कानपुर औद्योगिक शहर होने से इस सीट पर शुरुआत में ट्रेड यूनियन के नेता जीतकर संसद पहुंचते रहे, लेकिन बाद में राजनीति ने ऐसी करवट बदली कि कांग्रेस या फिर भाजपा के बीच बारी-बारी से यह सीट जाती रही। सपा और बसपा का कोई भी प्रत्याशी यहां जीत हासिल नहीं कर पाया। साल 2014 के चुनाव में भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी यहां से विजयी हुए थे।
उत्तर प्रदेश में लोकसभा की कुल 80 सीटें हैं। यहां मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा-बसपा-रालोद गठबंधन के बीच है। कहीं-कहीं कांग्रेस मुकाबले को त्रिकोणीय बना रही है। राज्य में बसपा 38, सपा 37 और रालोद 3 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। दूसरी ओर भाजपा ने 2 सीटें अपने गठबंधन सहयोगी अपना दल के लिए छोड़ी हैं।
यहां राहुल गांधी (अमेठी), सोनिया गांधी (रायबरेली), केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह (लखनऊ), मुलायम सिंह यादव (मैनपुरी), अखिलेश यादव (आजमगढ़), डिंपल यादव (कन्नौज), फिल्म अभिनेता रविकिशन (गोरखपुर) समेत कई अन्य हस्तियों की किस्मत दांव पर है। पिछले चुनाव में यहां भाजपा ने 72 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस के खाते में सिर्फ अमेठी और रायबरेली सीटें आई थीं। मायावती की बसपा तो खाता भी नहीं खोल पाई थी।