भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे के बाद कांग्रेस बगावत से जूझ रही है। टिकटों के दूसरी सूची आने के बाद कई जिलों में पार्टी कार्यकर्ता सड़क पर उतरकर विरोध दर्ज करा रहे है वह कई नेता दूसरी पार्टी का रूख कर रहे है।
कांग्रेस को सबसे अधिक बगावत का सामना उस ग्वालियर-चंबल में करनना पड़ा रहा है जिसके बल पर उसने 2018 में सूबे में अपनी सरकार बनाई थी। मुरैना से पार्टी के दो विधायकों सुमावली से अजब सिंहं कुशवाह और विधायक राकेश मावई का टिकट कटने के बाद दोनों ने बगावत का बिगुल फूंक दिया है। टिकट कटने से नाराज सुमावली विधायक अजब सिंह कुशवाह हाथ का साथ छोड़ हाथी पर सवार हो गए है। वहीं टिकट कटने के बाद कांग्रेस विधायक राकेश मावई ने एलान कर दिया है कि वह मुरैना की सभी सीटों पर कांग्रेस को हराएंगे।
इससे पहले कांग्रेस की ओर ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा सीट से दबंग और माफिया छवि वाले साहब सिंह गुर्जर को टिकट देने के विरोध में टिकट के दूसरे दावेदार केदार कंसाना ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। पिछले दिनों ग्वालियर में गुर्जर आंदोलन में आरोपी बनाए गए साहब सिंह 2018 का चुनाव बसपा के टिकट पर लड़े थे और उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। साहब सिंह गुर्जर पर गुर्जर आंदोलन में FIR के साथ जमीन कब्जाने सहित कई अन्य मामले दर्ज है।
भोपाल में दो विधानसभा सीटों पर विरोध- राजधानी भोपाल में कांग्रेस को दो सीटों पर विरोध का सामना करना पड़ा रहा है। भोपाल में हुजूर विधानसभा से कांग्रेस के टिकट के दावेदार जितेन्द्र कुमार डागा ने टिकट नहीं मिलने के बाद कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जाहिर की है। जितेंद्र डागा ने अपने पत्र में लिखा कि “हुजूर विधानसभा के कार्यकर्ता, पदाधिकारियों और जनता के साथ जो गलत किया गया हैं। जिसका मैं विरोध करता हूं एवं प्रदेश कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व माननीय कमलनाथ जी, माननीय दिग्विजय सिंह जी से पुनःविचार की प्रार्थना करता हूं। मैं ऐसी ही नीतियो और निर्णयो के कारण भारतीय जनता पार्टी छोड़कर कांग्रेस में आया था एवं मुझे आश्वासन दिया गया था कि मेरे साथ किसी प्रकार का दुरव्यवहार नही किया जायेगा। मैं वर्ष 2008 से 2013 तक हुजूर क्षेत्र का विधायक रहा। इस दौरान मेरी सक्रियता और कार्याे का प्रमाण है कि मुझ पर। किसी प्रकार का कोई आरोप नहीं है तथा जनता मुझ पर विश्वास करती है। मैं हमेशा जनता के दुःख सुख और उनके अच्छे-बुरे में साथ रहा हूं तथा अपने कार्यकाल मे क्षैत्र के विकास कार्यों में सहयोगी की भूमिका का निर्वाहन किया है। मैं पुनः माननीय कमलनाथ जी, मा, दिग्विजय सिंह जी से सादर अनुरोध करता हूं कि कृपया लिए निर्णय पर विचार करें और मुझे एक मौका देकर हुजूर की जनता और कार्यकर्ताओं के साथ न्याय करें।
वहीं भोपाल दक्षिण पश्चिम से टिकट के दावेदार रहे संजीव सक्सेना का टिकट कटने के बाद अब विरोध के सुर उठ गए है। संजीव सक्सेना को मानने के लिए पार्टी ने उनके लिए छोटे भाई प्रवीण सक्सेना को पार्टी जिला अध्यक्ष बनाया है। यहां पर पीसी शर्मा के खास मोनू सक्सेना को जिला अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है।
इंदौर में भी विरोध से जूझती कांग्रेस-कांग्रेस को इंदौर में भी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। महू विधानसभा सीट से रामकिशोर शुक्ला को टिकट देने के विरोध में अंतर सिंह दरबार अपने सैक़ड़ों समर्थकों के साथ सड़क पर उतरकर विरोध जताया है। अंतर सिंह दरबार रामकिशोर शुक्ल को टिकट देने का विरोध कर किसी अन्य पार्टी या निर्दलीय चुनाव लड़ने के संकते दे दिए है।
बगावत को रोक पाएगी कांग्रेस?-मध्यप्रदेश में सत्ता की वपासी में जुटी कांग्रेस के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती बगावत की आग को समय रहते ठंडा करना है। ऐसे में जब आज से विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरु हो गई है तब कांग्रेस की पहली चुनौती बागियों को दूसरी पार्टी से चुनाव लड़ने से रोकना है। कांग्रेस की बागियों की पहली पंसद बसपा और समाजवादी पार्टी है, ऐसे में कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में सीधा नुकसान पहुंचने का खतरा है। कांग्रेस की बागवत को रोकने का जिम्मा अब कौन उठाएगा यह देखना दिलचस्प होगा। पिछले दिनों जिस तरह से दिग्विजय सिंह और कमलनाथ आमने-सामने आ चुके है उसके बाद यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया है।