'दरबार' रहेगा या 'कमल'

महू में टसल

स्वरुप बाजपेयी
महू, जो पिछले चुनाव तक इंदौर संसदीय क्षेत्र का हिस्सा कहलाता था, इस बार परिसीमन के खेल में यह धार संसदीय सीट का हिस्सा हो गया है। इस सीट की अहमियत इसलिए बढ़ गई है, क्योंकि यहाँ से शिवराज सरकार के लोनिवि मंत्री कैलाश विजयवर्गीय चुनाव लड़ रहे हैं।  उनके सामने हैं कांग्रेस के हैवीवेट नेता अंतरसिंह दरबार। 

दरबार दमदार इसलिए भी माने जाते रहे हैं कि पिछले चुनाव में भाजपा की लहर के बाद भी वे 3199 मतों से जीत गए थे। इससे पहले 1998 में भी दरबार 10506 मतों से जीते थे। दोनों ही बार दरबार ने भाजपा के सशक्त नेता भेरूलाल पाटीदार को हराया था। पिछले चुनाव में उनकी जीत का वजन इसलिए भी था, क्योंकि कांग्रेस के केवल 38 नुमाइंदे ही विधानसभा में पहुँच पाए थे।

कांग्रेसमय रहा है इतिहास: पहले चार निर्वाचनों में हमेशा यहाँ कांग्रेस का परचम ही लहराया है। 1952 से 1967 तक जाल सेठ के नाम से ख्यात रुस्तमजी जाल यहाँ से विधानसभा पहुँचते रहे।

1972 में प्रकाशचंद सेठी कांग्रेस के प्रत्याशी बनकर उतरे और तारीफ की बात यह रही कि सेठी भी चुनाव जीत गए। वे महू के अलावा उज्जैन उत्तर से भी चुनाव लड़े और जीते थे। जब दो में से एक स्थान का चयन करने की बारी सेठीजी के सामने आई तो उन्होंने अपने गृहनगर उज्जैन को प्रमुखता दी और महू की सीट से त्यागपत्र दे दिया।

महू को रास नहीं आया : सेठीजी प्रदेश के मुख्यमंत्री तो बन गए किंतु जब दिसंबर 1973 में उनके द्वारा रिक्त की गई महू सीट के लिए उपचुनाव हुआ, तब महू के मतदाताओं ने यहाँ से कांग्रेस को उखाड़ दिया। पहली बार ऐसा हुआ।

पिछले पाँच निर्वाचनों (1952-72) में से तीन बार जनसंघ के प्रत्याशी विजेता कांग्रेस प्रत्याशी का निकटतम रहा था, 1952 में हजारीलाल और 1967 व 1972 में कृष्णगोपाल माहेश्वरी ने ऐसा किया था।

पर बात उपचुनाव की करें तो जनसंघ ने पहली बार यहाँ से भेरूलाल पाटीदार को मैदान-ए-जंग में उतारा, ग्रामीण अंचल का यह प्रत्याशी पार्टी की उम्मीदों पर खरा उतरा और महू में जनसंघ का 'दीपक' पहली बार प्रज्ज्वलित हुआ। पाटीदार ने अपनी इस पहली बड़ी मुहिम में कांग्रेस के रामेश्वर सोनी को 4879 मतों के अंतर से हराया। यह बात और है कि संसोपा के आरिफ बेग ने 5112 मत लेकर पाटीदार के 'दीपक' निशान की भरपूर मदद की।

महू का पर्याय बने : भेरूलाल पाटीदार महू सीट का पर्याय बन गए। 1973 के इस उपचुनाव से लेकर पिछले विधानसभा (2003) निर्वाचन तक के 30 वर्षों में पाटीदार आठ मर्तबा यहाँ से चुनाव लड़े, चार बार वे विजेता बने और इतनी ही बार उन्हें पराजित भी होना पड़ा।

कांग्रेस के रामेश्वर सोनी (73), घनश्याम पाटीदार (85), पीडी अग्रवाल (90) और सेठीजी के दामाद अशोक पाटनी (93) को उन्होंने पराजित किया तो कांग्रेस के ही घनश्याम पाटीदार (1977 व 80) तथा अंतरसिंह दरबार (1998, 2003) ने उन्हें पराजित किया।

दरअसल भेरूलाल पाटीदार को इस बात का श्रेय जाता है कि उन्होंने अपने दम पर जाल सेठ के जमाने से चले आ रहे कांग्रेस के महू पर एकाधिकार को खत्म किया। उन्होंने ही भारतीय जनसंघ के 'दीपक' को इस श्रेय में रोशन किया और उन्होंने भाजपा के 'कमल' को यहाँ खिलाया।

बादशाह को पछाड़ा दरबार ने : तब जब भेरूलाल पाटीदार महू की अपनी विजय की हैट्रिक बना चुके थे- 1985, 1990, 1993 में वे जीते, तभी कांग्रेस ने 1998 के निर्वाचन में एक नए चेहरे को तरजीह दी। वह चेहरा था अंतरसिंह दरबार का। इस नए चेहरे की ताजगी ने पाटीदार की बादशाहत को एक बड़े अंतर (10 हजार से अधिक) से शिकस्त देकर 18 वर्षों के बाद कांग्रेस के वजूद को महू में स्थापित किया।

यही नहीं बल्कि उमा के करिश्माई व्यक्तित्व के करिश्मे को भी दरबार के प्रयासों से महू के मतदाताओं ने नकारने में सफलता प्राप्त की। पिछले निर्वाचन में कमल की लहर इतनी तेज थी कि कांग्रेस के बड़े-बड़े दिग्गज उसमें बह गए थे। प्रदेश की 230 में से 173 और इंदौर लोकसभा की आठ में से छह सीटें भाजपा जीत गई थी, पर महू से दरबार का दरबार पाटीदार फिर भी उखाड़ नहीं पाए।

दरबार और कैलाश : दरबार स्थानीय हैं, जबकि कैलाश विजयवर्गीय इंदौर के। मतदाता के रुख का आकलन तो बाद में पता चलेगा, पर एक बात जरूर है कि वंशवाद के लिए कांग्रेस को कोसने वाली भाजपा ने साँवेर में निशा सोनकर, इंदौ र-4 से मालिनी गौड़ तथा देपालपुर से मनोज पटेल को उतारा है। महू में स्व. भेरूलाल पाटीदार की पुत्री कविता पाटीदार के दावे को अनदेखा कर दिया। कैलाशजी के अति आत्मविश्वास के चलते मुकाबला बेहद रोचक होगा।
Show comments

जरूर पढ़ें

PM Modi Speech : जकूजी, स्टाइलिश बाथरूम और शीशमहल, लोकसभा में 1 घंटे 36 मिनट का PM मोदी का भाषण, जानिए प्रमुख बिंदु

आतिशी की बढ़ीं मुश्किलें, मानहानि मामले में BJP नेता की याचिका पर नोटिस जारी

हरियाणा के CM सैनी का दावा, अनिल विज मुझसे नाराज नहीं

दिल्ली चुनाव 2025: त्रिकोणीय मुकाबला या बहुमत का संकट? कौन बनेगा सत्ता का असली दावेदार?

इतना है भारतीय महिलाओं का गोल्ड पावर कि कई देशों का गोल्ड रिजर्व भी है इनसे पीछे, जानिए पूरी डीटेल

सभी देखें

नवीनतम

ट्रंप की धमकी, ईरान ने मेरी हत्या की कोशिश की तो खत्म हो जाएगा

LIVE: दिल्ली में सुबह 9 बजे तक 8.10 फीसदी मतदान, आतिशी ने भी डाला वोट

मिल्कीपुर उपचुनाव के लिए मतदान जारी, 3.71 लाख वोटर्स करेंगे 10 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला

Weather Update: मतदान वाले दिन दिल्ली NCR में ठंड का पलटवार, जानें देशभर में कैसा रहेगा मौसम

रुपए की गिरावट, सोने की ऊंची उड़ान, आपकी जेब पर क्या असर पड़ेगा?