Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

आखिर मोदी को क्यों लग रहा है कि वोटिंग से पहले बनारस का चुनाव जीत गए

'वेबदुनिया' की खास खबर

हमें फॉलो करें आखिर मोदी को क्यों लग रहा है कि वोटिंग से पहले बनारस का चुनाव जीत गए

विशेष प्रतिनिधि

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को दूसरी बार बनारस लोकसभा सीट से अपना नामांकन भर दिया। अपना नामांकन भरने से पहले और बाद में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कुछ ऐसे बयान दिए जिसको देख और सुनकर ये लग रहा है कि भाजपा और खुद नरेन्द्र मोदी ने मान लिया है कि बनारस में अब उनके लिए कोई चुनौती नहीं है और अब बनारस में चुनाव जीतना सिर्फ औपचारिकता की बात है।
 
मोदी के चार अहम बयान-
 
'इस चुनाव के दो पहलू हैं- एक काशी लोकसभा जीतना, मेरे हिसाब से यह काम कल पूरा हो गया। एक काम अभी बाकी है पोलिंग बूथ जीतना।'
 
'मोदी सबसे ज्यादा वोटों से जीतें या न जीतें, ये रिकॉर्ड का मुद्दा है ही नहीं, दुनिया पूछेगी नहीं, अरे तुम तो प्रधानमंत्री हो, तुम जीत के आए हो उसमें क्या है?'  
 
'बनारस का चुनाव ऐसा होना चाहिए कि देश के पॉलिटिकल पंडितों को उस पर किताब लिखने का मन कर जाए।'
 
'मीडिया वालों को बनारस के चुनाव में कोई इंट्रेस्ट नहीं रहेगा। उनका टीआरपी खत्म हो गया। वो मान लेंगे कि मोदी कल बनारस जीत गए।'
 
प्रधानमंत्री मोदी का ये बयान अपने आप में काफी अहम है। सवाल ये उठ खड़ा हुआ है कि आखिर भाजपा क्यों ऐसा मान बैठी है कि बनारस से अब नरेन्द्र मोदी को हरा पाना किसी भी मौजूदा विपक्षी चेहरे के लिए असंभव है। बनारस में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सामने कांग्रेस और महागठबंधन की तरफ से जो भी उम्मीदवार उतारे गए हैं, वो चेहरे मोदी की तुलना में काफी कमजोर माने जा रहे हैं। मोदी के खिलाफ बनारस से प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने के कयासों के बाद कांग्रेस ने गुरुवार को अजय राय को अपना उम्मीदवार बना दिया।
 
अजय राय जिन्होंने राजनीति में कदम भाजपा के सहारे ही रखा था, पिछला चुनाव कांग्रेस के टिकट पर ही मोदी से बुरी तरह हार चुके हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में अजय राय को मात्र 75 हजार वोट मिले थे और वो अपनी जमानत जब्त करवा बैठे थे। ऐसे में वो मोदी को कितनी चुनौती दे पाएंगे, इस पर संशय है।
 
वहीं महागठबंधन की ओर से समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार शालिनी यादव का लो प्रोफाइल चेहरा होना और अब तक कोई बड़ा चुनाव नहीं लड़ना अपने आप में उनकी उम्मीदवारी पर सवाल उठाता है, वहीं अगर 2014 के चुनाव की बात करें तो अरविंद केजरीवाल चुनाव में मोदी के सामने एक ऐसा बड़ा चेहरा था जिसकी अपनी एक पहचान थी लेकिन इस बार चुनाव में वैसा कुछ नहीं है।
 
1991 में राम मंदिर आंदोलन के सहारे जिस भाजपा ने देश की राजनीति में अपनी पकड़ बनाई थी, नरेन्द्र मोदी आज उस भाजपा के सबसे बड़े चेहरे हैं। राजनीतिक पंडित भी मानते हैं कि आज नरेन्द्र मोदी को चुनौती देने वाला कोई भी चेहरा देश की राजनीति में नजर नहीं आता। वहीं अगर आंकड़ों की बात करें तो बनारस से नरेन्द्र मोदी ने 2014 का लोकसभा चुनाव एक बड़े अंतर से जीता था।
 
चुनाव में नरेन्द्र मोदी को 5 लाख 81 हजार और अरविंद केजरीवाल को 2 लाख 10 हजार से अधिक वोट मिले थे। वहीं उत्तरप्रदेश में उस समय सत्ता में काबिज समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार समेत कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थे। नरेन्द्र मोदी ने आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल को 3 लाख 71 हजार से अधिक वोटों से हराया था। ऐसे में इस बड़े अंतर को पाट पाना बनारस में मौजूदा किसी भी उम्मीदवार के लिए असंभव-सा दिखता है।
 
2014 में जब नरेन्द्र मोदी ने बनारस से लोकसभा चुनाव लड़ा था तो उस समय उत्तरप्रदेश में सपा की सरकार थी और आज जब मोदी दोबारा बनारस से चुनावी मैदान में हैं तो उत्तरप्रदेश में भाजपा की सरकार है। आज भाजपा दावा करती है कि वो विश्व में सबसे बड़ी सक्रिय कार्यकर्ताओं वाली पार्टी है और आज प्रधानमंत्री ने खुद उन बूथ कार्यकर्ताओं को संदेश दिया है कि अब उनके सामने अपना बूथ जीतने की जिम्मेदारी है।
 
वहीं अपना नामांकन भरने के बाद मीडिया से बात करते हुए प्रधानमंत्री का ये कहना कि 'अब कुछ लोग माहौल बनाने लगेंगे कि मोदी तो जीत गया, वोट तो नहीं करोगे तो चलेगा' ये भाजपा के उन समर्थकों के लिए खास मैसेज है कि उनको बड़ी संख्या में मतदान कर मोदी को बड़ी जीत दिलाना है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

सीधी में मोदी मैजिक के सहारे हैट्रिक की तैयारी में भाजपा