लुइस कैरोल का पत्र

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28 अक्‍टूबर, 1876 को लिखा गया लुइस कैरोल का पत्र गरटूरड के नाम ।

मेरी प्‍यारी गरटू्रड,

Devendra SharmaWD
तुम दु:खी होगी, और आश्‍चर्यचकित भी और सोच में पड़ जाओगी, जब सुनोगी कि तुम्‍हारे जाने के बाद मुझे कैसी विचित्र बीमारी लग गई है। मैं डॉक्‍टर के पास गया और कहा, ''मुझे कुछ दवाइयाँ दीजिए।'' मेरी थकान के लिए उसने कहा, ''बेवकूफ और डंबो ! तुम्‍हें दवा नहीं चाहिए, जाओ आराम करो।''

मैंने कहा, नहीं यह वैसी थकान नहीं है, जिसमें कि आराम की जरूरत हो। मैं चेहरे से थका हूँ।'' उन्‍होंने ध्‍यान से एक नजर मुझ पर डाली और कहा, ओह, यह तुम्‍हारी नाक है, जो काफी थकी हुई है। एक व्‍यक्ति तब बहुत बातें करता है जब वह सोचता है कि वह अच्‍छा वक्‍ता है। ''मैंने कहा,'' नहीं यह नाक नहीं है। हो सकता है यह बाल हों।'' फिर उसने कुछ देर तक देखा, और कहा, ''अब मैं समझ गया हूँ, आप काफी देर तक बालों से पियानो पर खेलते रहे हैं।

'' सचमुच, मैंने ऐसा नहीं किया है!'' मैंने कहा, और क्‍या सचमुच बाल ही हैं, यह बहुत हद तक नाक और ठुड्डी हो सकते हैं। तब उसने फिर बड़े ही ध्‍यान से देखा और कहा, क्‍या आप काफी देर तक ठुड्डी के सहारे चले हैं? '' मैंने कहा '' नहीं।'' अच्‍छा, उसने कहा इसने मुझे सोच में डाल दिया है।

क्‍या आप सोचते हैं कि यह आपके होंठों पर है? '' बिल्‍कुल'' मैंने कहा। यह पूरी तरह से वही है।''

तब उन्‍होंने काफी देर तक गौर से देखा और कहा, '' क्‍या आप बहुत चूमते हैं।'' ''अच्‍छा,'' ''मैंने एक छोटी-सी बच्‍ची को चूमा है, जो मेरी
  तुम दु:खी होगी, और आश्‍चर्यचकित भी और सोच में पड़ जाओगी, जब सुनोगी कि तुम्‍हारे जाने के बाद मुझे कैसी विचित्र बीमारी लग गई है      
दोस्‍त है।

'' फिर से सोचिए, उसने कहा, क्‍या वह सचमुच एक ही था? ''मैंने दुबारा सोचा और कहा, ''कभी-कभी वह 11 बार भी हो जाता था।'' तब डॉक्‍टर ने कहा, ''अब आप तब तक एक भी चुंबन नहीं देंगे, जब तक कि आपके होंठ पूरी तरह दुबारा आराम न कर ले।'' ''लेकिन मैं क्‍या करूँ? मैंने कहा, आप देख सकते हैं, मैंने उससे और 182 चुंबनों का वादा किया है।'' तब उन्‍होंने बड़े ध्‍यान से देखा, उनके आँसू उनके गालों से होकर बह रहे थे, और उन्‍होंने कहा, ''आप उसे उन्‍हें एक बॉक्‍स में भेज सकते हैं।

तब मुझे याद आया मैंने डोवर से एक छोटा-सा बॉक्‍स खरीदा था, और सोचा था उसे छोटी बच्‍ची या किसी और को दूँगा। इसलिए उसे मैंने उसे बड़े ही ध्‍यान से पैक करके रख दिया था। आप मुझे बताएँ कि वे सुरक्षित आ जाएँगे या फिर रास्‍ते में ही तो नहीं खो जाएँगे।''

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