भोपाल। मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए तीसरे चरण के लिए आज से नामांकन भरने की प्रक्रिया शुरु हो गई है। प्रदेश में तीसरे चरण में 8 लोकसभा सीटों मुरैना, भिंड, ग्वालियर, गुना, राजगढ़, सागर, विदिशा और भोपाल में 7 मई को मतदान होगा। इन 8 सीटों पर नामांकन भरने की प्रक्रिया आज से शुरु होकर 19 अप्रैल तक चलेगी। जिन सीटों पर आज से नामांकन भरने की प्रक्रिया शुरु हो रही है उसमें सबकी निगाहें राजगढ़ लोकसभा सीट पर लग गई है। आखिर क्यों नामांकन में राजगढ़ लोकसभा सीट महत्वपूर्ण बन गई है, आइए देखते है।
राजगढ़ में 400 नामांकन कराने की तैयारी- राजगढ़ लोकसभा सीट पर मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह चुनाव लड़ रहे है और वह चाहते है कि राजगढ में ईवीएम की जगह बैलेट से चुनाव हो। कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह अपने चुनाव प्रचार के दौरान लोगों से वोट मांगने के साथ-साथ चुनाव लड़ने की बात करते हुए 400 से अधिक नामांकन दाखिल करने की अपील कर रहे है।
दिग्विजय सिंह का दावा है कि 400 से अधिक उम्मीदवार होने पर राजगढ़ में मतपत्र के माध्यम से चुनाव होंगे। वह कहते है कि प्रत्येक ईवीएम में प्रति निर्वाचन क्षेत्र नोटा सहित अधिकतम 384 उम्मीदवार हो सकते हैं। एक बैलेट यूनिट में नोटा सहित कुल 16 उम्मीदवार आ सकते हैं और 24 ऐसी बैलेट यूनिट को एक साथ नियंत्रण इकाई से जोड़ा जा सकता है।
CM ने दिग्विजय सिंह पर कसा तंज- वहीं दिग्विजय सिंह पर प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने तंज कसा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजगढ़ में दिग्विजय सिंह 400 लोगों को चुनाव लड़ने के लिए इकट्ठा कर रहे है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भोपाल से दिग्विजय सिंह मैदान छोड़कर राजगढ़ चले गए। वहां भी वह चुनाव जीतने के लिए 400 लोगों को इकट्ठा कर रहे हैं,लेकिन वहां भी वह हार जाएंगे। प्रदेश की खस्ता हालत बनाने में मिस्टर बंटाधार दिग्वजिय सिंह का हाथ रहा है।
राजगढ़ में दांव पर दिग्विजय की प्रतिष्ठा-दरअसल राजगढ़ लोकसभा सीट के पहचान पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के गढ़ के रूप में होती रही है। मध्यप्रदेश की सियासत में राजा के नाम से पहचाने जाने वाले दिग्विजय सिंह राघौगढ़ रियासत से ताल्लुक रखते है, जो राजगढ़ संसदीय क्षेत्र में आती है। 1984 में दिग्विजय सिंह पहली बार राजगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव जीते थे। वहीं 1991 में दिग्विजय सिंह आखिरी बार राजगढ़ लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे। करीब तीस साल (1984 से 2014) 2014 तक राजगढ़ लोकसभा सीट कांग्रेस के गढ़ के रूप में पहचानी जाती थी तो इसका कारण दिग्विजय सिंह ही थे। दिग्विजय सिंह खुद दो बार राजगढ़ लोकसभा सीट से सांसद चुने गए तो उनके भाई लक्ष्मण सिंह पांच बार सांसद चुने गए।
2014 में मोदी लहर में राजगढ़ के किले पर भाजपा ने अपना कब्जा जमाया। 2014 और 2019 में लगातार दो बार भाजपा प्रत्याशी रोडमल नागर ने राजगढ़ लोकसभा सीट पर जीत हासिल की। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी रोडमल नागर ने दिग्विजय सिंह के करीबी नारायण सिंह आमलाबे को दो लाख से अधिक वोटों से हराया। वहीं 2019 लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा प्रत्याशी रोडमल नागर ने दिग्विजय सिंह के करीबी मोना सुस्तानी को चार लाख से अधिक वोटों से हराया।