मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बड़ी हार हुई है। कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है। मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद इस बार ग्वालियर-चंबल में भाजपा और कांग्रेस के प्रदर्शन पर पूरे प्रदेश की निगाहें टिकी थी। ग्वालियर-चंबल में जहां भाजपा की तरफ से ज्योतिरादित्य सिंधिया बड़ा चेहरा थे वहीं कांग्रेस के प्रमुख रणनीतिकार दिग्विजय सिंह थे। चुनाव प्रचार के दौरान दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच जुबानी जंग भी खूब हुई।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के अपने समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल होने के बाद दिग्विजय सिंह और उनके समर्थकों ने सिंधिया को लेकर कई बार आपत्तिजनक बयान दिए थे। वहीं चुनाव में ग्वालियर-चंबल की कई सीटों पर दिग्विजय सिंह के समर्थकों और ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों में आमने सामने का मुकाबला है। चुनाव नतीजे बताते है कि इसमें दिग्विजय सिंह समर्थकों को बडी संख्या में हार का सामना करना पड़ा। चुनाव में दिग्विजय सिंह के परिवार के सदस्यों के साथ करीबी नेताओं को हार का सामना करना पड़ा। इसमें दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह, भतीजा प्रियवत सिंह, शिवपुरी से चुनाव लड़े केपी सिंह के साथ लहार से नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह को हार का सामना करना पड़ा।
दिग्विजय के क़रीबियों को मिली हार–विधानसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह के करीबी और कांग्रेस प्रत्याशी केपी सिंह, गोपाल सिंह , जीतू पटवारी, सज्जन सिंह वर्मा, भाई लक्ष्मण सिंह, भतीजे प्रियवत सिंह को करारी हार का सामना करना पड़ा। वहीं दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह को भी करीबी मुकाबले में जीत हासिल हुई।
अगर देखा जाए तो सिंधिया पर हमला करने वाले शिवपुरी से कांग्रेस प्रत्याशी केपी सिंह को भाजपा के देवेंद्र जैन ने 43 हजार वोटों से हराया। वहीं चन्देरी से सिंधिया के ख़िलाफ़ बयान देने वाले गोपाल सिंह को भी चन्देरी की जनता ने सबक़ सिखाया औऱ भाजपा के जगन्नाथ सिंह ने गोपाल सिंह को 21 हज़ार से अधिक मतों से हराया ।
वहीं चचौड़ा के विधायक दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह को भी प्रियंका पेंची को 60 हज़ार से अधिक वोटों से हराया। वहीं राऊ विधानसभा सीट से जीतू पटवारी भाजपा उम्मीदवार मधु वर्मा से 35 हज़ार से अधिक वोट से हार गए, जीतू पटवारी ने भी सिंधिया के ख़िलाफ़ कई बार आपत्तिजनक बयान दिए थे। वहीं पांच बार के विधायक सज्जन सिंह वर्मा को भी भाजपा के राजेश सोनकर ने 25 हज़ार मतों से हरा दिया। लहार से नेता विपक्ष गोविंद सिंह को भी 10 हज़ार वोट से हार मिली ।
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो विधानसभा चुनाव की सियासी रण में राजा (दिग्विजय सिंह) पर महाराजा (ज्योतिरादित्य सिंधिया) भारी पड़ गए। बताया जा रहा है कि दिग्विजय सिंह समर्थकों को हारने के लिए सिंधिया ने एक रणनीति के तरत काम किया और चुनाव में इसका असर भी देखने को मिला। वहीं विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद भले ही दिग्विजय सिंह ईवीएम पर सवाल उठा रहे हो लेकिन आगे का रास्ता उने राजनीतिक जीवन के लिए कठिन है।