कितने सटीक होते हैं Exit Poll, जानिए इससे जुड़ीं 5 बातें

Webdunia
रविवार, 19 मई 2019 (16:48 IST)
लोकसभा चुनाव 2019 के अंतिम चरण का मतदान खत्म होते ही Exit Poll के रिजल्ट्‍स की घोषणा हो जाएगी। राजनीति में रुचि रखने वाला हर व्यक्ति Exit Poll का बेसब्री से इंतजार करता है।
 
राजनीति के विशेषज्ञों के मुताबिक Exit Poll लोगों से ली गई राय का वह अनुमान होता है जिससे चुनाव के परिणाम की यह तस्वीर साफ हो जाती है कि सत्ता किसके हाथ में आएगी? जानिए Exit Poll से जुड़ीं 5 बातें-
 
1. मतदान वाले दिन मतदाताओं से उनके मत के बारे में पूछा जाता है। इस आधार पर किए गए सर्वे के बाद जो रिजल्ट सामने आते हैं, उन्हें ही Exit Poll कहा जाता है।
 
2. खबरों के अनुसार 15 फरवरी 1967 में पहली बार नीदरलैंड्स में एग्जिट पोल चलन में आया था। भारत में सबसे पहले एग्जिट पोल 1960 में सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलेपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) ने जारी किए थे।
 
3. एग्जिट पोल के लिए तमाम एजेंसीज वोट डालने के तुरंत बाद मतदाता से उनकी राय जानती हैं और उन्हीं रायों के आधार एग्जिट पोल के नतीजे तैयार किए जाते हैं। सर्वे से एग्जिट पोल की घोषणा की जाती है और अनुमान लगाया जाता है कि चुनाव परिणाम में कौन सी पार्टी सबसे ज्यादा वोट बटोर सकती है और चुनाव परिणाम के बाद अपनी पार्टी बना सकती है।
 
4. भारत में जहां चुनाव विकास से लेकर जाति-धर्म जैसे तमाम मुद्दों पर लड़ा जाता है, ऐसे में मतदाता ने किसको वोट दिया है, यह पता करना भी आसान नहीं है। अक्सर मतदाता इस सवाल का सही जवाब नहीं देते कि उन्होंने किसे वोट दिया? इस कारण से एग्जिट पोल्स चुनावी नतीजों से उलट भी आते हैं।
 
5. बीते एग्जिट पोल के नतीजों को देखें तो 2015 में तमिलनाडु के चुनाव और 2015 में बिहार के विधानसभा चुनाव के समय यह गलत साबित हुआ था। वर्ष 2004 में हुए लोकसभा चुनाव की बात करें तो तब भी एग्जिट पोल के अनुमानित नतीजे बिलकुल ही गलत साबित हुए थे। 2004 में एग्जिट पोल के नतीजों को धता देते हुए कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए ने केंद्र में सरकार बनाई थी। 2014 में एग्जिट पोल ने साफ कर दिया था कि मोदी लहर में भाजपा सरकार बनाने जा रही है।

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