पटना। बिहार में लोकसभा की 40 सीटों में बांका उन गिने-चुने संसदीय क्षेत्र में शुमार है, जहां वर्ष 2019 के आम चुनाव में सत्तारुढ़ जनता दल यूनाइटेड (जदयू) प्रत्याशी गिरधारी यादव, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के उम्मीदवार एवं निवर्तमान सांसद जयप्रकाश नारायण यादव और भारतीय जनता पार्टी से टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर निर्दलीय मैदान में उतरीं पुतुल कुमारी के बीच त्रिकोणीय मुकाबले के आसार हैं।
बांका सीट पर 2009 और 2014 में भी त्रिकोणीय मुकाबला रहा है। वर्ष 2009 में निर्दलीय उम्मीदवार दिग्विजय सिंह, राजद के जयप्रकाश नारायण यादव और जदयू के दामोदर राउत के बीच त्रिकोणात्मक संघर्ष हुआ था, जिसमें सिंह ने बाजी मारी थी। वर्ष 2014 के चुनाव में राजद के जयप्रकाश नारायण यादव, भाजपा की पुतुल कुमारी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के संजय कुमार के बीच त्रिकोणात्मक संघर्ष रहा, जिसमें यादव विजयी रहे। बांका से पुतुल कुमारी इससे पूर्व वर्ष 2010 के उपचुनाव में जबकि गिरधारी यादव वर्ष 1996 और वर्ष 2004 के संसदीय चुनाव में जीत हासिल कर चुके हैं।
17वें आम चुनाव (2019) में बांका संसदीय क्षेत्र से कुल 20 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं। इनमें भाजपा और जदयू के अलावा बहुजन समाज पार्टी (बसपा), झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), 13 निर्दलीय समेत 20 उम्मीदवार शामिल हैं। इस सीट पर वर्ष 2014 का चुनाव काफी दिलचस्प रहा था। पुतुल कुमारी भाजपा की उम्मीदवार थीं, जबकि उनका सीधा मुकाबला राजद के जयप्रकाश नारायण यादव से हुआ था।
मोदी लहर के बाद भी बांका सीट पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। राजद उम्मीदवार यादव ने भाजपा उम्मीदवार पुतुल कुमारी को 10144 मतों से पराजित किया था। इस चुनाव में जदयू समर्थित भाकपा प्रत्याशी संजय कुमार तीसरे नंबर पर रहे थे। इस बार जदयू राजग का हिस्सा है और तालमेल के तहत बांका सीट जदयू को मिली है।
बांका में निर्दलीय प्रत्याशी और पूर्व सांसद पुतुल कुमारी के चुनाव मैदान में आ जाने से यहां त्रिकोणीय मुकाबले के आसार हो गए हैं। जदयू प्रत्याशी गिरधारी यादव जहां एक ओर राजग के घोषित उम्मीदवार हैं तो वहीं पुतुल कुमारी खुद को राजग का असली प्रत्याशी बता रही हैं। दोनों उम्मीदवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट मांग रहे हैं। वहीं राष्ट्रमंडल खेल में निशानेबाजी की प्रतिस्पर्धा में स्वर्ण जीतने वाली अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज और अर्जुन पुरस्कार विजेता श्रेयसी सिंह अपनी मां पुतुल कुमारी के लिए लगातार प्रचार कर रही हैं।
इस सीट पर अब तक हुए चुनाव में भाजपा को कभी सफलता नहीं मिली। वर्ष 1957 में अस्तित्व में आया यह संसदीय क्षेत्र समाजवादियों का गढ़ रहा है। बांका की पहली सांसद कांग्रेस की शकुंतला देवी बनी थीं। इसके बाद वर्ष 1962 के चुनाव में भी शकुंतला देवी ही विजयी रहीं।
इस सीट पर कई दिग्गज नेता चुनाव लड़ चुके हैं। बांका से बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री चन्द्रशेखर सिंह, उनकी पत्नी मनोरमा सिंह, समाजवादी नेता मधु लिमए, जार्ज फर्नांडीस, भारतीय जनसंघ के बीएस शर्मा, पूर्व केन्द्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह, उनकी पत्नी पुतुल कुमारी भाग्य आजमा चुकी हैं। वर्ष 1998, 1999 और 2009 में दिग्विजय सिंह ने बांका क्षेत्र का संसद में प्रतिनिधित्व किया है।
इस लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली छह विधानसभा सीटों में से चार पर वर्तमान में जदयू का कब्जा है। इनमें धोरैया (सुरक्षित) से मनीष कुमार, अमरपुर से जनार्दन मांझी, बेलहर से गिरधारी यादव एवं सुल्तानगंज से सुबोध राय विधायक हैं। वहीं बांका से भाजपा के रामनारायण मंडल (वर्तमान में बिहार के भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री) जबकि कटोरिया (सुरक्षित) से राजद की स्वीटी सीमा हेम्ब्रम विधायक चुनी गई हैं।
वर्ष 2009 में नए परिसीमन में सुल्तानगंज बांका लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा बना। बांका लोकसभा क्षेत्र में करीब 16 लाख 89 हजार मतदाता हैं। इनमें आठ लाख 96 हजार पुरुष और सात लाख 91 हजार महिला मतदाता शामिल हैं, जो दूसरे चरण में 18 अप्रैल को होने वाले मतदान में 20 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला कर देंगे।