थियोडोर रूजवेल्‍ट का पत्र बनी के नाम

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20 मई, 1943

प्‍यारी बनी,

क्‍या तुम जानती हो कि यह क्‍या है- शादी की सालगिराह का पत्र। मैं सोचता हो इसे सही समय पर आना चाहिए। क्‍या तुम्‍हें याद है 33 साल पहले जून की वह गर्मी ? चर्च खचाखच भरा हुआ था। फादर सुंदर से कोट में थ्‍ो, जिस पर नीले रंग की गोल-गोल बिंदियाँ बनीं थीं। काफी भीड़ थी, गलियों तक लोग भरे थे। तुम्‍हारा लंबा उजला घूँघट और थोड़ा तंग गाउ न। रिसेप्‍शन आंटी हैरियेट और अंकल एड के घर पर था। तुम्‍हारी माँ, जो जरूरत से ज्‍यादा लंबी टोपी में चुपचाप खड़ी थीं।

क्‍या तुम्‍हें याद फिर उसके बाद दुनिया कोलाहाल भरी और छोटी हो गई-चीजें अलग क्रम में हो गईं, युद्ध डिक (रिचर्ड हार्डिंग) डाविस के उपन्‍यास पर आधारित मानी गई, सार रूप में कहें तो '' जैसा कि यह आरंभ में था'', जीवनभर वातावरण वैसा ही रहा। हम एक अनजान रास्‍ते से होते हुए वहाँ से यहाँ तक आ पहुँचें। हमने जैसा सोचा था, वैसा कुछ भी नहीं हुआ, सिवाय बच्‍चे के। हमने कभी नहीं सोचा था कि हम पूरी दुनिया घूमेंगे। हमने नहीं सोचा था कि हमारा काम और हमारी रुचियाँ इतनी व्‍यापक होंगी। हमने कभी नहीं सोचा था कि हमारी 33वीं सालगिराह पर हम खुद को दूसरी लड़ाई में घिरा पाएँगे और मैं फिर सामने होऊँगा। अच्‍छा, प्रिये हमने लंबा वक्‍त साथ बिताया, बीमारी में और स्‍वस्‍थ होने पर, गरीबी और अमीरी में, मरते दम तक तुम्‍हारा।''

बहुत, बहुत प्‍या र

प्रस्‍तुति : नीहारिका झा

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