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Exit Poll 2023: किस देश में हुआ था पहला एग्जिट पोल, कितना सटीक होता है, क्‍या हमेशा सही होता है ये पोल, जानिए सबकुछ

हमें फॉलो करें Exit Poll:
, शुक्रवार, 1 दिसंबर 2023 (14:09 IST)
World First Exit Poll: इस समय पूरे देश में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव को लेकर आए एग्जिट पोल की जमकर चर्चा हो रही है। सभी दल, खासतौर से भाजपा और कांग्रेस अपने अपने दावे कर रहे हैं। एग्जिट पोल आने के बाद किसी की धड़कन बढ़ गई है तो किसी की सांसें थमी हुई है। कुल मिलाकर कोई खुश नजर आ रहा है तो कोई निराश।

हालांकि कौन जीतेगा और किसे मिलेगी हार यह तो 3 दिसंबर का मतदान की गणना के बाद ही पता चल सकेगा। लेकिन क्‍या आप जानते हैं क्‍या होता है Exit Poll, ये कैसे काम करता है और कितना सटीक होता है।

सब जगह एक्‍जिट पोल की चर्चा : सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से लेकर न्यूज चैनल और अखबारों तक पर यह छाया हुआ है। बात करते हैं दुनिया के सबसे पहले एग्जिट पोल के बारे में।

कहां हुआ था दुनिया का पहला एक्‍जिट पोल : दुनिया का सबसे पहला एग्जिट पोल संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) में 1936 में कराया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, उस वक्त जॉर्ज गैलप और क्लॉड रोबिंसन ने न्यूयॉर्क में एक चुनावी सर्वेक्षण किया था। इसमें पोलिंग सेंटर से वोट डालकर बाहर आने वाले लोगों से पूछा गया था कि उन्होंने राष्ट्रपति पद के किस उम्मीदवार को वोट दिया है। सर्वे के दौरान मिले आंकड़ों का विश्लेषण करके यह अनुमान लगाया गया कि फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट इलेक्शन जीत जाएंगे। यह पहला एग्जिट पोल एकदम सही साबित हुआ और रूजवेल्ट ने चुनाव जीता। देखते ही देखते एग्जिट पोल दूसरे देशों में भी लोकप्रिय हो गया। इसके बाद 1937 में ब्रिटेन में भी पहला एग्जिट पोल हुआ। 1938 में फ्रांस में पहला एग्जिट पोल कराया गया।

ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल में क्या फर्क है?
ओपनियन पोल वोटिंग से बहुत पहले वोटरों के रूझान और वो क्या कर सकते हैं, ये जानने के लिए होता है। इससे ये बताया जाता है कि इस बार वोटर किस ओर जाने का मन बना रहा है। वहीं एग्जिट पोल हमेशा वोटिंग के बाद होता है।

ओपिनियन पोल क्या है?
ओपिनियन पोल का सीधा मतलब है जनता की राय जानना। जनता की राय को समझने या जानने के लिए अलग– अलग तरह के वैज्ञानिक तरीकों का प्रयोग किया जाता है। चुनावी सर्वे में हमेशा रैंडम सैंपलिंग का ही प्रयोग होता है। देश की बड़ी सर्वे एजेंसी लोकनीति– CSDS भी रैंडम सैंपलिंग ही करती है। इसमें सीट के स्तर पर, बूथ स्तर पर और मतदाता स्तर पर रैंडम सैंपलिंग होती है। मान लीजिए किसी बूथ पर 1000 मतदाता है। उसमें से 50 लोगों का इंटरव्यू करना है। तो ये 50 लोग रैंडम तरीके से शामिल किए जाएंगे। इसके लिए एक हजार का 50 से भाग दिया तो उत्तर 20 आया। इसके बाद वोटर लिस्ट में से कोई एक ऐसा नंबर रैंडम आधार पर लेंगे जो 20 से कम हो। जैसे मान लीजिए आपने 12 लिया। तो वोटर लिस्ट में 12वें नंबर पर जो मतदाता होगा वो आपका पहला उत्तरदाता है।

जिसका आप इंटरव्यू करेंगे, फिर उस संख्या 12 में आप 20, 20 ,20 जोड़ते जाइये और जो संख्या आए उस नंबर के मतदाता का इंटरव्यू करते जाइए।

ओपिनियन पोल की तीन शाखाएं हैं। प्री-पोल, एग्जिट पोल और पोस्ट पोल। आम तौर पर लोग एग्जिट पोल और पोस्ट पोल को एक ही समझ लेते हैं लेकिन ये दोनों एक दूसरे से काफी अलग हैं।

भारत में कब हुआ एग्जिट पोल : भारत में पहला एग्जिट पोल 1996 में हुआ थ। इसे सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटीज (CSDS) ने किया था। इस एग्जिट पोल में अनुमान लगाया गया था कि भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव जीतेगी। नतीजे एग्जिट पोल की तरह ही आए। हालांकि ये कहा गया कि एग्जिट पोल की वजह से चुनाव के नतीजे काफी हद तक प्रभावित हुए। इसके बाद, भारत में भी एग्जिट पोल का ट्रेंड बढ़ता गया।

हमेशा सही नहीं होते एग्जिट पोल्स : ऐसा नहीं है कि एग्‍जिट पोल हमेशा ही सही हो। अतीत में जाएं तो पता चलेगा कि एग्जिट पोल्स ने जो अनुमान लगाए, वो गलत साबित हुए। भारत में एग्जिट पोल का इतिहास बहुत सटीक नहीं रहा है। कई बार एग्जिट पोल नतीजों के बिल्कुल विपरीत रहे हैं। 
Edited By : Navin Rangiyal

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