परिचय : राजकोट की स्थापना सन् 1612 ई. में जडेजा वंश के ठाकुर साहब विभाजी जडेजा ने की थी। गांधीजी ने अपना आरंभिक जीवन यहीं व्यतीय किया। सत्याग्रह की शुरुआत उन्होंने यहीं से की। प्राचीन सभ्यता और आज़ादी की लड़ाई से राजकोट का बहुत नजदीकी संबंध रहा है। राजकोट कभी सौराष्ट्र की राजधानी रहा था। महात्मा गांधी के पिता करमचंद गांधी सौराष्ट्र के दीवान थे।
जनसंख्या : लोकसभा चुनाव 2014 के मुताबिक, यहां की कुल जनसंख्या 27 लाख 21 हजार 136 है।
अर्थव्यवस्था : यह इंजीनियरिंग एवं वाहन पुर्जों के उत्पादन के लिए जाना जाता है। यहां कई कंपनियां ट्रैक्टरों का निर्माण कर रही हैं। महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी कंपनियां भी इस काम में शामिल हैं। इसे छोटे ट्रैक्टरों की जन्मस्थली भी कहा जाता है। यहां का सोनी बाज़ार गुजरात का सबसे बड़ा बाज़ार है।
मतदाताओं की संख्या : लोकसभा चुनाव 2014 के मुताबिक यहां मतदाताओं की कुल संख्या 16 लाख 55 हजार 717 है, जिसमें 8 लाख 64 हजार 760 पुरुष और 7 लाख 90 हजार 957 महिलाएं हैं।
भौगोलिक स्थिति : यह गांधीनगर से 245 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां मध्य मार्च से लेकर मध्य जून तक रहने वाली ग्रीष्म ऋतु में वातावरण अत्यंत गर्म और शुष्क रहता है। शहर को कई चक्रवातों का भी सामना करना पड़ता है, जो कई नियमित और महत्वपूर्ण घटनाओं को जन्म देते हैं।
16वीं लोकसभा में स्थिति : भाजपा के मोहन कुंदरिया यहां सांसद हैं। उन्होंने लोकसभा चुनाव 2014 में इस सीट पर कांग्रेस के कुंवरजी बावलिया को हराया था। गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता केशुभाई पटेल भी 1977 में इस सीट से सांसद रह चुके हैं। हालांकि उस समय वे भारतीय लोकदल के टिकट पर सांसद बने थे।