प्यार : सिर्फ अहसास है ये....

दीपिका यादव

Webdunia
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सृष्टि को परिवार से प्यार तो मिलता है, लेकिन उसके मीठे और सुरीले गले को लेकर परिवार भर में पसरी उदासीनता उसके मन में बार-बार ये सवाल उठाती है कि आखिर प्यार है क्या? अरुंधति से उसका पति हर वक्त इस तरह से बात करता है कि तीसरे व्यक्ति को ये एहसास होता है कि वो अरुंधति को बुरी तरह से डांट रहा है, जबकि वह कहती है कि उसके पति उससे प्यार करते हैं। फिर सवाल उठता है कि क्या प्यार में सम्मान, गर्व भाव, सराहना और समझ जैसी बारीक चीजें शामिल नहीं होती है क्या?

क्या सिर्फ ये जताना कि कोई आपको प्यार करता है, यह प्यार है या कि आपके हर अच्छे-बुरे पर गौर करे, ठीक करे, सराहे और बेहतर करने की कोशिश करे वो प्यार है!

प्यार एक बेहद खुशनुमा एहसास है। हममें से हरेक किसी की पसंद होना, किसी के द्वारा प्यार किया जाना, पसंद करेगा। चाहेगा कि कोई हमें प्यार करे, वैसे यह किस्मत की बात है कि प्यार मिले।

प्यार एक अद्भुत अनुभव है, खुद के खास होने का एहसास है, लेकिन इसमें गड़बड़ तब शुरू हो जाती है, जब प्यार में अधिकार भाव तो होता है, लेकिन स्वतंत्रता नहीं होती, सम्मान, परवाह, आपसी समझ, एक-दूसरे पर विश्वास और संवेदनशीलता नहीं होती।

ये सभी भावनाएं व्यक्ति के व्यक्तित्व से जुड़ी होती हैं और इंसान प्यार के साथ ये सब भी चाहता है, बल्कि ये सब व्यक्ति के जीवन और उसके व्यक्तित्व को संवारती है। उसमें सपने देखने, उन्हें पूरा करने, कुछ नया रचने यहां तक कि जहान से लड़ने की इच्छा और कुव्वत पैदा करते हैं।

जब बच्चा समझना भी शुरू नहीं करता है, तब भी वो सम्मान-अपमान के भाव को महसूस करता है। यदि आप उसे डांटेंगे तो वो रोएगा। वो प्यार भी समझता है, परवाह और सम्मान भी। उसी तरह रिश्ता चाहे जो हो, रिश्ते में यदि विश्वास, सम्मान, स्वतंत्रता और समझ गैसी बुनियादी चीजें नहीं होंगी तो एक समय बाद उसमें से सड़ांध आने लगेग।

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जब हम किसी से प्यार करते हैं तो यह मान लेते हैं कि सिर्फ यही रिश्तों के लिए खाद-पानी है, जबकि असलियत उससे उलट है। प्यार सिर्फ पहली सीढ़ी है और रिश्तों की सफलता शिखर है। इसके पीच कई सारी सीढ़‍ियां हैं जिन्हें पार करके ही एक रिश्ते को सफल बनाया जा सकता है।

सिर्फ प्यार के सहारे रिश्तों को बचाने और उन्हें बनाने की कवायदें कई बार उन्हें ज्यादा कड़वा बना देती हैं, क्योंकि प्यार के बारे में कहा जाता है कि वह प्रिय को वस्तु की तरह बनाना और देखना चाहता है। जबकि यहां मामला एक पूरे व्यक्ति का होता है और एक व्यक्ति को अपने रिश्ते में प्यार, अपनापन, केयर, विश्वास, सम्मान और आपसी समझ की भी जरूरत होती है।

प्यार का मतलब सुरक्षा का, अपने पंख फैला कर उड़ने और सपने देखने की स्वतंत्रता का, एक-दूसरे की आंखों में सम्मान देखने और पाने का आश्वासन है। प्यार वह परिपूर्णता है जो एक व्यक्ति को जहनी तौर पर ही नहीं बल्कि भौतिक और सामाजिक तौर पर भी खास महसूस कराए।

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