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कानपुर की जनता ने कभी नहीं दी सपा-बसपा को तरजीह

हमें फॉलो करें कानपुर की जनता ने कभी नहीं दी सपा-बसपा को तरजीह

अवनीश कुमार

कानपुर। कानपुर नगर जनपद के अंतर्गत आने वाली कानपुर लोकसभा सीट पूरी तरह से शहरी सीट है। जिसके चलते यहां पर सपा और बसपा का जातीय जादू कभी नहीं चल पाया और जनता ने कभी भी इन पार्टियों को तरहीज नहीं दी। हालांकि अबकी बार सपा, बसपा और रालोद का गठबंधन है और यह सीट सपा के खाते में आई है। इसको लेकर लेकर सपा कार्यकर्ता उत्साहित हैं। इस बीच, कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता श्रीप्रकाश जायसवाल को कानपुर से उम्मीदवार बनाने की घोषणा कर दी गई है। 
 
पिछले आंकड़ों पर गौर करें तो गठबंधन के सभी वोट मिला भी दिए जाएं तो भी लड़ाई में सपा नहीं आती दिख रही है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस जितनी कमजोर हुई उतना ही क्षेत्रीय दल सपा और बसपा मजबूत हुए, लेकिन कानपुर लोकसभा सीट में दोनों पार्टियों का आज तक वजूद नहीं बन सका, जबकि दोनों पार्टियों की प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार रह चुकी है। इसके बावजूद यहां का मतदाता सपा और बसपा को कभी भी तरजीह नहीं देता।
 
लोकसभा चुनाव 2014 में मोदी लहर के सामने दोनों पार्टियां कहीं भी नहीं टिक सकीं। सपा के प्रत्याशी सुरेंद्र मोहन अग्रवाल को महज 25723 वोट ही मिल सके, वहीं बसपा प्रत्याशी मुस्लिम होने के चलते 50 हजार का आंकड़ा पार कर गया। बसपा प्रत्याशी सलीम अहमद को 53218 वोट मिले थे, जबकि भाजपा प्रत्याशी डॉ. मुरली मनोहर जोशी को 4 लाख 74 हजार 712 मत मिले थे तो वहीं दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस प्रत्याशी श्रीप्रकाश जायसवाल को 2 लाख 51 हजार 766 वोट मिले, जबकि इस दौरान प्रदेश में सपा सरकार रही, इसके बावजूद उसका प्रत्याशी लगभग 25 हजार ही मत पा सका।
 
इसी तरह लोकसभा चुनाव 2009 के दौरान प्रदेश में बसपा की सरकार थी और मायावती ने सोशल इंजीनियरिंग के चलते यहां से सुखदा मिश्रा को मैदान में उतारा, फिर भी बसपा प्रत्याशी 50 हजार का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाईं और उन्‍हें महज 48374 मत ही मिल सके, वहीं सपा प्रत्याशी सुरेंद्र मोहन अग्रवाल को 34919 मतों से ही संतोष करना पड़ा, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी जायसवाल को 2 लाख 14 हजार 988 मत और भाजपा प्रत्याशी सतीश महाना जो उस समय लगातार पांच बार से विधायक थे और वर्तमान उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री हैं, उनको 1 लाख 96 हजार 82 मतों से संतोष करना पड़ा।
 
यह आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि कानपुर सीट पर सपा और बसपा का कुछ खास वजूद नहीं है। हालांकि लोकतांत्रिक चुनावों में आंकड़ेबाजी नहीं चलती और चुनावी माहौल मायने रखता है। इस बार तो प्रदेश में सपा, बसपा और रालोद का गठबंधन है, जिसको लेकर इन दिनों गठबंधन के नेता लगातार बैठकें कर चुनावी जीत का दंभ भर रहे हैं।
 
सपा के नगर अध्यक्ष मोइन खान ने बताया कि जनता भाजपा सरकार से त्रस्त हो चुकी है और इस बार कानपुर की जनता गठबंधन प्रत्याशी को भारी मतों से जिताने जा रही है। बसपा के नगर अध्यक्ष सुरेंद्र कुशवाहा ने कहा कि अबकी बार गठबंधन प्रत्याशी मजबूती के साथ चुनाव लड़ेगा और जीत भी होगी।

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