पर्दा उठने से पहले सबकुछ पर्दे के पीछे

Webdunia
शुक्रवार, 15 मई 2009 (16:07 IST)
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों से जीत और हार के नतीजे बाहर निकलने से पहले सरकार बनाने के लिए आवश्यक 272 के जादुई आँकड़े को छूने की कांग्रेस और भाजपा की दिन-रात की कोशिशों के बीच नई सत्ता के समीकरण पर रहस्य गहरा गया है।

कभी सहयोगी मित्र और दुश्मन रहे दलों को अपने पाले में खड़ा करने की कीशिशों के बीच राकांपा नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि सब कुछ अस्थिर है। कांग्रेस नेताओं प्रणब मुखर्जी, एके एंटनी, अहमद पटेल और दिग्विजयसिंह ने गहन चर्चा की।

माकपा के वरिष्ठ नेता ज्योति बसु और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के साथ अच्छे संबंध को ध्यान में रखते हुए मुखर्जी को वामदलों के साथ संचार की लाइन खोलने की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।

गहन बातचीत के बीच कांग्रेस और भाजपा ने अपनी-अपनी ओर से बहादुरी दिखाते हुए दावा किया है कि वे ही अगली सरकार का नेतृत्व करेंगी।

कांग्रेस की जयंती नटराजन ने कहा कि लोग जानते हैं कि यह सिर्फ कांग्रेस है, जो स्थिर सरकार दे सकती है। हमारे सभी सहयोगी हमसे खुश हैं।

भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने हालाँकि विश्वास व्यक्त किया कि उनकी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरेगी, जिसकी सीटें कांग्रेस से 30 ज्यादा होंगी। उन्होंने दावा किया संप्रग से 50 सीटें ज्यादा लेकर राजग सबसे बड़े गठबंधन के तौर पर उभरेगा।

अमरसिंह ने कहा कि सभी विकल्प खुले हैं। सब कुछ संख्या पर निर्भर करेगा। उन्होंने कहा कि वे माकपा नेता सीताराम येचुरी से संपर्क में हैं और राकांपा नेता शरद पवार से भी बात करेंगे।

लालूप्रसाद यादव के राजद, रामविलास पासवान की लोजपा और मुलायमसिंह यादव की सपा के तालमेल वाले चौथे मोर्चे ने कहा कि यह गठबंधन भाजपा और मायावती की बसपा के साथ किसी तालमेल के विरोध में है।

जदयू नेता शरद यादव ने सतर्क रुख अख्तियार करते हुए कहा कि कुछ लोग हैं, जिनके साथ हम कुछ मान्यताओं के साथ बातचीत कर रहे हैं। बातचीत कल रात से चल रही है।

कांग्रेस ने कभी अपनी सहयोगी रही पार्टियों का दिल जीतने का प्रयास जारी रखा है। जयंती ने कहा कांग्रेस अपने सहयोगियों का इस्तेमाल कर उनका त्याग नहीं करती। हमारी पार्टी को आवंटित सीटों की संख्या पर राजद, लोजपा और सपा से हमारे मतभेद थे, लेकिन वे मंत्री बने रहे और संप्रग का हिस्सा बने रहे।

वामपंथी पार्टियों ने भाजपा के साथ किसी तरह के तालमेल की संभावना से दृढ़ता से इनकार किया है। भाकपा नेता गुरुदास दासगुप्ता ने कहा कि हमें भाजपा के नेतृत्व में सरकार बनने से रोकना चाहिए।

इसका आशय यह नहीं है कि कांग्रेस के नेतृत्व में किसी सरकार को आँख मूँदकर समर्थन स्वत: मिल जाएगा। मुखर्जी की कल अमरसिंह के साथ बातचीत हुई लेकिन कांग्रेस सूत्रों ने दावा किया कि सपा के संप्रग सरकार का हिस्सा होने के बारे में कोई चर्चा नहीं हुई।

सिंह ने कहा कि सपा का दीर्घकालिक संबंध इस बात पर निर्भर करेगा कि मोलभाव के बाद पार्टी को क्या मिला, जो सपा को मिलने वाली सीटों पर आश्रित है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमसे तब बात करेगी जब हमारे पास संख्या होगी।

कांग्रेस महासचिव गुलामनबी आजाद के बारे में माना जा रहा है कि वे अन्नाद्रमुक प्रमुख जयललिता के साथ संपर्क में हैं, जबकि पार्टी ने प्रजाराज्यम पार्टी प्रमुख चिरंजीवी के साथ बातचीत शुरू की है। समझा जाता है कि तेलुगू फिल्म स्टार चिरंजीवी की प्रजाराज्यम कांग्रेस के नजदीक जा रही है क्योंकि खबरों में कहा गया है कि इसके महासचिव ए. अरविन्द ने ऐसे संकेत दिए हैं।

बताया जाता है कि बीजद को संप्रग के पाले में लाने के प्रयास के तहत कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से बात की, लेकिन किसी भी पक्ष ने इसकी पुष्टि नहीं की है।

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