नेशनल कॉन्फ्रेंस : तीन पीढ़ियों ने संभाली पार्टी की कमान

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शेर-ए-कश्मीर के नाम से मशहूर शेख अब्दुल्ला ने चौधरी गुलाम अब्बास के साथ मिलकर आल जम्मू-कश्मीर मुस्लिम कॉन्फ्रेंस के नाम से 15 अक्टूबर 1932 में पार्टी का गठन किया। बाद में यह पार्टी जम्मू कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नाम से पहचानी जाने लगी। सितंबर 1951 में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने सभी 75 सीटों पर जीत हासिल की और शेख अब्दुल्ला कश्मीर के प्रधानमंत्री बने। हालांकि बाद में उन्हें बर्खास्त कर दिया गया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। 
 
कांग्रेस में विलय : राजनीतिक उतार-चढ़ाव के बीच 1965 में नेशनल कॉन्फ्रेंस का विलय कांग्रेस में हो गया। बाद में अब्दु्ल्ला को राज्य के खिलाफ साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। 1977 के चुनाव के बाद शेख अब्दुल्ला फिर से कश्मीर के मुख्‍यमंत्री बने।
बहनोई ने तोड़ी पार्टी : 1982 में शेख अब्दुल्ला की मौत के बाद उनके बेटे फारूक राज्य के मुख्‍यमंत्री बने और पार्टी के प्रमुख भी। फारूक के नेतृत्व में 1983 में पार्टी फिर चुनाव जीती और वे एक बार फिर राज्य के मुख्‍यमंत्री बने। केन्द्र सरकार के इशारे पर अब्दुल्ला के बहनोई गुलाम मोहम्मद शाह ने पार्टी तोड़ दी। बाद में फारूक सरकार को बर्खास्त कर दिया गया और गुलाम को राज्य का मुख्‍यमंत्री बनाया गया।
 
अब्दुल्ला खानदान की तीसरी पीढ़ी बनी मुख्‍यमंत्री : 1987 के चुनाव के बाद फारूक अब्दुल्ला एक बार फिर राज्य के मुख्‍यमंत्री बने। 1996 के चुनाव में अब्दुल्ला ने 87 में से 57 विधानसभा सीटें जीतीं। वर्ष 2000 में फारूक ने कुर्सी छोड़ दी और उनके स्थान पर उनके बेटे उमर अब्दुल्ला मुख्‍यमंत्री बन गए। 2008 राज्य विधानसभा चुनाव में नेकां को 28 सीटें ही मिलीं, मगर उसने कांग्रेस (17) के सहयोग से सरकार बनाई।

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