एक प्यारी सी कोई बात, मीठी छेड़छाड़ जो तन-मन में स्पंदन जगाकर रोम-रोम पुलकित कर दे, मन में जोश और उत्साह भरकर जीने की इच्छा बढ़ा दे। यह सिर्फ एक अहसास है, जिसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है। इसे सिर्फ दिल की गहराइयों से ही महसूस किया जा सकता है।
रोमांस जन्मा कैसे रोमांस की उत्पत्ति कब और कहां हुई, यह कहना थोड़ा मुश्किल है। पहले-पहल इसका आम जीवन से कोई ताल्लुक नहीं था, राजा-रानियों की प्रेम कथाओं में इसका हल्का-फुल्का जिक्र होता था। फिर लिखित साहित्य आया। उसके बाद फिल्मों में रोमांस के हर पहलू का खूब खुलकर फिल्मांकन किया गया।
पहले रोमांचक कहानियां या उपन्यास पढ़ना, फिल्में देखना अच्छा नहीं समझा जाता था, रोमांस की तो बात ही दूर थी। यह सचमुच कल्पना ही था। इसलिए आम आदमी हमेशा हिचक के घेरे में रहा। वह रोमांस के रोमांच से अभिभूत तो रहा, मगर न तो उसे खुलकर स्वीकार सका और न महसूस कर सका।
रोमांस एक चुंबकीय आकर्षण है, इसलिए इसने इतनी जल्दी सबको अपने सम्मोहन में जकड़ लिया है। अकेलेपन की उदासियों में रोमांस ही है, जो जीवन में रंग भरने लगा है। एक तो रिश्तों की बढ़ती बराबरी व दोस्ती के तकाजे के चलते आए खुलेपन से रोमांस की संभावनाएँ बढ़ी हैं, दूसरी तरफ, जीवन की बढ़ती व्यस्तताओं से उपजी, निराशा, ऊब, तनाव व अवसाद के चलते मनोचिकित्सकों ने भी रोमांस के महत्व को पहचना है और उसे मानवीय जीन का अनिवार्य हिस्सा बताया है।
आखिर रोमांस है क्या रोमांस एक अहसास है जिसकी गहराई को सिर्फ महसूस किया जा सकता है। किसी प्रिय से निगाहे मिलने पर दिल की धड़कनें तेज हो जाती हैं और तन-मन में स्पंदन सा महसूस होता है, इसे ही तो रोमांस कहते हैं। रोमांस शब्दों का मोहताज नहीं है, यह आंखों और इशारों की भाषा खूब समझता है। रोमांस के बिना प्रेम का अस्तित्व नहीं होता।
प्रे म क ी डगरिय ा क ा ना म ह ै रोमांस । प्रे म अग र मंजि ल ह ै त ो रोमां स पगडंड ी, ज ो प्रे म क ो परिपक्वत ा प्रदा न करत ी है । य ह को ई जरूर ी नही ं क ि जिसस े आ प प्रे म करत े हो ं व ह भ ी आपस े उतन ी शिद्द त स े प्रे म करत ा हो । रोमां स प्रे म मे ं तभ ी परिवर्ति त होत ा ह ै ज ब ए क- दूसर े क े प्रत ि रोमां स क े भा व दोनो ं क े म न मे ं जाग े वरन ा कामनाए ं सिर् फ सपन ा बनक र र ह जात ी हैं। रोमांस दो चाहने वालों को एक-दूसरे के करीब लाने, उनमें प्रेम जगाने का एक माध्यम है।
रोमांस का अर्थ केवल प्यार-मोहब्बत और दैहिक संसर्ग नहीं, बल्कि रोमांस का अर्थ है अपने लक्ष्य को पाने के लिए निष्ठा व प्रेम। कोई भी व्यक्ति अपने मकसद को तब तक नहीं पा सकता जब तक उसके अंतर्मन में उस काम से प्यार और उसे कर पाने की इच्छा और लगन नही होगी। रोमांस एक तड़ित तरंगित गतिमयता है, दीवानगी है, एक पागलपन, एक सिरफिरापन है। इसके बाद ही कलाकार व दीवानों को अपने उद्देश्य की प्राप्ति होती है।
रोमांस की बदलती परिभाषाएं पुराने समय का रोमांस शायद कहीं अधिक रोमांटिक था, लुक-छिपकर एक-दूसरे को निहारना, लंबी सैर पर निकल जाना, कॉफी की चुस्कियाँ लेना और एक-दूसरे का हाथ पकड़ना आदि। स्पर्श के इस रोमांच को प्रेमी युगल कई दिनों तक नहीं, महीनों-सालों तक महसूस करते थे।
रोमांस के नाम पर मन में जोश और उत्साह होता था। रोमांस का जिक्र आते ही होठों पर खिली शर्मीली मुस्कुराहट तो दिखाई दे जाती थी, लेकिन मन में फूटते लड्डुओं का अंदाजा मात्र चेहरे को देखकर लगाना मुश्किल होता था।
दूसरी तरफ आधुनिक रोमांस की गति इतनी तेज है कि प्रेमी युगल के पास उसे महसूस करने के लिए, उन क्षणों को जीने के लिए समय ही नहीं है। आज का हाईटेक रोमांस भाषा-प्रधान है, जो ई-मेल, चैटिंग और एसएमएस द्वारा तुरंत संचारित होता है। आज रोमांस को समय और दूरी का मुँह नहीं ताकना पड़ता। अब रोमांस का स्थान डिस्को, पार्टियों, डेटिंग आदि ने ले लिया है जहाँ शोरशराबे में इच्छाएँ-कामनाएँ पहले ही खत्म हो जाती हैं।
अंत में यही कहा जा सकता है कि रोमांस का भाव स्थायी नहीं है, बल्कि संचारी है। जो किसी विषय, वस्तु या फिर व्यक्ति विशेष के बारे में सोचते हुए तन-मन में संचारित होता है और कुछ भी पलों में गायब भी हो जाता है। प्रेम और रोमांस दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। इनके बिना जीवन ऐसे रेगिस्तान के समान है, जहां कभी कुछ नहीं खिल सकता।