Madhya Pradesh Assembly Election 1985: राज्य विधानसभा चुनाव 1985 में एक बार फिर कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की। हालांकि अर्जुन सिंह एक बार फिर मुख्यमंत्री बने, लेकिन वे एक दिन ही इस पद पर रह पाए। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उन्हें राज्यपाल बनाकर पंजाब भेज दिया।
तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या से उपजी सहानुभूति के चलते कांग्रेस की जबर्दस्त बहुमत के साथ सत्ता में वापसी हुई। चुनाव में कांग्रेस के प्रति जनता का झुकाव ज्यादा था। 320 विधानसभा सीटों के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस ने 250 सीटें जीतीं।
इस चुनाव में 2 करोड़ 91 लाख 7 हजार 283 मतदाता थे, उनमें से 49.79 प्रतिशत मतदाताओं ने चुनाव प्रक्रिया में भाग लिया। विपक्षी भाजपा को 58, जनता पार्टी जयप्रकाश को 5, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को 1 एवं 6 निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीतने में सफल रहे।
चुनाव के परिणाम के बाद अर्जुन सिंह मुख्यमंत्री चुने गए परंतु दूसरे ही दिन यानी 12 मार्च 85 को उन्हें इस्तीफा पद से इस्तीफा देना पड़ा। 13 मार्च 85 को मोतीलाल बोरा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इससे पहले की विधानसभा का कार्यकाल पूरा होता पार्टी ने 10 दिसंबर 1990 को श्यामाचरण शुक्ल की मुख्यमंत्री पद पर ताजपोशी कर दी। वे मार्च 1990 तक इस पद पर रहे।