छत्तीसगढ़ : टिकट बंटवारे से बढ़ सकती है भाजपा की मुश्किलें, नए चेहरों पर उठने लगे सवाल

विकास सिंह
मंगलवार, 26 मार्च 2019 (09:44 IST)
रायपुर। छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के लिए तस्वीर साफ हो गई है। सोमवार देर रात कांग्रेस ने दुर्ग और कोरबा सीट पर अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान करने के साथ ही कांग्रेस और बीजेपी ने सभी 11 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया है।
 
बीजेपी ने इस बार छत्तीसगढ़ में अपने सभी 10 वर्तमान सांसदों को टिकट काटकर ऐसे चेहरों पर दांव लगाया है जिन पर अभी से सवाल उठने शुरू हो गए हैं।
 
पार्टी ने कुछ सीटों पर ऐसे उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है जिन पर पार्टी विधानसभा चुनाव में दांव लगाने को तैयार नहीं हुई थी वहीं दूसरी ओर विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई कांग्रेस ने एक बार अपने दिग्गज नेताओं को चुनावी मैदान में उतारा है।
 
कांग्रेस ने अपने कई मौजूदा विधायकों को लोकसभा का टिकट देने के साथ दिग्गज नेताओं के रिश्तेदारों को भी टिकट दिया है। ऐसे में बड़ा सवाल यही खड़ा हो रहा है कि क्या टिकट बंटवारे ने ही बीजेपी और कांग्रेस के बीच बड़ी खाई पैदा कर दी है जिसको पाट पाना बीजेपी के लिए इन हालातों में नामुमकिन तो नहीं लेकिन आसान भी नहीं होगा।
 
रायपुर : रायपुर में बीजेपी ने अपने 7 बार के सांसद रमेश बैस का टिकट काटकर पूर्व महापौर सुनील सोनी को चुनावी मैदान में उतारा है तो दूसरी ओर कांग्रेस ने रायपुर से वर्तमान महापौर प्रमोद दुबे पर दांव लगाया है।
 
वर्तमान और पूर्व महापौर की लड़ाई में वर्तमान महापौर का पलड़ा भारी दिख रहा है। बीजेपी को अपना गढ़ बचाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ेगी। अपना टिकट कटने पर वर्तमान सांसद रमेश बैस नाराजगी भी जता चुके हैं तो बीजेपी ने जिन सुनील सोनी को टिकट दिया है वे विधानसभा चुनाव में भी टिकट के दावेदार थे लेकिन तब पार्टी ने उनको तवज्जो नहीं दी थी।
 
बिलासपुर : छत्तीसगढ़ के दूसरे बड़े शहर बिलासपुर में इस बार बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी। कांग्रेस ने बिलासपुर लोकसभा सीट से प्रदेश महामंत्री अटल श्रीवास्तव को मौका दिया है तो बीजेपी ने आरएसएस के करीबी अरुण साव को चुनावी मैदान में उतारा है।
 
अटल श्रीवास्तव जहां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी माने जाते हैं तो अरुण साव पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल के नजदीकी हैं। विधानसभा चुनाव से पहले अमर अग्रवाल मंत्री रहते हुए उनके घर पर कालिख पोतने के आरोप में पुलिस ने अटल श्रीवास्तव की बेरहमी से पिटाई की थी। ऐसे में अब जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है तो इसका फायदा अटल श्रीवास्तव को मिल सकता है।
 
राजनांदगांव : छत्तीसगढ़ की सबसे प्रतिष्ठित लोकसभा सीट पर इस बार नजारा बदला हुआ है। छत्तीसगढ़ बनने के बाद सबसे हाईप्रोफाइल सीट में शुमार राजनांदगांव से पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह का टिकट काटते हुए संतोष पांडे को टिकट दिया है, वहीं कांग्रेस ने अपने दिग्गज नेता भोलाराम साहू को टिकट दिया है।
 
कांग्रेस भोलाराम साहू के जरिए इस सीट पर सेंध लगाने की फिराक में हैं। इस सीट पर बीजेपी हाईकमान के निर्णय के बाद पार्टी के कार्यकर्ताओं ने ही सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं जिसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है।
 
कोरबा : राज्य की इस हाईप्रोफाइल सीट पर इस बार मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है। कांग्रेस ने कोरबा सीट से विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत को टिकट दिया है तो बीजेपी के उम्मीदवार ज्योतिनंद दुबे को अभी से पार्टी के अंदर ही विरोध होने लगा है।
 
इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और जनता कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजीत जोगी ने भी कोरबा से लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। अजीत जोगी के चुनाव लड़ने से मुकाबला त्रिकोणीय हो जाएगा।
 
दुर्ग : 2014 में कांग्रेस ने मोदी लहर के बाद भी इस सीट पर जीत हासिल की थी। इस बार दुर्ग में कांग्रेस ने प्रतिमा चंद्राकर को टिकट दिया है तो बीजेपी ने विजय बघेल को टिकट दिया है। दिलचस्प बात यह है कि बीजेपी उम्मीदवार विजय बघेल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के रिश्तेदार हैं।
 
पाटन से विधायक रहे विजय बघेल 2008 के विधानसभा चुनाव में भूपेश बघेल को हरा भी चुके हैं। इसके साथ ही दुर्ग बीजेपी की बड़ी नेता सरोज पांडे का गृह क्षेत्र भी है।
 
महासमुंद : कांग्रेस ने महासमुंद से अपने दिग्गज नेता और अभनपुर से वर्तमान विधायक धनेंद्र साहू पर दांव लगाया है तो बीजेपी ने पूर्व विधायक चुन्नीलाल साहू को अपना उम्मीदवार बनाया है। दोनों ही पार्टियों ने जातिगत समीकरण को ध्यान में रखते हुए टिकट वितरण किया है। बीजेपी ने जिन चुन्नीलाल साहू पर दांव लगाया है उनका टिकट पार्टी ने विधानसभा चुनाव में काट दिया था।
 
बस्तर : राज्य के नक्सल प्रभावित इलाके बस्तर में भी इस बार बीजेपी और कांग्रेस के बीच रोमांचक टक्कर देखने को मिल सकती है। बस्तर में कांग्रेस ने दीपक बैज को तो बीजेपी ने अपने जिला अध्यक्ष बैदूराम कश्यप को चुनावी मैदान में उतारा है।
 
खास बात यह है कि 2013 के विधानसभा चुनाव में भी ये दोनों प्रत्याशी आमने सामने थे, चुनावी मुकाबले कांग्रेस बीजेपी पर भारी पड़ी थी।
 
कांकेर : कांग्रेस में कांग्रेस ने बीरेश ठाकुर को अपना उम्मीदवार बनाया है तो बीजेपी ने मोहन मंडावी पर दांव लगाया है। मांडवी RSs के करीबी होने के साथ-साथ प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी के करीबी भी माने जाते हैं, वहीं कांग्रेस उम्मीदवार बीरेश ठाकुर युवा चेहरा है।
 
सरगुजा : कांग्रेस के दिग्गज नेता और मंत्री टीएस सिंहदेव के प्रभाव वाली इस सीट पर कांग्रेस ने खेलसाय सिंह को उम्मीदवार बनाया है तो बीजेपी ने रेणुका सिंह को उम्मीदवार बनाया है। रेणुका सिंह दो बार विधायक और एक बार मंत्री भी रही है वहीं कांग्रेस उम्मीदवार वर्तमान में विधायक होने के साथ-साथ तीन बार सरगुजा से सांसद भी रह चुके हैं।
 
रायगढ़ : रायगढ़ में कांग्रेस के वर्तमान विधायक लालजीत सिंह राठिया को चुनावी मैदान में हैं तो बीजेपी ने जशपुर की जिला पंचायत अध्यक्ष गोमती साय पर दांव लगाया है। रोचक बात यह है कि बीजेपी ने यहां से केंद्रीय मंत्री विष्णुदेव साय का टिकट काटा है।
 
जांजगीर-चांपा : जांजगीर चांपा में कांग्रेस के रवि भारद्धाज और बीजेपी के गुहाराम अजगले के बीच सीधा मुकाबला है। इस सीट पर बीजेपी ने कांग्रेस के मुकाबले मजबूत उम्मीदवार उतारा है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

Pakistan के लिए जासूसी कर रहे आरोपी को ATS ने पकड़ा, पाकिस्तानी सेना और ISIS को भेज रहा था जानकारी

बांग्लादेश को भारत की फटकार, हिन्दुओं की सुरक्षा की ले जिम्मेदारी

ताजमहल या तेजोमहालय, क्या कहते हैं दोनों पक्ष, क्या है इसके शिव मंदिर होने के सबूत?

EPFO 3.0 में होंगे बड़े बदलाव, ATM से निकाल सकेंगे PF का पैसा, क्या क्या बदलेगा?

नीबू हल्‍दी से कैंसर ठीक करने का नुस्‍खा बताकर फंसे नवजोत सिंह सिद्धू, ठोका 850 करोड़ का केस

सभी देखें

नवीनतम

LIVE: संभल में सुरक्षा सख्‍त, सपा प्रतिनिधिमंडल को पुलिस ने रोका

दिल्ली में कानून व्यवस्था का सवाल, भाजपा और आप में सियासी संग्राम

संभल में 10 दिसंबर से बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक

संजय शिरसाट ने बताया, महाराष्‍ट्र सरकार में गृह विभाग क्यों चाहती है शिवसेना?

इंदौर में पंडित धीरेंद्र शास्त्री, इन रास्तों पर जाने से बचें

अगला लेख