गधों के भरोसे होने लगे काम

Webdunia
गुरुवार, 29 जनवरी 2009 (11:51 IST)
प्रदेश में मजदूरों की जगह गधों ने ले ली है। निजी कामों के लिए मजदूरों की कमी से ये आई स्थिति आई है। ये गधे मजदूरों से भी ज्यादा काम कर रहे हैं। ईंट ढुलाई के लिए यहाँ पहली बार उत्तरप्रदेश से दो हजार से अधिक गधे मँगाए गए हैं, जो कई शहरों में मजदूरों की जगहों पर काम कर रहे हैं।

ढूँढ़े नहीं मिल रहे मजदूर : सरकारी कामों में मोटी मजदूरी से प्रदेश में मजदूरों का टोटा हो गया है। राष्ट्रीय रोजगार गारंटी के चलते मजदूरों का रुझान सरकारी कामों की ओर बढ़ गया है। इसके चलते निजी कामों के लिए ढूँढ़े से भी मजदूर नहीं मिल रहे हैं। मजदूरों की कमी के चलते यहां के जेके ब्रिक्स में करीब एक दर्जन गधों से ईंट ढुलाई का काम लिया जा रहा है।

इन गधों को उत्तरप्रदेश से तीन माह के ठेके में लाया गया है। गधों से सामानों की ढुलाई करने वाले बनारस उप्र निवासी मोहम्मद जुबेर कहते हैं कि मजदूर नहीं मिलने से गधों से ढुलाई का काम बढ़ने लगा है। उन्होंने बताया कि उत्तरप्रदेश में काम की कमी नहीं है, लेकिन यहाँ एक ही काम में स्थायी होने की वजह से पैसा बचता है। उनके अनुसार एक गधा एक बार में चालीस ईंटों की ढुलाई कर लेता है। एक गधे द्वारा सुबह छह बजे से दोपहर एक बजे तक डेढ़ से दो हजार ईंट ढुलाई की जाती है।

कई राज्यों में है माँग : गधे से ढुलाई कार्य के लिए जुबेर के परिवार के सदस्य उड़ीसा, झारखंड सहित अन्य प्रदेश भी जाते हैं। परिवार के सदस्यों ने बताया कि निर्माण कार्य वाले व्यस्तम मार्गों पर गधे से ढुलाई सुविधाजनक रहती है। इस वजह से भी गधों की डिमांड रहती है।

रायपुर क्षेत्र में सबसे ज्यादा काम कर रहे : छत्तीसगढ़ में दो हजार से अधिक गधे उत्तरप्रदेश से लाए गए हैं। सबसे अधिक गधों से काम रायपुर के सरोना क्षेत्र में लिया जा रहा है। इसके अलावा कुम्हारी, पाटन सहित प्रदेश के कई शहरों में मजदूरों की जगह गधे ले रहे हैं।

महासमुंद जिले में पहली बार : जेके ब्रिक्स के सुपरवाइजर टिकेंद्र धु्रव व पुरानिक धु्रव ने बताया कि जिले में पहली बार गधों से ईंट ढुलाई का कार्य लिया जा रहा है। मजदूरों की कमी व ईंट ढुलाई में ज्यादा पारिश्रमिक की डिमांड की वजह से गधों से ढुलाई कराया जा रहा है। मजदूर नहीं मिलने से काम में विलंब हो रहा था। इस वजह से ढुलाई के लिए गधों का आर्डर दिया गया। उन्होंने बताया कि जहाँ पर मिट्टी से ईंट का निर्माण किया गया है वहाँ से चिमनीभठ्ठे की दूरी करीब दो सौ मीटर है। जहां दिनभर में ये गधे औसतन आठ हजार ईंट ढुलाई कर लेते हैं। गधों के चारे की व्यवस्था भी उनके जिम्मे हैं।

गंतव्य तक पहुँच जाते हैं : गधों से सामानों की ढुलाई का बचपन से काम करने वाले मोहम्मद जुबेर का कहना है कि हाँकने के बाद गधे गंतव्य तक पहुँच जाते हैं। उनके साथ चलना जरूरी नहीं है। हालाँकि गधे की पीठ पर बंधी थैली से ईंट उतारना पड़ता है। ईंटभठ्ठे में काम करने वालों ने बताया कि शाम के समय इधर-उधर घूमने वाले गधे अपने मालिक की आवाज सुनकर आ जाते हैं।

पौने दो लाख पंजीकृत परिवार : विभागीय जानकारी के अनुसार जिले में राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना में ही एक लाख 78 हजार परिवार पंजीकृत हैं। इसमें साढ़े तीन लाख मजदूरों का खाता खोलने का लक्ष्य है, वहीं चार हजार चार सौ 58 कार्य स्वीकृत हैं। जबकि 4300 कार्य प्रगति पर हैं।-भरत यादव

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