क्या इन मिथकों को तोड़ पाएंगे शिवराज...

Webdunia
रविवार, 10 नवंबर 2013 (11:56 IST)
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भोपाल। मध्यप्रदेश में दो नगरों अशोकनगर एवं इछावर के बारे में मिथक है कि जब भी किसी मुख्यमंत्री ने इन नगरों का दौरा किया, उन्हें 6 माह के भीतर अपने पद गंवाने पड़े हैं। इसी तरह महाकाल की नगरी उज्जैन के बारे में ऐसा माना जाता है यह ऐसा नगर है कि वहां यदि किसी मुख्यमंत्री ने रात गुजारी तो उसे भी 6 माह में अपना पद छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा।

जिला मुख्यालय अशोकनगर में अभी तक जिन मुख्यमंत्रियों ने दौरा किया उन्हें 6 माह के भीतर अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी और अभी तक 11 मुख्यमंत्री अशोकनगर का दौरा करने के बाद अपनी कुर्सी गंवा चुके हैं।

अशोकनगर से जुडे इस मिथक को देखते हुए पिछले 10 साल से कोई भी मुख्यमंत्री यहां नहीं आया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का कई बार अशोकनगर का दौरा बना लेकिन अंतिम समय में उनका दौरा या तो स्थगित कर दिया गया अथवा स्थान बदल दिया गया।

यहां तक कि मुख्यमंत्री ने प्रदेश के 50 में से 49 जिला मुख्यालयों पर अटल ज्योति अभियान की शुरुआत की लेकिन वे अशोकनगर नहीं गए और जिले के मुंगावली में इस अभियान की शुरुआत की।

अशोकनगर का दौरा करने के बाद अब तक जिन मुख्यमंत्रियों को कुर्सी गंवानी पड़ी है उनमें कैलाशनाथ काटजू वर्ष 1962, भगवत शरण मंडलोई 1963, द्वारिका प्रसाद मिश्र 1966, श्यामाचरण शुक्ल 1971, प्रकाशचंद्र सेठी 1975, कैलाश जोशी 1977, वीरेन्द्र कुमार सखलेचा 1980, अर्जुन सिंह 1984, मोतीलाल वोरा 1987, सुंदरलाल पटवा 1992 तथा दिग्वजय सिंह 2003 शामिल हैं।

ये सभी ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने विभिन्न अवसरों पर अशोकनगर का दौरा किया लेकिन इस दौरे के 6 माह के भीतर ही उन्हें अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी। इनमें कुछ चुनाव हार गए तो कुछ की सरकार भंग हो गई या उन्हें पद से हटा दिया गया।

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