भोपाल। लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने भोपाल से कांग्रेस दिग्विजयसिंह के सामने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को मैदान में उतारकर क्या वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश की है। यह अब सबसे बड़ा सवाल है।
दिग्विजय के भोपाल से लोकसभा चुनाव लड़ने के एलान के बाद संघ किसी ऐसे चेहरे को उतारने का प्लान कर रहा था, जिसके बल पर वोटों का ध्रुवीकरण हो सके। संघ की तरफ से केंद्रीय मंत्री उमा भारती और साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का नाम भाजपा को भेजा गया था। उमा भारती के चुनाव लड़ने से ही इंकार के बाद भाजपा ने साध्वी प्रज्ञा के नाम पर अपनी मोहर लगा दी।
अपने बयानों के जरिए संघ पर निशाना साधने वाले दिग्विजय को चुनाव में घेरने के लिए संघ ने जो व्यूह रचना तैयार की थी, साध्वी के नाम का एलान उसी की एक कड़ी है। संघ चाहता था कि भोपाल में सिंह के सामने ऐसे चेहरे को चुनावी मैदान में उतारा जाए जिससे वोटों का ध्रुवीकरण किया जा सके और अधिक से अधिक मतदान कराए जा सके।
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर से भी जब वेबदुनिया ने उनके चुनाव लड़ने के मुख्य एजेंडे के बारे में पूछा था तो उन्होंने बड़ी बेबाकी से हिन्दुत्व और राष्ट्रवाद के मुद्दे पर चुनाव लड़ने की बात कही। इसके बाद अब एक बात तय है कि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के चेहरे के सहारे भाजपा और संघ चुनाव में धर्मिक तुष्टिकरण की राह पर आगे बढ़ाते हुए दिखाई देंगे।
संघ ने इसके लिए दिग्विजय की हिन्दू विरोधी और देश विरोधी छवि को उभारने की तैयारी कर ली है। साध्वी प्रज्ञा कहती हैं कि दिग्विजय और कांग्रेस ने जिस तरह देशभक्त लोगों को आतंकवादी बताकर जेल में डाला और उन पर अत्याचार किया उसको वो चुनाव में जनता के सामने ले जाएंगी। वहीं, संघ दिग्विजय के भगवा आतंकवाद और संघ को हिन्दुओं का आतंकी संगठन वाले बयान को भी साध्वी के जरिए वोटरों को रिझाने की कोशिश करेगा।
भोपाल सीट पर वोटों का गणित : भोपाल लोकसभा सीट पर कुल वोटरों की संख्या 21 लाख से अधिक है। इनमें 5 लाख से अधिक मुस्लिम वोटर हैं, जो कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक माने जाते हैं। अगर 2014 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी उम्मीदवार आलोक संजर ने कांग्रेस उम्मीदवार पीसी शर्मा को 3 लाख 70 हजार से अधिक वोटों से हराया था।
संजर को सात लाख से अधिक वोट हासिल हुए थे वहीं इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस खाई को पाट दिया है। कांग्रेस ने भोपाल में सात विधानसभा सीटों में से तीन पर कब्जा कर लिया है। इस वक्त बीजेपी के पास केवल 63 हजार की बढ़त हासिल है। ऐसे में इस बार लोकसभा चुनाव में वोटरों को ध्रुवीकरण करने में बीजेपी और कांग्रेस कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी।