बनारस। लोकसभा चुनाव में देश की सबसे हाईप्रोफाइल लोकसभा सीट बनारस से भाजपा उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ अब तक ये साफ नहीं हो पाया है कि विपक्ष का चेहरा कौन होगा। अब तक किसी भी विपक्षी दल ने बनारस लोकसभा सीट से अपने उम्मीदवार के नाम का एलान नहीं किया है। इसके ठीक उलट भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की जो पहली लिस्ट जारी की थी उसमें ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बनारस से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया था।
प्रधानमंत्री मोदी 26 अप्रैल को बनारस से अपना नामांकन भी दाखिल कर देंगे इसकी घोषणा भी पार्टी पहले ही कर चुकी है। वहीं नरेंद्र मोदी को बनारस में ही हराने का दम भरने वाली कोई भी विपक्षी दल अब तक वो उम्मीदवार नहीं ढूंढ पाया है जो मोदी को चुनौती दे सके। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी जो इस बार उत्तर प्रदेश में गठबंधन में चुनाव लड़ रही है, की तरफ से भी अभी तक बनारस से पार्टी के उम्मीदवार का एलान नहीं किया गया है।
इस बीच सियासी गलियारों में बनारस से कांग्रेस की तरफ से प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जा रही है। शुक्रवार को कांग्रेस के एमएलसी और गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले दीपक सिंह के प्रियंका गांधी के बनारस से चुनाव लड़ने के बयान ने फिर अटकलों का बाजार गर्म कर दिया। ऐसे में जब सोमवार से बनारस में नामांकन भरने का सिलसिला शुरू होने वाला है तो अब विपक्षी पार्टियों के पास ज्यादा वक्त भी नहीं बचा है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या अब भी विपक्षी पार्टियों को नरेंद्र मोदी के खिलाफ मज़बूत नाम की तलाश है।
उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी कहते है कि नरेंद्र मोदी को बनारस में चुनौती देना कोई आसान काम नहीं है। अब तक मोदी के खिलाफ मैदान में कौन चेहरा होगा ये साफ नहीं होने के सवाल पर रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि अब तक तो यहीं कहा जा सकता है कि विपक्ष मोदी को घेरने के लिए कोई मजबूत चेहरा नहीं ढूंढ पाया है। मोदी के बराबर कद का नेता चुनाव में उतारना विपक्ष के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है।
वहीं प्रियंका गांधी के बनारस से चुनाव लड़ने के अटकलों पर वो कहते हैं कि कांग्रेस ऐसा करके आखिरी समय में सरप्राइज कर सकती है। रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्रियंका को चुनाव लड़ाकर कांग्रेस ये संदेश देने की कोशिश कर सकती है कि वहीं एक ऐसी पार्टी है जो भाजपा को चुनौती दे सकती है। इसका फायदा कांग्रेस को आगे मिल सकता है।
रामदत्त ये साफ कहते हैं कि अगर प्रियंका बनारस से लड़ती हैं तो उनको कई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ेगा़। अगर 2014 के चुनाव नतीजों को देखे तो नरेंद्र मोदी ने आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल को तीन लाख 71 हजार मतों से हराया था। ऐसे में इस बार विपक्ष के किसी चेहरे के सामने इस अंतर को खत्म करने के बजाए कम करना ही एक बड़ी उपलब्धि होगी।
बनारस में 19 मई को होने वाले मतदान में अब चुनाव प्रचार के लिए एक महीने से भी कम का वक्त बचा है। ऐसे में नरेंद्र मोदी को उन्हीं के गढ़ में चुनौती देना किसी भी तरह से आसान नहीं होगा।