जश्न में शामिल होते हैं। 
 
इस पर्व का एक यह भी महत्व है कि बड़े-बुजुर्गों के साथ उत्सव मनाते हुए नई पीढ़ी के बच्चे अपनी पुरानी मान्यताओं एवं रीति-रिवाजों का ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं ताकि भविष्य में भी पीढ़ी-दर-पीढ़ी उत्सव चलता ही रहे। वहां सभी उपस्थित लोगों को यही चीजें प्रसाद के रूप में बांटी जाती हैं। 
 
इसके साथ ही पंजाबी समुदाय में घर लौटते समय 'लोहड़ी' में से 2-4 दहकते कोयले भी प्रसाद के रूप में घर लाने की प्रथा आज भी जारी है। ढोल की थाप के साथ गिद्दा नाच का यह लोहड़ी उत्सव शाम होते ही शुरू हो जाता है और देर रात तक चलता ही रहता है।
 
कैसे मनाते हैं लोहड़ी : लोहड़ी मनाने के लिए लकड़ियों की ढेरी पर सूखे उपले भी रखे जाते हैं। समूह के साथ लोहड़ी पूजन करने के बाद उसमें तिल, गुड़, रेवड़ी एवं मूंगफली का भोग लगाया जाता है। इस अवसर पर ढोल की थाप के साथ गिद्दा और भांगड़ा नृत्य विशेष आकर्षण का केंद्र होते हैं। पंजाबी समाज में इस पर्व की तैयारी कई दिनों पहले ही शुरू हो जाती है। 
 
इस पर्व का संबंध मन्नत से जोड़ा गया है अर्थात् जिस परिवार में नई बहू आई होती है या घर में संतान का जन्म हुआ होता है, तो उस परिवार की ओर से खुशी बांटते हुए लोहड़ी मनाई जाती है। सगे-संबंधी और रिश्तेदार उन्हें लोहड़ी पर्व पर विशेष सौगात के साथ बधाइयां तथा शुभकामनाएं भी देते हैं।

Happy Lohri 2023 
 

ALSO READ: Dulla Bhatti Story : लोहड़ी पर पढ़ें पंजाब के वीर नायक दुल्ला भट्टी की कहानी

ALSO READ: lohri 2023 : इस गीत के बिना अधूरा सा लगता है लोहड़ी पर्व, पढ़ें पारंपरिक गीत
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

क्या कर्मों का फल इसी जन्म में मिलता है या अगले जन्म में?

वैशाख अमावस्या का पौराणिक महत्व क्या है?

शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि में होंगे वक्री, इन राशियों की चमक जाएगी किस्मत

Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया से शुरू होंगे इन 4 राशियों के शुभ दिन, चमक जाएगा भाग्य

Lok Sabha Elections 2024: चुनाव में वोट देकर सुधारें अपने ग्रह नक्षत्रों को, जानें मतदान देने का तरीका

धरती पर कब आएगा सौर तूफान, हो सकते हैं 10 बड़े भयानक नुकसान

घर के पूजा घर में सुबह और शाम को कितने बजे तक दीया जलाना चाहिए?

Astrology : एक पर एक पैर चढ़ा कर बैठना चाहिए या नहीं?

100 साल के बाद शश और गजकेसरी योग, 3 राशियों के लिए राजयोग की शुरुआत

Varuthini ekadashi 2024: वरुथिनी व्रत का क्या होता है अर्थ और क्या है महत्व

अगला लेख