दि‍ल में झाँकने का सही वक्त

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- मानसी

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हैलो दोस्तो ! दुनिया ने धरती और आकाश में निहित अनेक गुत्थियाँ सुलझायी हैं। मनुष्य ने आकाश-पाताल में छिपे रहस्य समझने के लिए तरह-तरह की तकनीके विकसित की हैं। पर आज भी किसी का दिमाग पूरी तरह पढ़ पाना असंभव-सा काम लगता है। कोई दावे के साथ नहीं कह सकता है कि वह सौ फीसदी सामने वाले के मन की बात जानता है।

कई बार लोग अपने एक्‍प्रेशंस को इतना कंट्रोल कर लेते हैं कि भीतर का राज राज ही रह जाता है जिसकी मिसाल जासूसी विभाग में काम करने वाले लोगों में मिल सकती है। मन की गहराई का रहस्य कई बार रिश्ते के मामले में बहुत ही मानसिक उलझन में डालने वाला होता है।

तरह-तरह की गोलमोल बातों से अक्सर लोग किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँच पाते हैं। भावनाओं की गहराई का सही अंदाजा नहीं लगा पाने के कारण वे हर समय एक प्रकार के द्वंद्व में फँसे रहते हैं। विशेषकर यदि यह रहस्यमय भावना प्रेम से संबंधित हो तो एक साथी की जान और भी सांसत में आ जाती है क्योंकि इस नाजुक रिश्ते में कोई बेहद अपना होते हुए भी बेगाना होता है।

इसी अपनेपन और बेगानेपन की उधेड़बुन नहीं सुलझा पा रहे हैं माधव गुप्ता (बदला हुआ नाम)। माधव, प्रिया (बदला हुआ नाम) को अपना निकटतम दोस्त मानते हैं। वे अपनी सारी समस्याएं उनसे बांटते हैं पर उन्हें लगता है कि प्रिया अपनी निजी समस्याएँ उनसे नहीं बांटती है जबकि प्रिया का दावा है कि वह उसकी सबसे अच्छी दोस्त है। माधव इस बात को लेकर परेशान रहते हैं कि प्रिया के मन के भीतर क्या चल रहा है।

ठीक ऐसी ही समस्या से जोगिंदर (बदला हुआ नाम) भी गुजर रहे हैं। पूरे दो वर्षों से मन ही मन पिंकी से प्रेम कर रहे जोगिंदर को पिंकी ने केवल इतना कहा है कि वह उसे पसंद करती है। जोगिंदर की उलझन है कि वह प्यार करती है या नहीं, यह कैसे पता लगाया जाए।

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माधव एवं जोगिंदर जी, समय के अलावा ऐसी कोई तरकीब या उपाय नहीं है जिससे आप झट अपनी दोस्त के दिल में झाँक लें। केवल समय आने पर ही इस राज से पर्दा उठ पाता है। हर रिश्ते में एक समय आता है जब व्यक्ति अपनी भावना सही आकार में साफ-साफ देख पाता है और उसे व्यक्त कर पाता है।

हर व्यक्ति के व्यक्तित्व की बनावट भिन्न होती है। उसके पालन-पोषण, पृष्ठभूमि के कारण हर शख्स अपनी भावना उसी के अनुसार सहेजता, समझता और संवारता है। बचपन से मिलने वाले अनुभव के आधार पर ही कोई व्यक्ति वयस्क अवस्था में भावनाओं की गंभीरता मापता है और उसे परिपक्व होने देता है।

बुनियादी तौर पर आपके व्यक्तित्व की बुनावट ही है जो आपको किसी से जल्द या देर से जोड़ती है। या यूं कहें कि किसी रिश्ते के निर्णायक नतीजे तक पहुँचने में जो समय लगता है वह आपका व्यक्तित्व ही तय करता है। हर व्यक्ति की तात्कालिक परिस्थितियां भी उसे किसी फैसले तक पहुँचाने में अहम भूमिका निभाती हैं। यदि आप भावनात्मक रूप से अधिक अकेले हैं और आपका दोस्त आपके मन में बैठे छवि के अनुरूप है तो आप अपनी भावना को आकार देने और व्यक्त करने में कम समय लेंगे।

किसी पर दबाव डालकर उसे कोई निर्णय लेने के लिए उकसाना उचित नहीं है। यह उस व्यक्ति के साथ अन्याय है। यह सही है कि एक युवक या युवती के लिए ऐसी दुविधा में रहना बहुत पीड़ादायक है क्योंकि उसका बेहतरीन समय उस रिश्ते के परिपक्व होने पर निर्भर हो जाता है। नकारात्मक फैसले का डर, उसे नए सिरे से एक मनपसंद साथी तलाशने की कल्पना को जन्म देता है, जिसके विचार से ही वह कांप जाता है।

इन सबके बावजूद सही समय का इंतजार करना ही एक मात्र रास्ता है। किसी भी नौजवान के लिए ऐसी भावना को अपनी कमजोरी के बजाय मजबूती के लिए इस्तेमाल करना चाहिए। किसी अच्छी या अच्छे दोस्त के सहयोग एवं अपनेपन से खुश होकर अपने भविष्य एवं कॅरिअर को बेहतर बनाने में ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

यदि आप अपने जीवन को लेकर गंभीर होते हैं तो आपके व्यक्तित्व में भी एक प्रकार की गंभीरता एवं स्थायित्व सा आता है। यह ठहराव एवं करियर में उपलब्धि सामने वाले को सकारात्मक निर्णय की ओर ले जाती है। वह अपने आपको भावनात्मक एवं सामाजिक रूप से ऐसे व्यक्ति के पास अधिक सुरक्षित पाता है। दूसरे पर दबाव डालने व चिंता करने के बजाय खुद के भीतर गुण इकट्ठा करना चाहिए ताकि दूसरा प्रभावित एवं आश्वस्त हो सके।

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