लोकसभा चुनाव में राष्ट्रवाद का मुद्दा इस बार जोर शोर से उठ रहा है। चुनाव प्रचार में भाजपा के नेता अपने हर भाषण में सेना, आतंकवाद और पाकिस्तान का जिक्र करना नहीं भूलते हैं।
प्रधाननमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से लेकर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक अपनी सभाओं में पुलवामा ह्मले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ की गई एयर स्ट्राइक का जिक्र कर राष्ट्रवाद का मुद्दा जोर शोर से उठा कर वोटरों को रिझाने की कोशिश में है। भाजपा ने अब तक अपने पूरे चुनाव प्रचार में ये बताने की कोशिश की है देश में मोदी के हाथों में ही सुरक्षित रहेगा।
पाकिस्तान और आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने और देश के दुश्मनों को सबक सिखाने की बात कह कर पार्टी नेता राष्ट्रवाद की एक नई अलख जगाकर उसके उपर अपनी सियासी रोटियां सेंकने की कोशिश में थे। इस बीच आतंकी संगठन जैश-ए- मोहम्मद के सरगना आतंकी मसूद अजहर को सयुंक्त राष्ट्र संघ ने अंर्तराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित कर दिया। ठीक चुनावी समय में आए इस फैसले ने भाजपा के लिए सोने पर सुहागा का काम किया।
मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फौरन इसे अपनी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि बताते हुए कांग्रेस पर आतंकियों के खिलाफ लचर रूख रखने के लिए निशाना साधा। नरेंद्र मोदी लगातार अपनी चुनावी सभा में आतंकी मसूद अजहर संगठन जैश-ए- मोहम्मद के पाकिस्तान स्थित आतंकी के कैंपों को ध्वस्त करने के लिए की गई एयर स्ट्राइक का जिक्र कर इसका पूरा श्रेय अपनी सरकार को दे रहे हैं।
वहीं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने गुरुवार को मध्यप्रदेश के राजगढ़ और नीमच में हुई चुनावी जनसभा में आतंकी मसूद अजहर को अतंराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया। अमित शाह ने कहा कि मसूद अजहर ने कई बम धमाके कराए, लेकिन इसे कोई अंतराष्ट्रीय आतंकी घोषित नहीं करा पाया, कल भारत के लिए स्वर्णिम दिन था, कल मसूद अजहर को अंतराष्ट्रीय आतंकी घोषित किया गया, नरेंद्र मोदी जी ने अपनी कूटनीति से पाकिस्तान को अलग थलग करने का काम किया है।
इसके साथ ही अमित शाह ने अपने भाषणों में लोगों को ये बताने की कोशिश की कांग्रेस पार्टी की पाकिस्तान और आतंकियों के खिलाफ नरम रूख अपनाती है वहीं भाजपा सरकार ने पिछले पांच सालों में पाकिस्तान और आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दिया है। राष्ट्रवाद पर भाजपा के इन हमलों के बाद कांग्रेस बैकफुट पर दिखाई दे रही है।
कांग्रेस के तरफ से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मोर्चा संभालते हुए कहा कि उनकी सरकार के के समय एक नई 6-6 सर्जिकल स्ट्राइक हुई। मनमोहन सिंह ने कहा कि हमारे कार्यकाल में कई सर्जिकल स्ट्राइक हुई। हमारे लिए सैन्य अभियान सामरिक सुरक्षा और भारत विरोधी तकातों को जवाब देने लिए थे न कि वोट बटोरने के लिए। ऐसे में जब अभी तीन अहम चरणों का चुनाव बाकी है तो मसूद अजहर का मुद्दा यकीनन तौर पर भाजपा के राष्ट्रवाद फॉर्मूले में चुनावी तड़के का काम कर रहा है और भाजपा इसको भरसक भुनाने की कोशिश में है।
राष्ट्रवाद पर भाजपा को क्यों भरोसा – भाजपा ने इस बार पूरा लोकसभा चुनाव राष्ट्रवाद के मुद्दें पर लड़ा है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि भाजपा इस बार क्यों प्रखर राष्ट्रवाद का मुद्दा जोर शोर से उठा रही है। नब्बे के दशक मे राममंदिर और कट्टर हिंदुत्व के सहारे 2 सांसदों से देश की सत्ता तक पहुंचने वाली भाजपा को इस चुनाव में कोई ऐसा मुद्दा नहीं दिख रहा था जिसके सहारे पार्टी वोटरों का ध्रुवीकरण कर सके। जो नरेंद्र मोदी 2014 में विकास और हिंदुत्व के चेहरे के रुप में सामने आए थे उन पर विपक्ष कई गंभीर आरोप लगा रहा था।
भाजपा के चुनावी रणनीतिकार कोई ऐसा मुद्दा तलाश रहे थे कि कैसे एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक मजबूत चेहरे के रुप में लोगों के सामने प्रस्तुत किया जाए। इसी बीच पुलवामा हमले के बाद भारत ने जिस तरह बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी कैंपों को खत्म करने के लिए एयर स्ट्राइक की पार्टी ने इस मुद्दें को लपक लिया। भाजपा ने चुनाव से ठीक पहले देश में राष्ट्रवाद का माहौल बना दिया। भाजपा की नजर राष्ट्रवाद के सहारे देश के उन 15 करोड़ युवा वोटरों पर भी है जो नई सरकार का भविष्य लिखने मे बहुत ही बड़ी भूमिका निभाएंगे।
वेबदुनिया ने भी जब ऐसे युवा वोटरों से बात की तो उन्होंने राष्ट्र को सबसे पहले बताया। ऐसे में अब तक विपक्ष भाजपा के इस राष्ट्रवाद की काट नहीं ढूंढ पाया है सिवाए उसके नेता गाहे बगाहे पुलवामा हमले पर सवाल उठाते रहे। इसी कड़ी में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में एनसीपी नेता शंकर सिंह वघेला का वो बयान है जिसमें उन्होंने पुलवामा हमले की तुलना गोधरा कांड से करते हुए इसके पीछे साजिश की बात कही है।