अंसारी परिवार की बेटी ने राजनीति में अपनी एंट्री करके विरोधियों को चारों खाने चित्त कर दिया है। जी हां, हम बात कर रहे हैं माफिया मुख्तार अंसारी की भतीजी और सांसद अफजल अंसारी की बेटी नुसरत अंसारी की। मुख्तार अंसारी की मौत के अकेले रह गए अफजल अंसारी अपना चुनाव अकेले लड़ने की तैयारी कर रहे थे। ऐसे में पिता के चुनाव प्रचार की कमान संभालने की जिम्मेदारी उनकी बेटी नुसरत ने अपने कंधे पर ले ली है।
अंसारी परिवार की किसी पहली महिला ने राजनीति में कदम रखा है, नुसरत अंसारी की लोकसभा 2024 के चुनाव में समाजवादी पार्टी द्वारा लांचिंग से विरोधी हतप्रभ रह गए हैं। अफजल अंसारी की तीन बेटियां हैं, कोई बेटा नहीं है, उनकी सबसे बड़ी बेटी नुसरत, नूरिया और मारिया हैं। नुसरत ने विवाह नहीं किया जबकि उसकी दोनों छोटी बहनों की शादी हो चुकी है। पिता अफजल की राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए वे मैदान में आ गई हैं।
अफजल अंसारी के घर में जब नुसरत का जन्म हुआ तो परिवार खुशी से फूला नहीं समाया। अफजल अंसारी 5 बार विधायक और दो बार सांसद रह चुके हैं, उनके दो भाई मुख्तार अंसारी और पूर्व विधायक सिबगतुल्लाह अंसारी हैं। इन दोनों के दो-दो बेटे हैं, बेटी कोई नहीं है, जिसके चलते अफजल अंसारी की बेटी नुसरत अपने दोनों अंकल को जान से प्यारी है। हालांकि पूर्व विधायक सिबगतुल्लाह अंसारी का एक बेटा सोएब अंसारी मुहम्मदाबाद सीट से विधायक हैं जबकि मुख्तार के बड़े बेटे अब्बास अंसारी विधायक हैं।
मुख्तार की मौत के बाद उसकी बेगम के चुनाव लड़ने की चर्चाओं ने ज़ोर पकड़ा था, लेकिन अफजल अंसारी ने खंडन करते हुए ना कहीं थी। ऐसे में अब उनकी खुद की बेटी उनके प्रचार की कमान संभालकर मैदान में उतर आई है। नुसरत ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है और वह CAA के दौरान नुक्कड़ नाटक में भी हिस्सा लिया था। नुसरत ने पिता अफजल से राजनीति की बारीकियों को सीखा है, जिसके चलते वह पिता के राजनीति से संन्यास लेने के बाद उनकी इस विरासत की वारिस बनेगी।
नुसरत पिता अफजल अंसारी के लिए चुनाव प्रचार में उतरी तो सबसे पहले उन्होंने हिन्दुओं की तरफ रुख किया। वे मंदिर में कीर्तन, शिव चर्चा में भाग और प्रसाद ग्रहण करके यह संदेश दे रही हैं कि हिन्दू-मुस्लिम में कोई भेद नहीं है। मंदिर में पूजा-अर्चना के दौरान नुसरत ने सिर पर दुपट्टा डाला और हाथ जोड़कर भगवान की पूजा भी की है, जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। नुसरत का मुस्लिम महिलाओं से पहले संपर्क न करना, हिन्दू पूजा में शामिल होना चर्चा का विषय बन गया है, जिसके चलते भगवा खेमे यानी भाजपा में खलबली मच गई है।
नुसरत अंसारी द्वारा हिन्दू वोट बैंक में सेंधमारी की चाल को भाजपा समझ कर सतर्क हो गई है। अंसारी परिवार की महिला भावनात्मक कार्ड प्ले करके वोटों को साधने के लिए मैदान में उतारी गई है। हालांकि आगामी 2 मई से हाईकोर्ट में अफजल अंसारी के सजा मामले में सुनवाई होनी है।
सुनवाई के बाद अफजल की सजा बरकरार रहती है तो पिता की राजनीति धरोहर को संभालने के लिए विरोधियों के सामने खड़ी हो जायेंगी। ऐसा माना जा रहा कि मुख्तार की मौत के बाद अखिलेश यादव अंसारी परिवार को सांत्वना देने गए थे, जहां उनकी मुलाकात नुसरत से हुई और उन्होंने ही राजनीति में आने के लिए कहा था, जिसके चलते वह राजनैतिक पटल पर उतर आई है।
गाजीपुर में मतदान अंतिम चरण यानी एक जून को होगा। यहां से समाजवादी पार्टी ने अफजल अंसारी को टिकट दिया है तो भारतीय जनता पार्टी ने पारस नाथ को और बहुजन समाज पार्टी ने डा. उमेश को उम्मीदवार बनाया है। 7वें चरण के मतदान के लिए 7 मई से 14 मई तक नामांकन प्रक्रिया चलेगी और 1 जून को मतदान होगा। गाजीपुर के 20 से अधिक वोटर अपने सांसद को चुनने के लिए मतदान करेंगे।
मतदान से पहले सभी दल अपने-अपने तरीके से मतदाताओं के रुख को भांप रहे हैं और अपने पक्ष में चुनाव प्रचार कर रहे हैं। ऐसे में नुसरत का समाजवादी पार्टी से अखिलेश यादव का नाम और चुनाव चिन्ह बताकर मतदाताओं तक पहुंचना सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक चर्चा का विषय बन गया है। नुसरत सपा महिला विंग के साथ जाकर पिता के लिए वोट मांगते हुए शिव मंदिर में जलार्पण और माथा टेक रही है। साथ ही महिलाओं से संवाद कर रही हैं। नुसरत का पिता के लिए यह प्रचार कितना रंग लाएगा, यह आगामी 4 जून को पता चलेगा।