बाहुबली के बदलते मायने : बल और बहू

Webdunia
- पटना से अनवर जे अशर फ
अदालतों ने इस बार चुनाव में बल को बाँधने की कोशिश की है तो निकल आई हैं बहुएँ। अपराधी छवि और दोषी करार नेताओं के चुनाव लड़ने पर अदालती रोक लग गई है। इसके जवाब में उनकी पत्नियों को मैदान में उतार दिया गया है।

बिहार के चुनाव में बाहुबलियों की खास जगह होती है और हर बार ऐसे कई नेता जीतते भी हैं, पर इस बार तस्वीर जरा बदली-बदली है। सीवान में आरजेडी के मोहम्मद शहाबुद्दीन की तूती बोलती है। चार बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं, लेकिन इस बार चुनाव लड़ने पर रोक लग गई है। हत्या, अपरहरण और ऐसे 26 मामले चल रहे हैं, जबकि छह मामलों में दोषी पाए जा चुके हैं। पिछला चुनाव जेल से जीता था और अभी भी जेल में उम्रकैद काट रहे हैं।

लेकिन लालू यादव की आरजेडी ने उनकी पत्नी हिना शहाब को टिकट दे दिया है। 36 साल की हिना का कोई राजनीतिक करियर नहीं है और पहली बार चुनाव में किस्मत आजमा रही हैं। लालू यादव उनके लिए रैलियाँ कर चुके हैं, जिनमें भारी भीड़ जमा हुई है। काले बुर्के में हिना ने सीवान में घूम-घूमकर चुनाव प्रचार किया। वोटिंग हो चुकी है और चुनावी पंडितों का दावा है कि हिना की सीट पक्की है।

पूर्णिया के राजीव रंजन उर्फ पप्पू यादव लंबे वक्त से राजनीति में हैं। अजीत सरकार की हत्या के मामले में पप्पू दोषी करार दिए जा चुके हैं और आजीवन कारावास की सजा मिली है। अदालत ने चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी है, पर मैदान में पत्नी रंजीत रंजन बनी हुई हैं।

कभी लालू यादव के करीबी समझे जाने वाले पप्पू यादव की पत्नी रंजीत रंजन ने पिछले दिनों रामविलास पासवान की एलजेपी का दामन थाम लिया था, लेकिन इस बार उन्होंने एलजेपी से भी पल्ला झाड़ लिया और कांग्रेस के टिकट पर सुपौल से चुनाव मैदान में हैं। सिर्फ 35 साल की रंजीत पिछली बार भी लोकसभा का चुनाव जीती थीं। उस वक्त वे महज 30 साल की थीं और उनकी गिनती सबसे कम उम्र के सांसदों में होती है।

रंजीत रंजन की ही तरह लवली आनंद भी कांग्रेस की उम्मीदवार हैं और शिवहर से चुनाव लड़ रही हैं। पूर्व सांसद आनंद मोहन की पत्नी हैं। वही आनंद मोहन, जिनके नाम से कभी उत्तर बिहार थर्राता था और जो गोपालगंज के डीएम जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में सजायाफ्ता हैं। 1994 की इस घटना में आनंद मोहन के साथ उनकी पत्नी लवली आनंद को भी 2007 में जेल जाना पड़ा, पर बाद में लवली को जमानत मिल गई।

आनंद परिवार पर मजिस्ट्रेट की हत्या का बेहद संगीन आरोप है। आनंद मोहन और लवली आनंद पर आरोप है कि उन्होंने अपने समर्थकों को उकसाकर 1994 में गोपालगंज के डीएम जी. कृष्णैया पर हमला करवाया और बाद में उन्हें गोली मार दी गई। आरोप है कि इस पूरे मामले में लवली आनंद ने पति आनंद मोहन का साथ दिया। लवली वैसे पहले भी लोकसभा का चुनाव लड़कर जीत चुकी हैं।

इस मामले में कोई भी पार्टी दूध की धुली नहीं है। रामविलास पासवान की एलजेपी ने भी सूरजभान की पत्नी वीणा देवी को नवादा से उम्मीदवार बनाया है। वीणा देवी का कोई राजनीतिक तजुर्बा नहीं है और वे पहली बार चुनाव लड़ रही हैं।

सूरजभान हत्या के एक मामले में उम्रकैद की सजा पा चुके हैं, जबकि हत्या और अपहरण जैसे 30 से ज्यादा मामले अब भी उनका इंतजार कर रहे हैं। यह बात अलग है कि उनकी पार्टी के मुखिया रामविलास पासवान से जब मैंने इस बारे में पूछा तो उन्होंने सूरजभान को एक शरीफ इनसान बताया।

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