लोकसभा चुनाव 2019 : छोटे दलों के बढ़ते वोट प्रतिशत ने इन्‍हें बनाया महत्वपूर्ण

Webdunia
शुक्रवार, 5 अप्रैल 2019 (14:39 IST)
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में पिछले 3 दशकों के दौरान निर्दलीय उम्मीदवारों और क्षेत्रीय एवं छोटे दलों के वोट प्रतिशत में करीब दोगुना वृद्धि दर्ज की गई और इस दौरान हुए 7 चुनावों में से 6 में केंद्र में सरकार क्षेत्रीय एवं छोटे दलों के सहयोग से बनी। इस दौरान कुछ नए और छोटे दलों का भी प्रादुर्भाव हुआ, जो सियासी बिसात पर आज महत्वपूर्ण भूमिका में हैं।
 
1991 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा सहित राष्ट्रीय दलों का वोट प्रतिशत 80.7 था, जो 2014 में घटकर 60.7 प्रतिशत दर्ज किया गया। इस अवधि में निर्दलीय उम्मीदवारों तथा क्षेत्रीय एवं छोटे दलों के वोट प्रतिशत में करीब 2 गुना वृद्धि दर्ज की गई। 1991 में निर्दलीय उम्मीदवारों और क्षेत्रीय एवं छोटे दलों का वोट प्रतिशत करीब 19 प्रतिशत था, जो 2014 में बढ़कर 37.8 प्रतिशत पर आ गया।
 
चुनाव आयोग से प्राप्त चुनाव परिणाम के आंकड़ों के अनुसार बहुजन समाज पार्टी को 1991 के चुनाव में 1.8 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए थे, जो 2014 में बढ़कर 4.2 प्रतिशत हो गए। अन्नाद्रमुक को 1991 के लोकसभा चुनाव में 1.61 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए, जो 2014 में 3.27 प्रतिशत हो गए।
 
इसी प्रकार से 1991 के 0.79 प्रतिशत वोट की तुलना में शिवसेना का वोट प्रतिशत बढ़कर 2014 में 1.81 प्रतिशत हो गया। समाजवादी पार्टी को 1996 के चुनाव में 3.28 प्रतिशत वोट मिले थे, जो 2014 में 3.20 प्रतिशत रह गए। 1999 के चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को 2.57 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए थे, जो 2014 में बढ़कर 3.84 प्रतिशत हो गए।
 
माकपा के वोट प्रतिशत में हालांकि इस अवधि में गिरावट आई। पार्टी को 1991 में 6.14 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए थे, जो 2014 में घटकर 3.25 प्रतिशत दर्ज किए गए। इस अवधि में तेलुगुदेशम पार्टी का वोट एक समान बना रहा। इस अवधि में कुछ पुराने छोटे एवं क्षेत्रीय दलों के वोट प्रतिशत में गिरावट दर्ज की गई जबकि नए छोटे दलों का प्रादुर्भाव हुआ, जो सियासी बिसात पर आज महत्वपूर्ण भूमिका में हैं।
 
राष्ट्रीय जनता दल को 1998 के चुनाव में 2.78 प्रतिशत वोट मिला, जो 2014 में घटकर 1.34 प्रतिशत हो गया। जदयू का 2004 में वोट प्रतिशत 2.35 प्रतिशत था, जो 2014 में 1.08 प्रतिशत दर्ज किया गया। राकांपा का वोट प्रतिशत 1999 में 2.27 प्रतिशत था, जो 2014 में घटकर 1.56 प्रतिशत दर्ज किया गया। पिछले चुनाव में टीआरएस 1.22 प्रतिशत वोट, वाईएसआर कांग्रेस 2.53 प्रतिशत वोट, अपना दल 0.15 प्रतिशत वोट, आप 2.05 प्रतिशत वोट के साथ अपना प्रभाव छोड़ने में सफल रही।
 
पिछले चुनाव में पीस पार्टी ऑफ इंडिया, पीसेंट एंड वर्कर्स पार्टी, ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन, राष्ट्रीय समाज पक्ष, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया, कौमी एकता दल, भारतीय बहुजन महासंघ, बहुजन विकास अघाड़ी, झारखंड पार्टी, स्वाभिमानी शेटकारी संगठन, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी जैसे दलों का वोट प्रतिशत 0.04 से 0.15 प्रतिशत के बीच रहा।
 
साल 1996 के चुनाव में कांग्रेस एवं भाजपा सहित राष्ट्रीय दलों को करीब 69 प्रतिशत वोट प्राप्त हुआ था। जबकि निर्दलीय, क्षेत्रीय एवं छोटे दलों को करीब 30 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए थे। इसमें निर्दलीयों को 6.28 प्रतिशत तथा अन्य को 4.61 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे। 1996 में भी करीब 8% वोट हासिल करने वाले जनता दल की अगुआई में संयुक्त मोर्चे की सरकार बनी, जबकि 20% वोट हिस्सेदारी वाली भाजपा बहुमत नहीं जुटा पाई और अटल बिहारी वाजपेयी को 13 दिन में इस्तीफा देना पड़ा था।
 
1998 के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय दलों को करीब 64 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे जबकि क्षेत्रीय एवं छोटे दलों को 32 प्रतिशत मत प्राप्त हुए और निर्दलीयों को 2.37 प्रतिशत मत प्राप्त हुए। 1999 के चुनाव में भाजपा, कांग्रेस समेत राष्ट्रीय दलों को 67 प्रतिशत मत प्राप्त हुए जबकि क्षेत्रीय एवं छोटे दलों को 26 प्रतिशत मत मिले। निर्दलीयों को 2.74 प्रतिशत एवं अन्य को 2.9 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे।
 
2004 के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय दलों को 64 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए थे जबकि क्षेत्रीय एवं छोटे दलों को 29 प्रतिशत वोट मिले थे। इस चुनाव में करीब 6 प्रतिशत वोट निर्दलीय एवं अन्य को प्राप्त हुए थे। वहीं 2009 के चुनाव में कांग्रेस एवं भाजपा सहित राष्ट्रीय दलों को 64 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे जबकि छोटे एवं क्षेत्रीय दलों को 28 प्रतिशत वोट मिले थे। निर्दलीयों को 5.19 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए थे।

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